दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर के बढ़ने पर एनजीटी ने सख्त कदम उठाया था। सरकार तंत्र के प्रदूषण पर रोक लगाने में कामयाब नहीं होने पर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल) ने अक्टूबर में दिल्ली सरकार पर 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। दिल्ली में सोमवार को भी वायु की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में रही। अधिकारियों का कहना है कि अगले दिन में प्रदूषण और ज्यादा बढ़ेगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, एयर क्वॉलिटी इंडेक्स में पीएम2.5 337 रिकॉर्ड किया गया, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है। दिल्ली की आप सरकार पर ये जुर्माना दिल्ली में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर लगाम लगाने में नाकाम रहने पर लगाया गया था।
प्रदूषण के खिलाफ जंग में दिल्ली सरकार पर एक बार फिर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) का डंडा चला है। एनजीटी ने दिल्ली सरकार पर 25 करोड़ का जुर्माना लगाया है। इस मामले में दिल्ली सरकार की मुश्किल यह है यह हर्जाने की राशि दिल्ली सरकार के खजाने से नहीं, बल्कि सरकारी अधिकारियों की सैलरी से वसूला जाएगा। एनजीटी के पास दिल्ली में प्रदूषण को लेकर कई याचिकाएं पहुंची हैं, जिनपर सुनवाई की जा रही है। दिल्ली में जगह-जगह कूड़ा जलाने और अन्य तरह की ओपन बर्निंग के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में एनजीटी की ओर से यह सख्त फैसला है।
एनजीटी ने यह भी साफ किया है कि अगर दिल्ली सरकार एकमुश्त राशि जमा नहीं कर सकती तो हर महीने 10 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला जाए। एनजीटी ने यह फैसला पुराने मामले की सुनवाई के दौरान सुनाया है। एनजीटी ने यह पाया कि दिल्ली की सरकार ने पिछले आदेशों का पालन नहीं किया है। एनजीटी ने सतीश कुमार, महावीर सिंह की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। याचिका में कहा गया था कि प्लास्टिक, चमड़ा, रबड़, मोटर इंजन ऑयल जलने और खेतीवाली जमीन पर अवैध कारखानों के संचालित होने की वजह से प्रदूषण फैल रहा है।
प्रदूषण से जंग के लिए दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) तो लागू कर दिया गया था, लेकिन उदासीनता बरते जाने के कारण इसका असर नहीं दिखा। आलम यह था कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने जेनरेटर सेट पर प्रतिबंध का नोटिस ही नहीं जारी किया था। इस कारण विभिन्न स्थानों पर जेनरेटर सेट चलते दिखे।
एनजीटी अध्यक्ष आदर्श कुमार की बेंच ने कहा- शहर में वायु प्रदूषण को काबू करने में नाकाम रहने पर दिल्ली सरकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जुर्माना दे। प्राधिकरण के स्पष्ट आदेशों के बावजूद इन्हें पूरा करने के लिए शायद ही कोई कदम उठाया गया। अधिकारियों की नाक के नीचे कानून तोड़ा जाता रहा और लगातार प्रदूषण बढ़ता रहा। अधिकारियों ने लाचारगी जाहिर करने और बहानेबाजी करने के अलावा कोई मजबूत कदम नहीं उठाया। आम आदमी पार्टी सरकार इस संबंध में परफॉर्मेंस गारंटी रिपोर्ट दाखिल करे, ताकि जुर्माने के संबंध में आगे कोई कोताही ना बरती जाए।
आप नेता अतिशी ने कहा- वायु प्रदूषण के मुद्दे पर हंगामा केवल दिल्ली तक ही सीमित कर दिया जाता है, जबकि नासा की सैटेलाइट तस्वीरों से जाहिर हो गया है कि देश के दूसरे हिस्सों में भी बड़े पैमाने पर पराली जलाई जाती है। दिल्ली सरकार अपनी तरफ से प्रदूषण करने के लिए कदम उठा रही है। इसीलिए हम ई-व्हीकल और ई-बसें लाने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रदूषण के खिलाफ जंग में दिल्ली सरकार पर एक बार फिर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) का डंडा चला है। एनजीटी ने दिल्ली सरकार पर 25 करोड़ का जुर्माना लगाया है। इस मामले में दिल्ली सरकार की मुश्किल यह है यह हर्जाने की राशि दिल्ली सरकार के खजाने से नहीं, बल्कि सरकारी अधिकारियों की सैलरी से वसूला जाएगा। एनजीटी के पास दिल्ली में प्रदूषण को लेकर कई याचिकाएं पहुंची हैं, जिनपर सुनवाई की जा रही है। दिल्ली में जगह-जगह कूड़ा जलाने और अन्य तरह की ओपन बर्निंग के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में एनजीटी की ओर से यह सख्त फैसला है।
एनजीटी ने यह भी साफ किया है कि अगर दिल्ली सरकार एकमुश्त राशि जमा नहीं कर सकती तो हर महीने 10 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला जाए। एनजीटी ने यह फैसला पुराने मामले की सुनवाई के दौरान सुनाया है। एनजीटी ने यह पाया कि दिल्ली की सरकार ने पिछले आदेशों का पालन नहीं किया है। एनजीटी ने सतीश कुमार, महावीर सिंह की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। याचिका में कहा गया था कि प्लास्टिक, चमड़ा, रबड़, मोटर इंजन ऑयल जलने और खेतीवाली जमीन पर अवैध कारखानों के संचालित होने की वजह से प्रदूषण फैल रहा है।
प्रदूषण से जंग के लिए दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) तो लागू कर दिया गया था, लेकिन उदासीनता बरते जाने के कारण इसका असर नहीं दिखा। आलम यह था कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने जेनरेटर सेट पर प्रतिबंध का नोटिस ही नहीं जारी किया था। इस कारण विभिन्न स्थानों पर जेनरेटर सेट चलते दिखे।
एनजीटी अध्यक्ष आदर्श कुमार की बेंच ने कहा- शहर में वायु प्रदूषण को काबू करने में नाकाम रहने पर दिल्ली सरकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जुर्माना दे। प्राधिकरण के स्पष्ट आदेशों के बावजूद इन्हें पूरा करने के लिए शायद ही कोई कदम उठाया गया। अधिकारियों की नाक के नीचे कानून तोड़ा जाता रहा और लगातार प्रदूषण बढ़ता रहा। अधिकारियों ने लाचारगी जाहिर करने और बहानेबाजी करने के अलावा कोई मजबूत कदम नहीं उठाया। आम आदमी पार्टी सरकार इस संबंध में परफॉर्मेंस गारंटी रिपोर्ट दाखिल करे, ताकि जुर्माने के संबंध में आगे कोई कोताही ना बरती जाए।
आप नेता अतिशी ने कहा- वायु प्रदूषण के मुद्दे पर हंगामा केवल दिल्ली तक ही सीमित कर दिया जाता है, जबकि नासा की सैटेलाइट तस्वीरों से जाहिर हो गया है कि देश के दूसरे हिस्सों में भी बड़े पैमाने पर पराली जलाई जाती है। दिल्ली सरकार अपनी तरफ से प्रदूषण करने के लिए कदम उठा रही है। इसीलिए हम ई-व्हीकल और ई-बसें लाने की कोशिश कर रहे हैं।
0 comments:
Post a comment