पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान बुधवार को भारत और पाकिस्तान से आपसी विवाद को सुलझा कर बेहतर पड़ोसी बनने के लिए साथ आने की अपील की। पाकिस्तान के नरोवाल में करतारपुर कॉरिडोर की आधारशिला रखते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ, यहां के सभी दल और पाकिस्तानी सेना सभी एक साथ खड़े हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू मंगलवार को ही पाकिस्तान पहुंच गए. हालांकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अलग-अलग कारणों से करतारपुर कॉरिडोर की आधारशिला रखे जाने के कार्यक्रम में शामिल होने से मना कर दिया था. जबकि सिद्धू ने निमंत्रण को स्वीकार कर लिया.
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सोमवार को पंजाब के गुरदासपुर करतारपुर कॉरिडोर की आधारशिला रखी थी. इस कॉरिडोर के जरिए सिख श्रद्धालु पाकिस्तान स्थित करतारपुर के गुरुद्वारा दरबार साहिब आसानी से जा सकेंगे. यह गुरुद्वारा सिखों के लिए बड़ा महत्व रखता है क्योंकि गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के 18 साल यहां गुजारे थे.
दूसरी ओर, करतारपुर साहिब गलियारे की आधारशिला रखे जाने के कार्यक्रम के लिए कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के पाकिस्तान जाने के फैसले की आलोचनाओं के बीच मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने सहयोगी से इस पर फिर से विचार करने को कहा था.
उन्होंने कहा कि उन्होंने अनुमति के लिए सिद्धू का अनुरोध इसलिए स्वीकार कर लिया क्योंकि वह किसी को ‘निजी यात्रा’करने से मना नहीं कर सकते हैं. अमरिंदर ने कहा, 'सिद्धू ने मुझे बताया कि वह पहले ही जाने का वादा कर चुके हैं. जब मैंने उन्हें इस मुद्दे पर अपने रुख से अवगत कराया तो उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिगत यात्रा है, लेकिन वह मुझसे बात करेंगे, लेकिन अभी तक मेरी उनसे कोई बातचीत नहीं हुई है.'
पाकिस्तान में करतारपुर साहिब कॉरिडोर के शिलान्यास के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू बोले कि हिंदुस्तान जीवे, पाकिस्तान जीवे. उन्होंने कहा कि मुझे कोई डर नहीं, मेरा यार इमरान जीवे. सिद्धू ने कहा कि सभी को अपनी सोच बदलनी पड़ेगी, तभी शांति कायम होगी. उन्होंने कहा कि अब खून-खराबा बंद होना चाहिए, दोस्ती का पैगाम आगे बढ़ना चाहिए. अब तक बहुत नुकसान हो गया है.
सिद्धू ने कहा कि करतारपुर कॉरिडोर दोनों देशों के लोगों के बीच में संपर्क बढ़ाएगा, जो संपर्क टूटा हुआ था वो अब दोबारा जुड़ रहा है. जब भी करतारपुर कॉरिडोर का इतिहास लिखा जाएगा तो इमरान खान का नाम पहले पन्ने पर लिखा जाएगा. उन्होंने कहा कि बंटवारे के दौरान दो पंजाब टूट गए थे, आज इमरान जैसी कोई चाबी आनी चाहिए कि इन्हें जोड़ना चाहिए. हरसिमरत कौर बादल ने इस कार्यक्रम में कहा कि आज हमारी कौम के लिए ऐतिहासिक दिन है, हर सिख की यही मांग थी. जो 70 साल नहीं हो पाया, वो अब पूरा हुआ है. जिसके हाथ में सेवा लिखी थी, उसी के हाथों ये काम पूरा हुआ है. गुरु नानक साहब ने अपना आखिरी समय आपकी धरती पर बिताया, लेकिन 4 किमी. का ये फासला पूरा करने में 70 साल लग गए. उन्होंने कहा कि यहां मेरा कोई दोस्त, कोई जानने वाला नहीं लेकिन एक सिख होने के नाते मेरी अरदास पूरी हुई है. हरसिमरत बादल अपनी बात कहते हुए भावुक हुईं. हमारी पार्टी 7 महीने से इस मांग को पूरा करने में लगे थे, हमारी कैबिनेट ने इसका फैसला लिया और आज ये सपना पूरा हो रहा है. उन्होंने कहा कि जब बर्लिन की दीवार गिर सकती है तो भारत-पाकिस्तान के बीच की नफरत क्यों नहीं दूर हो सकती है. उन्होंने कहा कि आप भी गुरु नानक साहब के नाम पर सिक्का चलाएं, धार्मिक स्थलों के लिए ट्रेन चलाएं और करतारपुर का विकास करें.
