शुक्रवार शाम को अमृतसर के चौड़ा बाजार स्थित जोड़ा फाटक के रेलवे ट्रैक पर लोग मौजूद थे. पटरियों से महज 200 फुट की दूरी पर पुतला जलाया जा रहा था. इसी दौरान जालंधर से अमृतसर जा रही डीएमयू ट्रेन वहां से गुजरी. रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर रावण दहन देख रही भीड़ पर ट्रेन चढ़ गई| इसके बाद चारो ओर लाशें बिछ गईं. इस हादसे में 59 लोगों की मौत हुई है, जबकि 57 लोग घायल हैं. हादसे के वक्त ट्रेन की रफ्तार करीब 100 किमी. प्रति घंटे थी. मौके पर कम से कम 300 लोग मौजूद थे
अमृतसर में जिस वक्त ट्रेन हादसा हुआ, उस समय जोड़ा फाटक के पास रेल पटरियों पर खड़े होकर लोग रावण दहन देख रहे थे. इस वक्त तक लगभग अंधेरा छा चुका था. जैसे ही रावण जलना शुरू हुआ आस-पास धुआं छा गया. तेज आतिशबाजी होने लगी. इस दौरान यहां से होकर ट्रेन गुजरी. घटनास्थल पर मौजूद चश्मदीद बता रहे हैं कि ट्रेन की स्पीड बहुत ज्यादा थी, जबकि भीड़भाड़ की स्थिति को देखते हुए इसकी रफ्तार कम होनी चाहिए.
हादसे के बाद ट्रैक के दोनों ओर 150 मीटर तक शव बिखरे हुए नजर आ रहे थे। मौके पर राहत और बचाव दल तुरंत पहुंचा जिसके बाद घायलों को अस्पताल भेजा गया। पंजाब सरकार ने ऐलान किया है कि मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये दिए जाएंगे और घायलों का पूरा इलाज सरकार द्वारा किया जाएगा। पीएम नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित सभी बड़े नेताओं ने इस घटना पर दुख जताया है।
अमृतसर रेल हादसे में मारे गए लोगों की एक सूची जारी की गई है. मरने वालों में ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार के कामगार है.
हादसे पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दुख जताया है। उन्होंने कहा, अमृतसर में दुखद रेल दुर्घटना के बारे सुनकर चौंक गया हूं। दुख के इस घड़ी में सभी प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों को खुले रहने के लिए कहा गया है। जिला अधिकारियों को युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य शुरू करने का निर्देश दिया गया। जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
हादसे के वक्त नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर मंच से भाषण दे रही थीं, लेकिन जैसे ही यह भीषण घटना घटी, वे राहत कार्य की बजाय अपनी कार में बैठकर वहां से निकल गईं। इसको लेकर लोगों में भारी रोष है।
अस्पताल में भर्ती घायलों ने यह भी बताया कि नवजोत कौर इस कार्यक्रम में काफी देर से आईं। यहां कार्यक्रम शाम 6-7 बजे के बीच में हो जाता है, लेकिन नवजोत कौर 7 बजे आईं और इसके बाद रावण दहन हुआ और ट्रेनें आ गईं और ट्रेक पर खड़े लोग इस हादसे में अपनी जान गंवा बैठे।
बताया जा रहा है कि 12 कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद वे वहां आईं थीं। उधर देर रात नवजोत कौर घायलों को देखने के लिए अस्पताल पहुंचीं और सफाई दी कि वे कार्यक्रम खत्म होने के बाद वहां से गईं। उन्होंने इस भीषण हादसे के लिए रेलवे को जिम्मेदार बताया। रेलवे ने कहा कि आयोजकों ने रेलवे से कार्यक्रम की कोई इजाजत नहीं ली थी।
गुरुनानक अस्पताल के सर्जरी विभाग के प्रभारी डॉ राकेश शर्मा ने बताया कि उनके यहां 20 मृतक लाए गए. घायलों में अधिकांश लोगों के सिर और पैरों में चोट लगी. डॉक्टर मयंक ने बताया कि घायलों में अधिकांश लोग उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं. 80 से 90 डाक्टरों को आपातकालीन डयूटी पर लगाया गया है और वे दिन-रात काम कर रहे हैं. कुछ अन्य लोगों को पीजीआई चंड़ीगढ़ और निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रेल ड्राइवर ने कहा कि रावण जलने की वजह से आसपास काफी धुआं था, घटनास्थल पर रोशनी की भी व्यवस्था नहीं थी, इसलिए उसे कुछ दिखाई नहीं दिया. रेल अधिकारी का भी कहना है कि वहां काफी धुआं था, जिसकी वजह से ड्राइवर कुछ भी देखने में असमर्थ था, इसके अलावा ट्रेन भी घुमावदार मोड़ पर थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रेल ड्राइवर की पहचान को सार्वजनिक नहीं किया गया है, रेल अधिकारी उससे पूछताछ कर रहे हैं.
