सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आम्रपाली ग्रुप को जमकर फटकार लगाई. कोर्ट ने डेवलपर को कहा कि वह लुकाछिपी का खेल बंद करे. सुप्रीम कोर्ट ने डेवलपर की तरफ से पैरवी कर रहे वकील को कहा कि अभी तक फॉरेंसिक ऑडिट से जुड़ी रिपोर्ट ऑडिटर्स को क्यों नहीं सौंपी गई है. अदालत ने कहा कि जब तक ये ऑडिट रिपोर्ट नहीं जमा करते तब तक उन्हें हिरासत में रखा जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली रियल एस्टेट ग्रुप के तीनों डायरेक्टर्स को तुरंत पुलिस कस्टडी में लेने का निर्देश दिया है. इनमें अनिल कुमार शर्मा, शिव प्रिया और अजय कुमार शामिल हैं.
आम्रपाली ग्रुप के प्रोजेक्ट का काम पूरा ना होने और आदेश ना मानने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस अरुण मिश्र और जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हमारे साथ लुकाछिपी का खेल ना खेलें. यह अदालत की गरिमा के खिलाफ है.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि 2015 के बाद अब तक आम्रपाली की 46 कंपनियों के सभी खातों की डिटेल कोर्ट को क्यों नहीं सौंपी गई. 10 दिन के सभी एकाउंट की बैलेंस शीट सौंपने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने फोरसिक ऑडिटर को निर्देश था दिया कि वो 60 दिन के अंदर रिपोर्ट सौंपे कि कितनी रकम का कैसे गबन हुआ है.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ग्रुप की 16 संपत्ति नीलाम होगी, जबकि सभी 46 कंपनियों और उनके सभी निदेशकों की संपत्ति का फोरेंसिक ऑडिट होगा. इसके साथ ही कोर्ट ने आम्रपाली के सीएमडी अनिल शर्मा को चार दिनों में अपनी सम्पत्तियों का ब्योरा हलफनामे में देने का आदेश दिया था. कोर्ट ने अनिल शर्मा से ये भी पूछा था 2014 में चुनाव आयोग में दाखिल किए गए हलफनामे में 867 करोड़ की बताई गई, संपत्ति 2018 में 67 करोड़ कैसे हो गई? कोर्ट से जानकारी क्यों छिपाई?' आम्रपाली ग्रुप के अधूरे पड़े प्रॉजेक्टों के चलते बड़ी संख्या में निवेशकों का पैसा फंसा हुआ है।
शीर्ष कोर्ट के आदेश पर आम्रपाली ग्रुप के तीन डायरेक्टरों को पुलिस ने अपनी कस्टडी में ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दस्तावेज देने तक तीनों लोग पुलिस की हिरासत में रहेंगे। आम्रपाली रियल एस्टेट ग्रुप के डायरेक्टरों अनिल कुमार शर्मा, शिव प्रिया और अजय कुमार को पुलिस कस्टडी में भेजा गया है।
कोर्ट ने दिल्ली, नोएडा और ग्रेटर नोएडा पुलिस को निर्देश दिया है कि वे सभी जरूरी दस्तावेजों को जब्त कर फॉरेंसिक ऑडिटर को सौंपें। इतना ही नहीं डीआरटी के गत 4 अक्टूबर के आदेश में जिन दस्तावेजों का जिक्र है, वे भी पुलिस को सौंपे जाएं। कोर्ट ने कहा कि अगर दस्तावेज बहुत ज्यादा हों तो उन्हें एक कक्ष में रखा जाए और उसकी चाभी फॉरेंसिक ऑडीटर्स को सौंपें।
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस से कहा कि वह तीनों निदेशकों को कंपनी के विधायी ऑडिटर्स के पास भी ले जाएं और वहां उनके कब्जे से सारे दस्तावेज लेकर फारेंसिक आडिटर्स को दिये जाएं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 2008 से लेकर 2015 और 2015 से लेकर 2018 तक का एक भी पेपर कंपनी के निदेशकों या विधायी ऑडिटर्स के कब्जे में नहीं छूटना चाहिए। फॉरेंसिक ऑडिटर्स को सभी दस्तावेज पुलिस सौंपेगी।
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