किडनी मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग
किडनी मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, स्त्री और पुरुष दोनों के शरीर में सामान्यत: दो किडनी होती है, किडनी की खराबी, किसी गंभीर बीमारी या मौत का कारण भी बन सकता है।
किडनी शरीर का खून साफ कर पेशाब बनाती है, शरीर से पेशाब निकालने का कायॅ मूत्रवाहिनी, मूत्राशय और मूत्रनलिका द्वारा होता है।
किडनी पेट के अंदर, पीछे के हिस्से में, रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ (पीठ के भाग में), छाती की पसलियों के सुरक्षित तरीके से स्थित होती है ।
किडनी, पेट के भीतरी भाग में स्थित होती हैं जिससे वे सामान्यतः बाहर से स्पर्श करने पर महसूस नहीं होती।
किडनी, राजमा के आकर के एक जोड़ी अंग हैं, वयस्कों में एक किडनी लगभग 10 सेंटीमीटर लम्बी, 6 सेंटीमीटर चौडी और 4 सेंटीमीटर मोटी होती है, प्रत्येक किडनी का वजन लगभग 150 - 170 ग्राम होता है।
किडनी द्वारा बनाए गये पेशाब को मूत्राशय तक पहुँचानेवाली नली को मूत्रवाहिनी कहते हैं, यह सामान्यत: 25 सेंटीमीटर लम्बी होती है और विशेष प्रकार की लचीली मांसपेशियों से बनी होती है।
किडनी मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग
खून साफ करने के अलावा भी किडनियों के कई काम हैं और यही वजह है कि इनमें खराबी भी कई तरह के लक्षणों से सामने आती है ।
किडनी एक बेहद स्पेशलाइज्ड अंग है, इसकी रचना में लगभग तीस तरह की विभिन्न कोशिकाएं लगती हैं, यह बेहद पतली नलियों का अत्यंत जटिल फिल्टर है जो हमारे रक्त से पानी, सोडियम, पोटेशियम तथा ऐसे अनगिनत पदार्थों को साफ करके पेशाब के जरिए बाहर करता है ।
यह फिल्टर इस मामले में अद्भुत है कि यहां से जो भी छनकर नली से नीचे आता है उसे किडनी आवश्यकतानुसार वापस रक्त में खींचता भी रहती हैं, और ऐसी पतली फिल्ट्रेशन नलियों की तादाद होती है? एक गुर्दे में ढाई लाख से लगाकर नौ लाख तक नेफ्रान या नलियां रहती हैं, हर मिनट लगभग एक लीटर खून इनसे प्रवाहित होता है ताकि किडनी इस खून को साफ कर सके ।
कई लक्षण हैं जो किडनी फेल्योर की ओर इंगित करते हैं, निम्नलिखित स्थितियों में किडनी की बीमारी या किडनी के ठीक से काम न करने की आशंका रहती है-
यदि शरीर में सूजन रहने लगे- विशेष तौर पर यह सूजन चेहरे से शुरू हो रही हो, यदि चेहरे पर न होकर मात्र पांवों पर हो या चेहरे और पांवों दोनों पर हो तब भी तुरंत ही डॉक्टर से मिलकर अपना संदेह बताएं ।
खून का बनना - यदि आपको खून की कमी (अनीमिया) के लक्षण हैं, जांच में हीमोग्लोबिन भी कम है तो सतर्क हो जाएं, विशेष तौर पर तब तो जरूर जब पूरे इलाज के बाद भी लौट-लौट कर पुन: अनीमिया हो जाता हो, ऐसे में किडनी की जांच की आवश्यकता है ।
यदि भूख खत्म हो गई हो - वजन गिर रहा हो, बेहद थकान लगी रहती हो तो यह किडनी फेल्योर से भी हो सकता है, बार-बार उल्टियां हो जाती हैं तो यह गैस्ट्रिक या पीलिया के कारण ही नहीं, गुर्दों की बीमारी से भी हो सकता है ।
उच्च रक्तचाप की बीमारी हो - आजकल ब्लड प्रेशर भी बढ़ा रहता हो और डॉक्टर द्वारा दवाइयां बढ़ा-बढ़ाकर देने के बाद भी कंट्रोल न हो रहा हो तो ऐसा किडनी के काम न करने के कारण भी हो सकता है, किडनी के फेल्योर की आशंका के प्रति हमेशा सतर्क रहें, जितनी जल्दी पता लगे उतना ही इसे बढ़ने से रोका जा सकता है ।