वही रिपोर्ट्स के मुताबिक दशहरा कमेटी ने धोबी घाट पर दशहरा का जश्न मनाने के लिए पुलिस से सुरक्षा प्रबंधन की मांग करते हुए पत्र लिखा था. वहीं पुलिस ने भी इस बात को कबूल किया है.
अमृतसर प्रशासन पर इस हादसे की जिम्मेदारी डालते हुए आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि स्थानीय अधिकारियों को दशहरा कार्यक्रम की जानकारी थी और इसमें नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी ने भी शिरकत की थी.
घटना के एक दिन बाद शनिवार को अमृतसर पहुंच कर मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए. पंजाब के CM कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मृतकों के परिवार वालों के लिए 3 करोड़ के मुआवजे का ऐलान किया. सीएम अमरिंदर सिंह ने कहा कि इजराइल जाने के दौरान एयरपोर्ट पर हादसे की खबर मिली. हमने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिये हैं और हमने 4 हफ्ते में जांच रिपोर्ट मांगी है. पंजाब के स्कूल कॉलेज बंद रहेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी यह जांच रेलवे की जांच से अलग जांच होगी. उन्होंने कहा कि ऐसे मौके पर आरोप-प्रत्यारोप नहीं होना चाहिए. यह हादसा बहुत ही दुखद है.
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि जैसे ही हादसा हुआ, पूरा प्रशासन महकमा इसमें लग गया. जितना जल्दी हो सकता था, हम उतनी जल्दी यहां आए. आज पूरा पंजाब कैबिनेट यहां है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस हादसे में अब तक कुल 59 लोग मरे हैं और 57 घायल हैं. हम जल्द से जल्द शवों का पोस्टमार्टम करने का प्रयास करेंगे. हमने 9 को छोड़कर बाकी सबके शवों की पहचान कर ली है.
कांग्रेस नेता और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पीड़ितों का हाल जानने गुरु नानक देव अस्पताल पहुंच गए हैं. सिद्धू ने घटना से जुड़े किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया.
इस रामलीला में रावण की भूमिका निभाने वाले दलबीर की भी इस रेल हादसे में मौत हो गई है.
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि अमृतसर ट्रेन हादसे में मारे गये लोगों के प्रति गहरा दुख है. घायलों को तत्काल उच्चतम स्तर का उपचार उपलब्ध कराना सरकार की नैतिक ज़िम्मेदारी है. ये दुर्घटना रेलवे-प्रशासन की बदइंतज़ामी और लापरवाही का दर्दनाक परिणाम है.
