राजस्थान ही नहीं देश की सबसे कद्दावर महिला नेताओं में वसुंधरा राजे सिंधिया का नाम प्रमुखता से लिया जाता है, राजस्थान के इतिहास में पुरुषवादी समाज के बीच लंबे समय तक राजनैतिक पारी खेलने की वजह से उनके राजनैतिक दुश्मन भी उन्हें महिला सशक्तिकरण के आदर्श के तौर पर देखते हैं ।
इन्ही की तरह राजस्थान के इतिहास को बदलने का माद्दा रखने वाली महिला का नाम आज कल जो लोगों की जुबान पर है वो हे बीजेपी के पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह की बहू और बीजेपी विधायक मानवेंद्र सिंह की पत्नी चित्रा सिंह ।
बाड़मेर जिले की एक मात्र महिला चित्रा सिंह है जो बारह और सौलह बोर की दो राइफल का लाइसेंस रखती हैं, तथा चलाना भी जानती है इनके अलावा केवल बारह महिलाओं के पास लाइसेंस हे परन्तु वे इसे चलाना नहीं जानती ।
2016 के बाद आमोर का प्रशिक्षण लेना जरूरी हो गया है जिसमे हथियार का रख रखाव व चलाने का सर्टिफिकेट दिया जाता है,इसके बिना लाइसेंस जारी नहीं होता ।
मानवेंद्र सिंह के आह्वान पर बाड़मेर में आयोजित स्वाभिमान रैली में उन्होंने वसुंधरा राजे पर जमकर हमला बोला, चित्रा सिंह ने कहा कि “उखाड़ फेंको ऐसी सरकार को जो स्वाभिमान की रक्षा नहीं करती है, उन्होंने आगे कहा कि अब युद्ध को खत्म करने का समय आ गया है”जिसे वहां मौजूद भीड़ ने खासी गंभीरता के साथ सुना ।
राजस्थान में भाजपा के 23 राजपूत विधायकों में से 14 मारवाड़ यानी पश्चिमी राजस्थान से ही आते हैं, एक अनुमान के मुताबिक इस क्षेत्र की करीब 18 से 20 फीसदी आबादी राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखती है, बताया जाता है कि जसवंत सिंह जसोल की इस क्षेत्र में ठीक-ठाक पकड़ है और अलग-अलग कारणों से प्रदेश भाजपा से खासे नाराज़ चल रहे राजपूत समुदाय की भी पूरी सहानुभूति अपने नेता और उसके परिवार के साथ है ।
इसके अलावा भी जसोल परिवार की छवि एक जाति विशेष की बजाय सर्व समाज के हितैषी के तौर पर ज्यादा पहचानी जाती है, पिछले दिनों चित्रा सिंह ने राजे की गौरव यात्रा के दौरान जैसलमेर में प्रस्तावित ‘क्षत्राणी सम्मेलन’ का नाम बदलकर इसे छत्तीस कौम का ‘शक्ति सम्मेलन’ करने को मजबूर कर दिया था ।
चित्रा सिंह इस रैली के लिए पश्चिमी राजस्थान के गांव-कस्बों में न्योता दे रही थी, मानवेंद्र फिर भी बीजेपी और पार्टी नेतृत्व के खिलाफ ज्यादा नहीं बोलते थे, लेकिन चित्रा सिंह हर मौके पर मुखर रही, खासकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ रैली के दौरान भी उन्होंने पार्टी नेतृत्व के लिए तानाशाह जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया ।
चित्रा सिंह ने बीजेपी के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली, लेकिन ऐसा नहीं है कि उन्हें मनाने की कोशिशें नहीं कि गई, ये जरूर है कि ये कोशिशें तब जाकर शुरू हुई जब उन्होंने बगावती तेवर दिखाने शुरू किए, जसवंत सिंह का जिक्र करते हुए चित्रा ने कहा कि जिसने भाजपा को खड़ा किया उसका टिकट काट दिया था, जो लड़ाई 2014 के चुनाव में शुरू हुई थी उसको ख़त्म करने का समय आ गया है ।