किडनी की बीमारी के कारण -
पर्याप्त पानी नहीं पीना –किडनियों का सबसे ज़रूरी काम खून को फिल्टर करके उसमें से वेस्ट मैटेरियल को पेशाब के रास्ते बाहर निकालना है, जब हम पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते हैं तो वेस्ट मैटेरियल और टॉक्सिन्स का शरीर में जमाव बढ़ता जाता है और इससे शरीर को नुकसान पहुंच सकता है ।
भोजन में अधिक नमक लेना –शरीर को काम करते रहने के लिए सोडियम या नमक की ज़रूरत होती है, ज्यादातर लोग भोजन में नमक अधिक मात्रा में लेते हैं या दिन भर स्नैक्स खाते रहते हैं जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और किडनियों पर काम का दबाव बढ़ जाता है ।
पेशाब को रोकना –हम लोग कई बार किसी मजबूरी के कारण या अपने कामकाज में अटके रहने के कारण पेशाब करना टालने लगते हैं, बार-बार पेशाब रोकने से किडनी सें स्टोन होने से लेकर किडनियां फेल होने तक के कॉम्प्लीकेशन हो सकते हैं ।
कम सोना –सभी जानते हैं कि रात को भरपूर नींद लेना कितना ज़रूरी है, लंबी अवधि से हो रही नींद की गिरावट कई प्रकार के रोगों को जन्म दे सकती है और इस लिस्ट में किडनी से जुड़े रोग भी होते हैं, रात को नींद के दौरान हमारा शरीर किडनी के टिशूज़ में आई गड़बड़ियों को रिपेयर करता है, अपनी नींद को नज़रअंदाज नहीं कीजिए और किडनियों को सेल्फ-रिपेयर करने का मौका दीजिए ।
अधिक शराब पीना –कभी-कभार मनबहलाव के लिए एक-दो पैग शराब या बीयर पीना अब कल्चर बनता जा रहा है और इसे बुरा नहीं माना जाता लेकिन सभी को यह पता होना चाहिए कि कितने ड्रिंक्स के बाद रूकना ज़रूरी है, एल्कोहल वास्तव में एक केमिकल और टॉक्सिन ही है और इसे अनियंत्रित मात्रा में लेने से गंभीर नुकसान पहुंचता है ।
किडनी शरीर का खून साफ कर पेशाब बनाती है, शरीर से पेशाब निकालने का कायॅ मूत्रवाहिनी, मूत्राशय और मूत्रनलिका द्वारा होता है।
किडनी पेट के अंदर, पीछे के हिस्से में, रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ (पीठ के भाग में), छाती की पसलियों के सुरक्षित तरीके से स्थित होती है ।
किडनी, पेट के भीतरी भाग में स्थित होती हैं जिससे वे सामान्यतः बाहर से स्पर्श करने पर महसूस नहीं होती।
किडनी, राजमा के आकर के एक जोड़ी अंग हैं, वयस्कों में एक किडनी लगभग 10 सेंटीमीटर लम्बी, 6 सेंटीमीटर चौडी और 4 सेंटीमीटर मोटी होती है, प्रत्येक किडनी का वजन लगभग 150 - 170 ग्राम होता है।
किडनी द्वारा बनाए गये पेशाब को मूत्राशय तक पहुँचानेवाली नली को मूत्रवाहिनी कहते हैं, यह सामान्यत: 25 सेंटीमीटर लम्बी होती है और विशेष प्रकार की लचीली मांसपेशियों से बनी होती है।
किडनी मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग
खून साफ करने के अलावा भी किडनियों के कई काम हैं और यही वजह है कि इनमें खराबी भी कई तरह के लक्षणों से सामने आती है ।
किडनी एक बेहद स्पेशलाइज्ड अंग है, इसकी रचना में लगभग तीस तरह की विभिन्न कोशिकाएं लगती हैं, यह बेहद पतली नलियों का अत्यंत जटिल फिल्टर है जो हमारे रक्त से पानी, सोडियम, पोटेशियम तथा ऐसे अनगिनत पदार्थों को साफ करके पेशाब के जरिए बाहर करता है ।
यह फिल्टर इस मामले में अद्भुत है कि यहां से जो भी छनकर नली से नीचे आता है उसे किडनी आवश्यकतानुसार वापस रक्त में खींचता भी रहती हैं, और ऐसी पतली फिल्ट्रेशन नलियों की तादाद होती है? एक गुर्दे में ढाई लाख से लगाकर नौ लाख तक नेफ्रान या नलियां रहती हैं, हर मिनट लगभग एक लीटर खून इनसे प्रवाहित होता है ताकि किडनी इस खून को साफ कर सके ।
