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आज तक आप सभी को ये ही बताया गया हे की, भले ही दुनिया में मुस्लिम धर्म के लोगों की संख्या ज्यादा हो लेकिन एक ऐसा देश भी है जहां पर एक भी मुसलमान नहीं रहता है, ये देश कोई मामूली देश नहीं है बल्कि पूरी दुनिया में इसकी सफलता का परचम लहराता है।
इस देश का नाम जापान है और ऐसा कभी नहीं हुआ तक किसी मुस्लिम देश के प्रधानमंत्री या किसी बड़े नेता ने इस देश में यात्रा की हो, दुनिया में जापान ही एकमात्र ऐसा देश है जहां पर एक भी मुसलमान नहीं रहता है और इस देश में एक भी मुसलमान को जापानी नागरिकता नहीं दी जाती है, जापान में अब किसी भी मुसलमान को स्थायी रूप से रहने की इजाजत नहीं दी जाती है, यहां पर इस्लाम के प्रचार-प्रसार पर भी प्रतिबंध है, इस देश के विश्वविद्यालयों में अरबी या अन्य इस्लामिक राष्ट्र भाषाएं नहीं पढ़ाई जाती हैं।
जापान ही दुनिया का एक ऐसा देश है जहां पर मुस्लिम देशों के दूतावास ना के बराबर हैं और ये देश इस्लाम के प्रति कोई रूचि नहीं रखता है, अगर कोई बाहरी कंपनी यहां पर मुस्लिम डॉक्टर, इंजीनियर या प्रबंधक भेजती है तो जापान सरकार उन्हें देश में प्रवेश की अनुमति नहीं देती है, अधिकतर जापानी कपंनियों ने अपने नियमों में ये स्पष्ट लिख दिया है कि कोई मुसलमान उनके यहां नौकरी के लिए आवेदन ना करे।
इस मामले में जापानी सरकार का मानना है कि मुसलमान कट्टरवाद के पर्याय हैं और आज के वैश्विक दौर में भी वो अपने पुराने नियम बदलना नहीं चाहती है, यहां पर किसी मुसलमान को किराए पर घर तक नहीं मिल सकता है।
लेकिन इसके बारे में भ्रांतियाँ भी फैली हुई है आइये आज हम उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।
प्रशन - क्या आपने कभी किसी अख़बार में यह भी पढ़ा है कि ईरान या सउदी अरब के राजा ने जापान कि यात्रा कि हो?
उत्तर- जापान के कई नेता मुस्लिम देशो की यात्रा पर जाते है और कई मुस्लिम देशो समेत दुनिया के हर देश कुछ देश के राष्ट्रा अध्यक्ष जापान की यात्रा पर आते रहते हैं उनमे से कुछ का विवरण निम्न प्रकार है।
1- हाफ़िज़ वहबा सौदी के दूत थे जो टोकियो मस्ज़िद के आधार शीला रखने गये थे।
2-सुल्तान बिन अब्दुल अज़ीज़ जापान गये
3-फ़ैसल बिन अब्दुल अज़ीज़ जापान गये ।
4- प्रिन्स अब्दुल्लाह विज़िटेड जापान इन 1998।
5- जापानी प्रिन्स अकिहितो सौदी अरेबिया गये थे।
6- प्रिन्स नरिहितो मे के एस ए ( सौदी अरेबिया) का दौरा किए ।
7- सयेद अहमद खतामी ईरान के राष्ट्र पति ने अक्टोबर 2000 मे जापान की सरकारी यात्रा पर अगये थे।
प्रशन - दुनिया में जापान ही एकमात्र ऐसा देश है जो मुसलमानों को जापानी नागरिकता नहीं देता अथवा जापान में अब किसी भी मुस्लमान को स्थायी रूप से रहने कि इजाजत नहीं दी जाती है, जापान में इस्लाम के प्रचार-प्रसार पर कड़ा प्रतिबन्ध है ।
उत्तर- यह तो सत्य है कि पड़ोस के चीन और विएतनाम के लोगो की जनसख्या नागरिकता दिए जाने मे ज़्यादा है मगर यह भी सत्य है कि इंडोनेषिया,ईजिप्ट,पाकिस्तान और पाकिस्तान जहा 10% से ज़्यादा मुस्लिम आबादी है , वाहा के लोगो को भी हर साल सैकड़ो के तादाद मे नागरिकता दी जाती है जो मुस्लिम ही है, एक अध्ययन के अनुसार , मुस्लिम नागरिकता लेने वालो मे ज़्यादा, इंडोनेषिया (34%) पाकिस्तानी (15%) और बांग्लादेशी (10%) है।