बाडमेर में युवा आक्रोश रैली में चित्रा ने कहा कि वसुंधरा राजे यात्रा गौरव यात्रा निकाल रही हैं लेकिन किस बात का गौरव है, पांच साल पहले सुराज यात्रा निकाली थी लेकिन इन 5 सालों के दौरान बाडमेर और जैसलमेर के निर्दोष लोगों को झूठे मुकदमे में फंसाया गया, फिर किस बात की गौरव यात्रा है,उन्होंने आगे कहा कि ऐसी सरकार को हमें आने वाले दिनों में उखाड़ फेंकना है ।
चित्रा सिंह के श्वसुर जसवंत सिंह जसोल बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं, वाजपेयी सरकार में वे वित्त और विदेश जैसे अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं, एक समय वे अटल बिहारी वाजपेयी के सबसे विश्वस्त सिपहसालार थे, आज भले ही वसुंधरा राजे उनसे अदावत रखती हों, लेकिन एक राज्य मंत्री से राजस्थान में नेतृत्व का श्रेय भैरों सिंह शेखावत और जसवंत सिंह जसोल को ही है ।
लेकिन इन दिग्गजों ने वसुंधरा राजे को समझने में शायद कुछ वैसी ही भूल कर दी जैसी 1966-67 में इंदिरा गांधी को कांग्रेसी दिग्गजों ने 'गूंगी गुड़िया' समझने की गलती की थी, बाद में बात इतनी बिगड़ी कि भैंरों सिंह, जसवंत सिंह और राजनाथ सिंह वसुंधरा के खिलाफ हो गए, पर तब तक वसुंधरा ने राजस्थान में अपना कद इस तरह का तैयार किया कि कोई उनका बाल बांका नहीं कर सके ।
हालात ये हो गए कि 2014 में जसवंत सिंह का ही टिकट काट दिया, उनकी जगह कांग्रेस से बीजेपी में लाए गए उनके सबसे बड़े राजनीतिक शत्रु कर्नल सोनाराम को चुनाव लड़वाया, और पिछले 4 साल में मानवेंद्र सिंह को भी विधायक होने के बावजूद पार्टी में अलग-थलग कर दिया, नाराजगी की सबसे बड़ी वजह यही थी ।
जसवंत सिंह 2014 से ही बीमार हैं और अब उनकी राजनीतिक विरासत मानवेंद्र सिंह तथा चित्रा सिंह को ही संभालनी है, फिलहाल राज्य में बीजेपी नेतृत्व के खिलाफ राजपूतों में नाराजगी भी बढ़ रही है, मानवेंद्र अब अपनी लगातार उपेक्षा और विरोधियों को तरजीह का बदला राजपूत नाराजगी को उभार कर लेना चाहते हैं, उनकी कोशिश है कि उनकी राजनीतिक लड़ाई को राजपूत बनाम वसुंधरा का रंग मिल जाए ताकि वे सहानुभूति हासिल कर सकें ।
4 साल तक जसोल परिवार को उपेक्षित करने वाली बीजेपी के लिए अब सबसे मुश्किल घड़ी है, मेवाड़ संभाग में पहले ही रणवीर सिंह भींडर जनता सेना बना कर अपना दबदबा कायम कर चुके हैं, इनके दबदबे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वल्लभ नगर में मुख्यमंत्री की सभा मे भींडर ने बीजेपी का एक भी झंडा नहीं लगने दिया था ।
चूँकि अब मानवेन्द्र कांग्रेस में शामिल ही चुके हैं कयास ये लगाये जा रहे हैं की वे लोक सभा का ही चुनाव लड़ेगे इसमें चित्रा सिंह उनका कंथे से कंथा मिलाकर साथ देगी तथा महिला सशक्तिकरण का प्रयास करेगी ।
0 comments:
Post a comment