कई लक्षण हैं जो किडनी फेल्योर की ओर इंगित करते हैं, निम्नलिखित स्थितियों में किडनी की बीमारी या किडनी के ठीक से काम न करने की आशंका रहती है-
यदि शरीर में सूजन रहने लगे- विशेष तौर पर यह सूजन चेहरे से शुरू हो रही हो, यदि चेहरे पर न होकर मात्र पांवों पर हो या चेहरे और पांवों दोनों पर हो तब भी तुरंत ही डॉक्टर से मिलकर अपना संदेह बताएं ।
खून का बनना - यदि आपको खून की कमी (अनीमिया) के लक्षण हैं, जांच में हीमोग्लोबिन भी कम है तो सतर्क हो जाएं, विशेष तौर पर तब तो जरूर जब पूरे इलाज के बाद भी लौट-लौट कर पुन: अनीमिया हो जाता हो, ऐसे में किडनी की जांच की आवश्यकता है ।
यदि भूख खत्म हो गई हो - वजन गिर रहा हो, बेहद थकान लगी रहती हो तो यह किडनी फेल्योर से भी हो सकता है, बार-बार उल्टियां हो जाती हैं तो यह गैस्ट्रिक या पीलिया के कारण ही नहीं, गुर्दों की बीमारी से भी हो सकता है ।
उच्च रक्तचाप की बीमारी हो - आजकल ब्लड प्रेशर भी बढ़ा रहता हो और डॉक्टर द्वारा दवाइयां बढ़ा-बढ़ाकर देने के बाद भी कंट्रोल न हो रहा हो तो ऐसा किडनी के काम न करने के कारण भी हो सकता है, किडनी के फेल्योर की आशंका के प्रति हमेशा सतर्क रहें, जितनी जल्दी पता लगे उतना ही इसे बढ़ने से रोका जा सकता है ।
किडनी की बीमारी के कारण -
पर्याप्त पानी नहीं पीना –किडनियों का सबसे ज़रूरी काम खून को फिल्टर करके उसमें से वेस्ट मैटेरियल को पेशाब के रास्ते बाहर निकालना है, जब हम पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते हैं तो वेस्ट मैटेरियल और टॉक्सिन्स का शरीर में जमाव बढ़ता जाता है और इससे शरीर को नुकसान पहुंच सकता है ।
भोजन में अधिक नमक लेना –शरीर को काम करते रहने के लिए सोडियम या नमक की ज़रूरत होती है, ज्यादातर लोग भोजन में नमक अधिक मात्रा में लेते हैं या दिन भर स्नैक्स खाते रहते हैं जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और किडनियों पर काम का दबाव बढ़ जाता है ।
पेशाब को रोकना –हम लोग कई बार किसी मजबूरी के कारण या अपने कामकाज में अटके रहने के कारण पेशाब करना टालने लगते हैं, बार-बार पेशाब रोकने से किडनी सें स्टोन होने से लेकर किडनियां फेल होने तक के कॉम्प्लीकेशन हो सकते हैं ।
कम सोना –सभी जानते हैं कि रात को भरपूर नींद लेना कितना ज़रूरी है, लंबी अवधि से हो रही नींद की गिरावट कई प्रकार के रोगों को जन्म दे सकती है और इस लिस्ट में किडनी से जुड़े रोग भी होते हैं, रात को नींद के दौरान हमारा शरीर किडनी के टिशूज़ में आई गड़बड़ियों को रिपेयर करता है, अपनी नींद को नज़रअंदाज नहीं कीजिए और किडनियों को सेल्फ-रिपेयर करने का मौका दीजिए ।
अधिक शराब पीना –कभी-कभार मनबहलाव के लिए एक-दो पैग शराब या बीयर पीना अब कल्चर बनता जा रहा है और इसे बुरा नहीं माना जाता लेकिन सभी को यह पता होना चाहिए कि कितने ड्रिंक्स के बाद रूकना ज़रूरी है, एल्कोहल वास्तव में एक केमिकल और टॉक्सिन ही है और इसे अनियंत्रित मात्रा में लेने से गंभीर नुकसान पहुंचता है ।
दैनिक चमकता राजस्थान
Dainik Chamakta Rajasthan e-paper and Daily Newspaper, Publishing from Jaipur Rajasthan
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