आपको बता दें कि इस कार्यक्रम के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू छाए रहे. हर वक्ता, हर वीडियो में नवजोत सिंह सिद्धू की जमकर तारीफ की गई और सिद्धू को शांति का प्रतीक बताया.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जर्मनी और फ्रांस का उदाहरण देते हुए कहा कि उन दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ कई युद्ध लड़े और कैसे दो यूरोपियन देश यूरोपियन यूनियन के तहत एक साथ आकर उसका हिस्सा बने। पाकिस्तान पीएम ने कहा कि जब तक भारत और पाकिस्तान एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहेंगे दोनों देश आगे नहीं बढ़ेंगे।
उन्होंने कहा- “हमें अपने अतीत से सीखना चाहिए और उसे छोड़ देने चाहिए। अतीत हमें यह सिखाता है कि हम अवश्य आगे बढ़ें। लेकिन, यहां पर हम आगे बढ़ते हैं और फिर पीछे आ जाते हैं। हमें अपने रिश्तों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता और मजबूत इच्छा शक्ति होनी चाहिए ताकि हम अच्छे पड़ोसी के साथ रह सके। आज, मैं यह कहता हूं कि मेरी पार्टी, मैं और हमारी सेना सभी एक साथ खड़े हैं। हम आगे बढ़ना चाहते हैं। हम अच्छे रिश्ते चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा मसला सिर्फ कश्मीर का है, इंसान चांद पर पहुंच चुका है लेकिन हम एक मसला हल नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये मसला जरूर हल हो जाएगा, इसके लिए पक्का फैसला जरूरी है. उन्होंने कहा कि अगर हिंदुस्तान एक कदम आगे बढ़ाएगा तो हम दो कदम आगे बढ़ाएंगे. जरूरत इस बात की है कि सीमा पार दोनों नेतृत्व इस मुद्दे को सुलझाए। लेकिन, इसके लिए मजबूत इरादों की जरूरत है। हमारे दोनों के पास एटमी हथियार है, तो इनके बीच जंग हो ही नहीं सकती है. दोनों देशों के बीच जंग का सोचना पागलपन है.
इमरान खान ने कहा - सिद्धू जब मेरे शपथग्रहण समारोह के बाद वापस गए थे तो उन्हें काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी। मुझे नहीं पता कि आखिर क्यों उनकी आलोचना की गई। सिद्धू का बचाव करते हुए इमरान ने कहा कि वे पाकिस्तान में प्यार और भाईचारे का संदेश लेकर आए थे। तहरीक-ए- इंसाफ के प्रमुख ने कहा - “मैं अभी तक नहीं समझ पाया हूं। वह दोस्ती और प्यार का पैगाम लेकर आए थे। वह सिर्फ शांति और भाईचारे की बात कर रहे थे। वह पाकिस्तान के पंजाब में आकर चुनाव लड़ सकते हैं, वे यहां से जीत जाएंगे।
दोनों देशों के बीच अमन की बात करते हुए इमरान ने कहा कि वे दोस्त सिद्धू की बातों से काफी प्रभावित हैं। पाक पीएम ने कहा कि उन्होंने 21 साल तक क्रिकेट खेला और 22 साल की राजनीति की है। उन्होंने कहा कि जोखिम लेने वाले खिलाड़ी सफल होता है। हार से डरनेवाला खिलाड़ी कभी सफल नहीं होता है।
वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेंगे। अभी सार्क की सालाना बैठक को लेकर पूरी तरह से अनिश्चितता है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बुधवार को कहा कि करतारपुर कॉरिडोर खोलने का ये मतलब नहीं कि दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हो जाएगी। आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं हो सकते। सुषमा ने कहा कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद खत्म नहीं करता, हम उनके बुलावे पर प्रतिक्रिया नहीं देंगे। इसलिए हम सार्क में हिस्सा नहीं लेंगे। भारत सरकार कई सालों से करतारपुर कॉरिडोर खोलने की मांग कर रही है। लेकिन सिर्फ इस बार ही पाकिस्तान की ओर से सकारात्मक पहल हुई। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत शुरू हो जाएगी।
19वें सार्क शिखर सम्मेलन का आयोजन 2016 में पाकिस्तान में किया जाना था लेकिन भारत समेत बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने इस समिट में हिस्सा नहीं लिया था। 18 सितंबर को भारत में जम्मू कश्मीर के उड़ी में भारतीय आर्मी कैंप पर आतंकी हमला हुआ था। हमले के विरोध में भारत ने सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया था। वहीं, बांग्लादेश घरेलू परिस्थितियों का हवाला देते हुए इस सम्मेलन में शामिल नहीं हुआ था। जिसके बाद ये सम्मेलन रद्द करना पड़ा था।
सार्क की स्थापना 1985 में की गई थी। सार्क शिखर सम्मेलन, दक्षिण एशिया के आठ देशों के राष्ट्राध्यक्षों की होने वाली बैठक है, जो हर दो साल में होती है। सार्क में अफगानिस्तान, भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और मालदीव शामिल हैं। आखिरी सार्क शिखर सम्मेलन 2014 में काठमांडू में आयोजित किया गया था। उससे पहले 2011 में मालदीव में 17वां सार्क सम्मेलन आयोजित हुआ था
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