यह पहली बार है कि भारत को आईएएएफ की ट्रैक स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल हुआ है। उनसे पहले भारत की कोई महिला खिलाड़ी जूनियर या सीनियर किसी भी स्तर पर विश्व चैम्पियनशिप में गोल्ड नहीं जीत सकी थी।
असम की 18 वर्षीय एथलीट हिमा दास ने फिनलैंड के टैम्पेयर शहर में इतिहास रच दिया है। हिमा ने आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता है। हिमा ने राटिना स्टेडियम में खेले गए फाइनल में 51.46 सेकेंड का समय निकालते हुए जीत हासिल की. इसी के साथ वह इस चैंपियनशिप में सभी आयु वर्गो में स्वर्ण जीतने वाली भारत की पहली महिला बन गई हैं.
रोमानिया की एंड्रिया मिकलोस को सिल्वर और अमरीका की टेलर मैंसन को ब्रॉन्ज मेडल मिला। दौड़ के 35वें सेकेंड तक हिमा शीर्ष तीन खिलाड़ियों में भी नहीं थीं, लेकिन बाद में उन्होंने रफ्तार पकड़ी और इतिहास बना लिया। स्पर्धा के बाद जब हिमा ने गोल्ड मेडल लिया और सामने राष्ट्रगान बजा तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े।
हिमा गोल्ड जीतने के बाद अब इंडियन एथलीट के एलीट क्लब में शामिल हो चुकी हैं। सीमा पुनिया, नवजीत कौर ढिल्लों और नीरज चोपड़ा की तरह वह ऐसी शख्सियत बनकर उभरी हैं जिन्हें कामयाबी के साथ लोकप्रियता भी मिली है।
हिमा दास ने इस उपलब्धि के साथ उस सूखे को भी खत्म कर दिया जो भारत के लेजेंड मिल्खा सिंह और पीटी उषा भी नहीं कर पाए थे. हिमा दास से पहले सबसे अच्छा प्रदर्शन मिल्खा सिंह और पीटी उषा का रहा था. पीटी उषा ने जहां 1984 ओलंपिक में 400 मीटर हर्डल रेस में चौथा स्थान हासिल किया था. वही मिल्खा सिंह ने 1960 रोम ओलंपिक में 400 मीटर रेस में चौथे स्थान हासिल किया था | इन दोनों के अलावा कोई भी ख़िलाड़ी ट्रैक इवेंट में मेडल के करीब भी नहीं पहुंच सका.
बुधवार को हुए सेमीफाइनल में भी शानदार प्रदर्शन करते हुए 52.10 सेकंड का समय निकालकर वो पहले स्थान पर रही थीं। पहले दौर की हीट में भी 52.25 समय के साथ वो पहले स्थान पर रहीं। एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भी हिमा दास को उनकी कामयाबी के लिए बधाई दी है।
अप्रैल में गोल्ड कोस्ट में खेले गए कॉमनवेल्थ खेलों की 400 मीटर की स्पर्धा में हिमा दास छठे स्थान पर रही थीं। इस टूर्नामेंट में उन्होंने 51.32 सेकेंड में दौड़ पूरी की थी। इसी राष्ट्रमंडल खेलों की 4X400 मीटर स्पर्धा में उन्होंने सातवां स्थान हासिल किया था। इसके अलावा हाल ही में गुवाहाटी में हुई अंतरराज्यीय चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल अपने नाम किया था।
हिमा की इस अपार सफलता के पीछे उनकी कड़ी मेहनत और हिम्मत एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हिमा असम के एक साधारण किसान की बेटी हैं, जो चावल की खेती करते हैं। वह बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं।
हिमा के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
100 मीटर 11.74 सेकेंड
200 मीटर 23.10 सेकेंड
400 मीटर 51.13 सेकेंड
4X400मी. रिले 3:33.61
हिमा के कोच निपोन दास ने बताया कि उन्हें पूरा विश्वास था कि हिमा कम से कम टॉप थ्री में जरूर शामिल होगी। उन्होंने बताया कि हिमा ने दो साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा था।
निपोन ने बताया कि शुरुआत में हिमा लड़कों के साथ फुटबॉल खेला करता थीं। कोच निपोन ने जब उन्हें मैदान पर लड़कों के साथ खेलते देखा तो वह उनके परिवार वालों से मिले और उन्हें एथलीट जगत में भाग्य आजमाने की सलाह दी। बेटी को एथलीट बनाने के लिए परिवार असमर्थ था, इसलिए शुरुआत से ही कोच ने उनकी काफी सहायता की।
सबसे पहले तो हिमा को अपना परिवार छोड़कर करीब 140 किलोमीटर दूर जाकर बसना पड़ा। इसके लिए शुरुआत में उनके परिजन इस बात के लिए राजी नहीं थे, लेकिन कोच निपोल की जिद के आगे परिवार ने घुटने टेक दिए और फिर शुरू हुआ हिमा की कामयाबी का सफर।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई देते हुए कहा, 'देश के लिए यह बेहद खुशी और गर्व की बात है कि एक किसान की बेटी ने विश्व अंडर-20 चैंपियनशिप की 400 मीटर रिले में गोल्ड जीतकर इतिहास रचा है। मैं उन्हें बधाई देता हूं। हिमा की यह उपलब्धि आने वाले समय में देश के अन्य एथलीटों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।'
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी हिमा को उनकी उपलब्धि पर बधाई दी है। राहुल ने 18 वर्षीय हिम को बधाई देते हुए लिखा, 'मैं उनकी उपलब्धि को सलाम करता हूं और इस ऐतिहासिक जीत के लिए उन्हें बधाई देता हूं।'
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