चीन ने ऐसा कृत्रिम सूरज बनाया है, जिसका तापमान असली सूरज से तीन गुना ज्यादा होगा. असली सूरज से तिगुना गर्म ये आर्टिफिशियल सूरज चीन के इंस्टिट्यूट ऑफ फिजिकल साइंस के वैज्ञानिकों ने बनाया है. इसे द एक्सपेरिमेंटल एडवांस सुपरकंडक्टिंग टोकामाक नाम दिया गया है.
चीन ने अपने जिस फ्यूजन न्यूक्लियर रिएक्टर में सूरज से भी ज्यादा गर्मी पैदा की है, उसकी ऊंचाई 11 मीटर, व्यास 8 मीटर और वजन करीब 360 टन है। इस प्रोजेक्ट का नाम EAST (एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपरकंडक्टिंग तोकामाक) है। साइंटिस्ट्स इस फ्यूजन में जितनी गर्मी पैदा करने का दावा कर रहे हैं, वो असली सूर्य के मुकाबले करीब 6 गुना ज्यादा है।
आर्टिफिशियल सूरज बनाने के लिए हाइड्रोजन गैस को 5 करोड़ डिग्री सेल्सियस के तापमान पर गर्म कर, उस तापमान को 102 सेकंड तक स्थिर रखा गया. असली सूरज में हीलियम और हाइड्रोजन जैसी गैसें उच्च तापमान पर और ज्यादा एक्टिव हो जाती हैं. इस तापमान को पाने के लिए कई सालों तक प्रयोग किए गए. कई बार ऐसा भी हुआ कि न्यूक्लियर फ्यूज़न चैंबर का कोर इतने तापमान से पिघल गया.
ड्यूटेरियम और ट्रिटियम हाइड्रोजन रेडियोएक्टिव आइसोटोप्स से सूरज में प्रकाश और तापमान बनता है. सूर्य में हीलियम परमाणु संलयन (फ्यूजन) के दौरान भी ऊर्जा निकलती है. कृत्रिम सूरज में भी इसी प्रक्रिया को अपनाया गया है. सूरज बनाने के दौरान इसके परमाणु को प्रयोगशाला में विखंडित किया गया. प्लाज्मा विकिरण से सूर्य के औसत तापमान से तापमान पैदा किया गया था.
फिर उस तापमान से फ्यूजन यानी संलयन की प्रतिक्रिया हासिल की गई. जिस इसी आधार पर अणुओं का विखंडन हुआ, जिससे उन्होंने ज्यादा मात्रा में ऊर्जा छोड़ी. फिर इस प्रक्रिया को अधिक समय तक लगातार कायम रखा गया. यह अविष्कार उस प्रोजेक्ट का हिस्सा है जिसके तहत न्यूक्सियर फ्यूजन से साफ-सुथरी व अच्छी एनर्जी प्राप्त की जा सके.
माना जा रहा है कि इस सूरज से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी. ये भी माना जा रहा है कि इस सूरज में उत्पन्न की गई नाभिकीय ऊर्जा को विशेष तकनीक से पर्यावरण के लिये सुरक्षित ग्रीन ऊर्जा में बदला जा सकेगा. जिससे धरती पर ऊर्जा का बढ़ता संकट तरीकों से दूर किया जा सकेगा.
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर मैथ्यू होल ने इस प्रोजेक्ट को लेकर कहा कि न्यूक्लियर फ्यूजन साइंस की तरक्की के लिए लिए चीन का ये कदम बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि चीन के परमाणु संलयन कार्यक्रम और पूरी दुनिया के विकास की दिशा में निश्चित रूप से ये बेहद महत्वपूर्ण कदम है। उनके मुताबिक इस प्रोजेक्ट में बिना रेडियोएक्टिव कचरा उत्पन्न किए और बिना ग्रीनहाउस गैसों उत्सर्जन किए, बड़े पैमाने पर ऊर्जा उत्पन्न होगी, जिससे दुनिया में ऊर्जा की कमी की समस्या को दूर किया जा सकेगा। प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों के मुताबिक ये आर्टिफिशियल सूरज साल 2025 तक काम करना शुरू कर देगा। इससे पहले चीन ने पिछले महीने साल 2020 में 'आर्टिफिशियल मून' लॉन्च करने की बात कहते हुए दुनिया को चौंका दिया था।
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