नाथद्वारा राजस्थान के इतिहास में एक बार फिर चर्चा में तब आया जब कल्याण सिंह ने साल 2008 में कांग्रेस के नेता सीपी जोशी को हराया था, यह वह समय था, जब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के नेता सीपी जोशी के बीच राजस्थान की कांग्रेस पार्टी में मुख्यमंत्री के लिए अघोषित रूप से सियासी युद्ध चल रहा था।
गहलोत जहां दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के लिए लालायित थे, वहीं पार्टी के लिए काफी समय से जी-जान से जुटे जोशी को पार्टी के बड़े नेताओं सहित अधिकांश कार्यकर्ताओं का साथ मिल रहा था।
इसी कश्मकश के बीच 2008 का विधानसभा चुनाव हुआ, जिसका परिणाम आने के साथ ही सभी की धड़कनें तेज हो गईं।
सबको यह लग रहा था कि राज्य के अगले मुख्यमंत्री सीपी जोशी ही होंगे, तब, बकौल जोशी स्वयं उनको भी अपनी जीत के साथ मुख्यमंत्री बनने की तकरीबन पूरी उम्मीद थी, जैसे-जैसे राज्य में चुनाव परिणाम सामने आ रहे थे, त्यों-त्यों बीजेपी के साथ कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं के दिलों की धड़कनें तेज हो रही थीं।
जोधपुर के दिग्गज अशोक गहलोत विधानसभा क्षेत्र सरदारपुरा से जीत चुके थे, लेकिन उनके सामने सीपी जोशी की चुनौती अभी खड़ी थी, नाथद्वारा राजस्थान की प्रमुख धार्मिक नगरी है, लेकिन चुनाव मे श्रीनाथजी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री सीपी जोशी से नाराज थे वरना नाथद्वारा का इतिहास बदल गया होता।
एक वोट से विधानसभा चुनाव हार जाने के कारण बेचारे जोशी जी राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर बैठने से वंचित रह गये थे, तब वो कांग्रेस मे प्रदेशाध्यक्ष पद पर राजस्थान के एक दमदार नेता हुआ करते थे।
मगर आज स्थिति बदल गयी है अब वो मुख्यमंत्री के पद के दावेदार नही रह गये है, संभवत: गहलोत भी तब नाथद्वारा के नाथ श्रीनाथजी से जोशी पर खुद की जीत के लिए प्रार्थना कर रहे होंगे, परिणाम जानकर पूरी पार्टी सकते में थी, तो अशोक गहलोत की खुशी का ठिकाना नहीं था, पार्टी के भीतर उनके रास्ते का सबसे बड़ा कांटा निकल चुका था।
इधर, सीपी जोशी को एक वोट से हराने वाले बीजेपी के विधायक कल्याण सिंह चौहान अचानक पूरी राष्ट्रीय राजनीति में छा गए, अब तक सियासी रूप से गर्त में रहे चौहान जहां अपनी जीत पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे।
वहीं जोशी पर आसमान टूट पड़ा था, कांग्रेस ने घपला करार देते हुए रिकाउंटिंग करवाने की मांग की, देश की सांसद-विधायकी में इतिहास लिखा जा चुका था, तो बीजेपी चुनाव परिणाम में सरकार बनाने की होड़ में पिछड़ने के बाद भी कल्याण सिंह चौहान हीरो बन चुके थे।
बाद में सामने आया कि खुद जोशी के परिवार में उनकी पत्नी सहित किसी ने वोट नहीं दिया था, इसके बाद साल 2013 में कल्याण सिंह ने अपने प्रतिस्पर्धी को फिर मात दी।
कल्याण सिंहजी की असामयिक मृत्यु के बाद खाली सी हुई सीट पर प्रदेश भाजपा में नए नेताओं का पार्टी ज्वाइन करने दौर जारी है, नाथद्वारा के निकट कोठारिया राजपरिवार के प्रमुख ठाकुर महेश प्रताप सिंह चौहान ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ भाजपा प्रदेश कार्यालय में आकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
वे 13 साल पहले भाजपा को छोड़ गए थे, कांग्रेस पर गुटबाजी का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें वहां घुटन महसूस हो रही थी, वहां कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं है, सीएम वसुन्धरा राजे, प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश माथुर, प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना, चुनाव प्रभारी प्रकाश जावडेकर, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी की मौजूदगी में उन्होंने सदस्यता ग्रहण की, चौहान के चाचा शिवदान सिंह दो बार विधायक रहे हैं।
इसके अलावा महेशप्रताप सिंह पूर्व विधायक शिवदान सिंह भतीजे है, पूर्व विधायक शिवदान सिंह कांग्रेस नेता डॉ सीपी जोशी को चुनाव हरा चुके है, पूर्व में भैंरोसिंह सरकार में भी वे मंत्री रहे हैं, चौहान पृथ्वीराज चौहान के वंशज हैं।
वे राजसमंद जिले के भाजयुमो अध्यक्ष व राजसमंद जिला परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं, नाथद्वारा के भाजपा विधायक कल्याण सिंह चौहान के हाल ही में हुए निधन के बाद अब ठाकुर महेश प्रताप सिंह चौहान को यहां से टिकट दिए जाने की चर्चाएं हैं।
ढाई लाख मतदाताओं के क्षेत्र मे अकेले राजपूतों के लगभग अस्सी हजार वोटो के दम पर ठाकुर महेश प्रताप सिंह चौहान ये सीट निकालने मे सक्षम है ।
ढाई लाख मतदाताओं के क्षेत्र मे अकेले राजपूतों के लगभग अस्सी हजार वोटो के दम पर ठाकुर महेश प्रताप सिंह चौहान ये सीट निकालने मे सक्षम है ।
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