जीका वायरस पॉजिटव मामलों की संख्या बढ़कर 50 हो गई है। राजस्थान के जयपुर में जीका वायरस से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। जयपुर जिले में कुल 50 लोगों के टेस्ट पॉजिटिव पाए गए हैं। जयपुर के शास्त्री नगर में 10 ताजा मामले पाए गए हैं। 22 सितंबर को जयपुर में पहला मामला सामने आया था।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने जयपुर में 22 लोगों के जीका विषाणु से संक्रमित होने की पुष्टि होने के बाद इस विषाणु के प्रसार पर स्वास्थ्य मंत्रालय से एक व्यापक रिपोर्ट मांगी थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल में कंट्रोल रूम बना दिया है, जहां जीका मामले की पल-पल की निगरानी की जा रही है।
यह एक प्रकार का वायरस है, जो एडीज एजिप्टी नाम के मच्छरों के काटने से फैलता है। ये डेंगू और चिकनगुनिया फैलाने वाले एडीज मच्छरों की प्रजातियां हैं। इसके अलावा यह अंतर्गर्भाशयी संक्रमण है। गर्भावस्था के समय जीका वायरस का संक्रमण गर्भपात और बच्चे में बर्थ डिफेक्टस का खतरा बनता है। गर्भवती महिलाओं को यह वायरस गंभीर रूप से प्रभावित करता है। जीका से प्रभावित नवजातों में जन्मजात शारीरिक विकार और तंत्रिका संबंधी समस्याएं होती हैं।
यह पीड़ित के तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) पर हमला करता है। इस वजह से सांस लेने में दिक्कत या कमजोरी की शिकायत हो सकती है। गंभीर मामलों में वायरस मौत या लकवे का सबब भी बन सकता है। जीका वायरस से प्रभावित अधिकतर लोगों में जीका वायरस के लक्षण नजर नहीं आते वहीं कुछ लोगों में हल्के बुखार, त्वचा पर चकत्ते होने, आंखों में जलन, बेचैनी, सिरदर्द, बदन दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द जैसी समस्याएं नजर आती हैं। इसके ज्यादातर मामलों में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। 70-80 % मामलों की पहचान नहीं हो पाती।
जीका वायरस से बचाव के लिए अभी तक कोई वैक्सीन और इलाज नहीं मिल पाया। इसलिए जीका वायरस से बचने का आसान तरीका है कि मच्छरों से पूरी तरह बचाव किया जाए। इसके अलावा जिन जगहों पर जीका वायरल फैला हो ऐसे संक्रमण वाले इलाकों में जाने से बचना चाहिए।
0 comments:
Post a comment