‘चैंपियंस ऑफ अर्थ’ पुरस्कार संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा दिया जाता है. यह पुरस्कार सरकार, सिविल सोसाइटी एवं निजी क्षेत्र में ऐसे असाधारण नेताओं को दिया जाता है जिनके कदमों से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा हो.
प्रधानमंत्री मोदी को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की पैरवी के लिए अग्रणी कार्यों तथा 2022 तक एकल उपयोग वाली सभी तरह की प्लास्टिक को भारत से हटाने के संकल्प के कारण नेतृत्व श्रेणी में चुना गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च पर्यावरण पुरस्कार ‘चैंपियंस ऑफ अर्थ से सम्मानित किया गया है. स्थायी विकास एवं जलवायु बदलाव के क्षेत्र में अनुकरणीय नेतृत्व और सकारात्मक कदम उठाने के लिए पीएम मोदी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पीएम मोदी के साथ फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को भी इस पुरस्कार के लिए चुना गया है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुतारेस पीएम मोदी को यह अवॉर्ड देने खुद दिल्ली पहुंचे हैं. इस अवॉर्ड के लिए पीएम मोदी ने यूएन और भारतीय जनता के प्रति आभार जताया. उन्होंने कहा कि यह सम्मान केवल उनका नहीं देश की सवा सौ करोड़ आबादी का है. यह भारत के जंगलों में रहने वाले, अपने आसपास के परिवेश से प्यार करने वाले आदिवासियों का सम्मान है. यह भारत की महिलाओं को सम्मान है जो सदियों से अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में रीयूज और रीसाइकल की प्रक्रिया अपनाती है.
पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के निर्माण में गांव और शहर दोनों का बराबर योगदान है. उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज की समस्या से क्लाइमेट जस्टिस के बिना नहीं निपटा जा सकता है. उन्होंने कहा कि आज पर्यावरण पर अधिक दबाव डाले बिना विकास से अवसरों से हाथ मिलाने की आवश्यकता है.
चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवॉर्ड, भारत की उस नित्य नूतन चीर पुरातन परंपरा का सम्मान है, जिसने प्रकृति में परमात्मा को देखा है. जिसने सृष्टि के मूल में पंचतत्व के अधिष्ठान का आह्वान किया है."
नई दिल्ली के प्रवासी भारतीय केंद्र में आयोजित अवॉर्ड समारोह में यूएन महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा, "हम एक ऐसे राजनेता को सम्मानित कर रहे हैं जो नेतृत्व की जीती जागती मिसाल हैं. वह एक ऐसे नेता हैं जो जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को गंभीरता से समझते हैं. उन्हें समस्याओं की जानकारी है और वह उनका समाधान करने की दिशा में काम करते हैं. हरित इकोनॉमी ही बेहतर इकोनॉमी है. "
एक सरकारी बयान के मुताबिक इस पुरस्कार की घोषणा न्यूयॉर्क में 26 सितंबर को 73वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर की गई थी.
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