रेलवे अधिकारियों ने कहा, "हमें इस बारे में जानकारी नहीं दी गई थी और हमारी तरफ से कार्यक्रम के लिये कोई मंजूरी नहीं दी गई थी, यह अतिक्रमण का स्पष्ट मामला है और स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदारी लेनी चाहिए. इधर केन्द्रीय रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा है कि स्थानीय प्रशासन ने कार्यक्रम की सूचना रेलवे विभाग को नहीं दी थी. उन्होंने कहा कि अगर रेलवे को जानकारी दी जाती तो उनके विभाग की ओर से गाइडलाइंस निश्चित रूप से जारी किये जाते. ट्रेन की तेज रफ्तार के बारे में मनोज सिन्हा ने कहा कि स्पीड पर नियंत्रण ट्रैक की स्थिति के आधार पर लगाया जाता है, ना कि भीड़ को देखते हुए. उन्होंने कहा कि अभी उनकी प्राथमिकता घायलों को ज्यादा से ज्यादा चिकित्सा और दूसरी सुविधाएं मुहैया कराना है.
वही रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने अमृतसर हादसे पर कहा है कि लोगों को भविष्य में पटरियों के नजदीक ऐसे आयोजन करने से बचना चाहिए. ड्राइवर को ट्रेन कहां स्लो करनी है, इसके लिए विशेष निर्देष दिए जाते हैं. उन्होंने बताया कि वहां एक कर्व था. ड्राइवर आगे की चीज को नहीं देख सका. उन्होंने पूछा कि हमें किस बात के लिए जांच का आदेश देना चाहिए. क्या ट्रेन स्पीड में चल रही थी इसकी जांच की जाए.
एक चश्मदीद ने बताया कि प्रशासन और दशहरा कमेटी की गलती से यह घटना हुई है. उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि कार्यक्रम के दौरान यहां पर ट्रेन की स्पीड धीमी रखी जाए लेकिन ऐसा नहीं किया जा सका.
एक चश्मदीद का कहना है कि ट्रैक के पास का नजारा 1947 में देश के विभाजन के समय हुए दंगों जैसा हो गया है, जहां लाशें क्षत-विक्षत स्थिति में पड़ी हुईं हैं.
बहरहाल, घटनास्थल के पास काफी लोग एकत्रित हो गए हैं और स्वजनों की तलाश कर रहे हैं. मौके पर चारों तरफ लोगों के रोने-बिलखने की तस्वीरें देखी जा सकती हैं. यह सब कुछ इतना विचलित करने वाला है कि इसकी तस्वीरें दिखाई नहीं जा सकती है. मौके पर बचाव दल पहुंच गया है. बड़े पैमाने पर पुलिस बल को भी तैनात किया गया है.
हादसे में 61 लोगों की मौत हुई है और 113 लोग घायल हुए हैं। हम मृतकों के पोस्टमार्टम प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं। 9 को छोड़कर बाकी के शवों की पहचान कर ली गई है।
मृतकों के शरीर को अमृतसर के सिविल हॉस्पिटल और गुरू नानक देव हॉस्पिटल में रखा गया है. वहीं, घायलों का इलाज अमनदीप अस्पताल (प्राइवेट), मिलिट्री हॉस्पिटल, हरतेज हॉस्पिटल (प्राइवेट), श्री गुरू राम दास हॉस्पिटल, सिविल हॉस्पिटल और गुरू नानक देव हॉस्पिटल में किया जा रहा है. इस लिस्ट में मृतकों के नाम, उम्र, पति एंव पिता के नाम और घर का पता दिया गया है. इसके साथ ही घायलों के भी नाम, उम्र और पति एंव पिता का नाम दिया गया है, बाकि जांच-पड़ताल जारी है. वहीं, इन सूची में उन 11 लोगों के नाम भी शामिल हैं जिनके शरीर को अस्पताल में लाया गया था, इसमें 10 पुरुष (4 बच्चे और 6 पुरुष) के अलावा एक बुजुर्ग महिला शामिल है.
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हेल्पलाइन नंबर
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मनावाला रेलवे स्टेशन
बीएसएनएल - 0183-2440024
पावर केबिन, मनावाला रेलवे स्टेशन
बीएसएनएल- 0183-2402927
अन्य सहायता नंबर- 9779232880, 9779232558, 7986897301
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