प्रशन - सरकारी आकड़ों के अनुसार, जापान में केवल दो लाख मुसलमान है, और ये भी वही है जिन्हें जापान सरकार ने नागरिकता प्रदान कि है।
उत्तर- ग़लत आकड़ा है, दो लाख तो अस्थाई निवास वीसा है , इस मे लोकल जापानी मुस्लिमो की जनसंख्या वर्णित नही है ।
प्रशन - जापान विश्व का ऐसा देश है जहाँ मुस्लिम देशों के दूतावास न के बराबर है ।
उत्तर – सच यह है कि हर देश के तकरीबन सभी दूतावास है ।
प्रशन - जापानी इस्लाम के प्रति कोई रूचि नहीं रखते, आज वहा जितने भी मुसलमान है वे विदेशी कंपनियों के कर्मचारी ही है, परन्तु आज कोई बाहरी कंपनी अपनें यहाँ के मुस्लिम डाक्टर, इंजीनियर या प्रबंधक आदि को जापान में भेजती है तो जापान सरकार उन्हें जापान में प्रवेश कि अनुमति नहीं देती है ।
उत्तर- हर साल नये नये जापानी लोग इस्लाम कबूल कर रहे है और सिर्फ़ लोकल जापानी कई हज़ार की तादाद मे हर साल बढ़ रहे है, दो लाख तो रेसिडेन्स वीसा पर विदेशी मुस्लिम है।
प्रशन - अधिकतर जापानी कंपनियों ने अपने नियमों में यह स्पष्ट लिख दिया है कि कोई मुसलमान उनके यहाँ नौकरी के लिए आवेदन न करे।
उत्तर- किसी भी सरकरी या गैर सरकारी नौकरी फॉर्म मे धर्म का कॉलम होता नही है और धर्म और नसल के आधार पर अगर कोई भेदभाव करता है तो जापानी कोर्ट बहुत सज़ा देती है, इस लिए उपरोक्त बात भी एक बहुत अफवाह है, हर साल सैकड़ो मुस्लिमो को जापान मे जॉब मिलती है ।
प्रशन - जापान सरकार यह मानती है कि मुसलमान कट्टरवाद के पर्याय है, इसलिए आज के वैश्विक दौर में भी वे अपने पुराने नियम बदलना नहीं चाहती ।
उत्तर –जापान का मुस्लिम देशो के साथ विशेष तौर से सौदी और यू ए ई और ब्रुनई के साथ सैकड़ो साल पुराना और प्रगाढ़ संबंध है, और कई मुस्लिम देशो के साथ और बढ़ती जा रही है, साथ ही मुस्लिमो को ज़्यादा से ज़्यादा सुविधा जैसे हलाल मीट और हज इत्यादि की सुविधा बढ़ाती जा रही है।
प्रशन - जापान में किराये पर किसी मुस्लिम को घर मिलेगा, इसकी तो कल्पना भी नहीं कि जा सकती, यदि किसी जापानी को उसके पडौस के मकान में मुस्लिम के किराये पर रहने कि खबर मिल जाये तो सारा मौहल्ला सतर्क हो जाता है।
उत्तर- यह भी अफवाह है ।
प्रशन - जापान में कोई इस्लामी या अरबी मदरसा नहीं खोल सकता।
उत्तर- सारे मदरसा, इस्लामिक सेंटर और मस्ज़िद मौजूद है इस मे सरकार कोई भी रुकावट नही डालती है क्योंकि संबिधान के अनुसार सरकार को किसी धार्मिक क्रिया और उसके प्रासार मे दखल अंदाज़ी का अधिकार नही है और यही वजह है कि इस्लाम तेज़ी के साथ लोगो का अज़ीज़ बनता जा रहा है और लोग खूब अपना रहे है।
ये बात ओर हे की जापान के लोग समय के बहुत पाबंद होते हैं, अपने पूरे दिन में ये हर काम को समय के हिसाब से करते हैं, सबसे खास बात तो ये है कि समय की पाबंदी के लिए इनकी कोई मजबूरी नहीं है बल्कि जन्म से ही इन्हें ये सब सिखाया जाता है, ये लोग अपने काम को कभी देर से नहीं करते हैं, इसके अलावा जापानियों में और भी कई खास बातें होती हैं।
इसी के साथ जापानी चंद सिक्कों के लालच में अपने पंथ का सौदा नहीं करते, बड़ी से बड़ी सुविधा का लालच दिया जाए तब भी वे अपने पंथ के साथ धोखा नहीं करते हैं, जापान में 'पर्सनल ला' जैसा कोई शगूफा नहीं है, जापानियों को इसकी तनिक भी चिंता नहीं है कि कोई उनके बारे में क्या सोचता है।
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