वैज्ञानिकों ने किलोग्राम की परिभाषा बदल दी है. नई परिभाषा को 50 से ज़्यादा देशों ने सर्वसम्मति से मंजूरी भी दे दी है. किलोग्राम मापने का तरीका बदल गया है। अभी तक इसे प्लैटिनम-इरिडियम के अलॉय से बने जिस सिलिंडर से मापा जाता था, उसे रिटायर कर दिया गया है। साल 1889 से इसी को माप माना जाता था। हालांकि अब वैज्ञानिक माप के जरिए किलोग्राम तय होगा।
इस बारे में पैरिस में हुई दुनिया भर के वैज्ञानिकों की मीटिंग में एकमत से फैसला किया गया है। फ़्रांस के वर्साइल्स में 'वेट एंड मेज़र्स' पर एक बड़ा सम्मलेन आयोजित किया गया था जिसमें कई वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया था. इसमें किलोग्राम की परिभाषा बदलने के लिए वोट किया गया जिसके बाद इस फ़ैसले पर मुहर लगा दी गई. ज़्यादातर वैज्ञानिकों का पक्ष था कि किलोग्राम को यांत्रिक और विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा के आधार पर परिभाषित किया जाए.
हालांकि माप का तरीका बदलने से मार्केट में होने वाले माप में फर्क नहीं पड़ेगा। जो बदलाव हुआ है वो लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित नहीं करेगा, लेकिन, उद्योग और विज्ञान में इसका व्यावहारिक प्रयोग होने की उम्मीद है क्योंकि यहाँ सटीक माप होने की आवश्यकता होती है. अंतरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली में किलो सात बेसिक यूनिट्स में से एक है. उनमें से चार हैं- किलो, एंपियर (विद्युत प्रवाह), केल्विन (ताप) और मोल (पार्टिकल नंबर). किलोग्राम अंतिम एसआई बेस यूनिट है जो अभी तक एक फ़िज़ीकल ऑब्ज़ेक्ट द्वारा परिभाषित है. क्योंकि फ़िज़ीकल ऑब्ज़ेक्ट आसानी से परमाणु को खो सकते हैं या हवा से अणुओं को अवशोषित कर सकते हैं, इसी कारण इसकी मात्रा माइक्रोग्राम में दसियों बार बदली गई थी. इसका मतलब है कि किलोग्राम और स्तर मापने के लिए दुनिया भर में प्रोटोटाइप का उपयोग किया जाता है, जो कि एकदम सही अशुद्धि बताता है.
20 मई से नई परिभाषा लागू हो जाएगी। किलोग्राम को एक बेहद छोटे मगर अचल भार के जरिए परिभाषित किया जाएगा। इसके लिए "प्लैंक कॉन्स्टेंट" का इस्तेमाल किया जाएगा। नई परिभाषा के लिए वजन मापने का काम किब्बल नाम का एक तराजू करेगा। अब इसका आधार प्लेटिनम इरीडियम का सिलिंडर नहीं होगा। इसकी जगह यह प्लैंक कॉन्स्टेंट के आधार पर तय किया जाएगा। क्वांटम फिजिक्स में प्लैंक कॉन्स्टेंट को ऊर्जा और फोटॉन जैसे कणों की आवृत्ति के बीच संबंध से तैयार किया जाता है।
किलोग्राम को मापने के पुराने सिस्टम में किलो का वजन गोल्फ की गेंद के आकार की प्लेटिनिम इरिडियम की गेंद के सटीक वजन के समान होता है। यह गेंद कांच के जार में पेरिस के पास वर्साय की ऑर्नेट बिल्डिंग की सेफ में रखी हुई है।
इस सेफ तक पहुंचने के लिए उन तीन लोगों की जरूरत होती है, जिनके पास तीन अलग अलग चाभियां हैं। ये तीनों लोग तीन अलग-अलग देशों में रहते हैं। इन चाभियों की मदद से ही इस सेफ को खोला जा सकता है। इसकी निगरानी इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट्स एंड मेजर्स करती है।
इस बारे में पैरिस में हुई दुनिया भर के वैज्ञानिकों की मीटिंग में एकमत से फैसला किया गया है। फ़्रांस के वर्साइल्स में 'वेट एंड मेज़र्स' पर एक बड़ा सम्मलेन आयोजित किया गया था जिसमें कई वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया था. इसमें किलोग्राम की परिभाषा बदलने के लिए वोट किया गया जिसके बाद इस फ़ैसले पर मुहर लगा दी गई. ज़्यादातर वैज्ञानिकों का पक्ष था कि किलोग्राम को यांत्रिक और विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा के आधार पर परिभाषित किया जाए.
हालांकि माप का तरीका बदलने से मार्केट में होने वाले माप में फर्क नहीं पड़ेगा। जो बदलाव हुआ है वो लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित नहीं करेगा, लेकिन, उद्योग और विज्ञान में इसका व्यावहारिक प्रयोग होने की उम्मीद है क्योंकि यहाँ सटीक माप होने की आवश्यकता होती है. अंतरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली में किलो सात बेसिक यूनिट्स में से एक है. उनमें से चार हैं- किलो, एंपियर (विद्युत प्रवाह), केल्विन (ताप) और मोल (पार्टिकल नंबर). किलोग्राम अंतिम एसआई बेस यूनिट है जो अभी तक एक फ़िज़ीकल ऑब्ज़ेक्ट द्वारा परिभाषित है. क्योंकि फ़िज़ीकल ऑब्ज़ेक्ट आसानी से परमाणु को खो सकते हैं या हवा से अणुओं को अवशोषित कर सकते हैं, इसी कारण इसकी मात्रा माइक्रोग्राम में दसियों बार बदली गई थी. इसका मतलब है कि किलोग्राम और स्तर मापने के लिए दुनिया भर में प्रोटोटाइप का उपयोग किया जाता है, जो कि एकदम सही अशुद्धि बताता है.
20 मई से नई परिभाषा लागू हो जाएगी। किलोग्राम को एक बेहद छोटे मगर अचल भार के जरिए परिभाषित किया जाएगा। इसके लिए "प्लैंक कॉन्स्टेंट" का इस्तेमाल किया जाएगा। नई परिभाषा के लिए वजन मापने का काम किब्बल नाम का एक तराजू करेगा। अब इसका आधार प्लेटिनम इरीडियम का सिलिंडर नहीं होगा। इसकी जगह यह प्लैंक कॉन्स्टेंट के आधार पर तय किया जाएगा। क्वांटम फिजिक्स में प्लैंक कॉन्स्टेंट को ऊर्जा और फोटॉन जैसे कणों की आवृत्ति के बीच संबंध से तैयार किया जाता है।
किलोग्राम को मापने के पुराने सिस्टम में किलो का वजन गोल्फ की गेंद के आकार की प्लेटिनिम इरिडियम की गेंद के सटीक वजन के समान होता है। यह गेंद कांच के जार में पेरिस के पास वर्साय की ऑर्नेट बिल्डिंग की सेफ में रखी हुई है।
इस सेफ तक पहुंचने के लिए उन तीन लोगों की जरूरत होती है, जिनके पास तीन अलग अलग चाभियां हैं। ये तीनों लोग तीन अलग-अलग देशों में रहते हैं। इन चाभियों की मदद से ही इस सेफ को खोला जा सकता है। इसकी निगरानी इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट्स एंड मेजर्स करती है।
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