कांग्रेस के किसानों की कर्जमाफी के वादो का क्या होगा? - कांग्रेस की जिस घोषणा ने चुनाव नतीजों पर सबसे ज्यादा असर डाला वह कर्जमाफी ही है। पार्टी की विजय के साथ ही किसान संगठन दिन गिनने लगे हैं। कांग्रेस ने सरकार के गठन के दस दिन में कर्ज माफ करने की बात कही है जबकि गिनती उसी दिन से हो रही है जिस दिन नतीजे घोषित किए गए थे। इधर मुख्यमंत्री के चयन में देर होती जा रही है और उधर सोशल मीडिया में लगातार तीन दिन हो गए, चार दिन हो गए चल रहा है। ऐसे में इस घोषणा को तुरंत पूरा करने का सरकार पर बेहद दबाव होगा।
कांग्रेस की सरकार बनने से पहले ही किसानों की कर्जमाफी की तैयारी चल तो रही है लेकिन तीन दिन बाद भी शासन के पास कर्ज के आंकड़े नहीं हैं। राज्य शासन ने बैंकों को निर्देश दिया है कि 17 दिसंबर तक हर हाल में आंकड़े उपलब्ध करा दिए जाएं।
कांग्रेस के किसानों की कर्जमाफी के वादो का क्या होगा? - वही किसानों की कर्ज माफी को लेकर आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन बड़ा बयान दिया है. उन्होंने किसानों की कर्जमाफी का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि ऐसे फैसलों से राजस्व पर असर पड़ता है. राजन ने कहा, '' किसान कर्ज माफी का सबसे बड़ा फायदा सांठगाठ वालों को मिलता है. अकसर इसका लाभ गरीबों को मिलने की बजाए उन्हें मिलता है, जिनकी स्थिति बेहतर है.'' उन्होंने आगे कहा कि जब भी कर्ज माफ किए जाते हैं, तो देश के राजस्व को भी नुकसान होता है. राजन ने कहा कि कर्जमाफी चुनावी वादों का हिस्सा नहीं होना चाहिए। ऐसे कदमों से खेती में निवेश तो रुकता ही है साथ में राज्यों की हालत भी खराब होती है। कर्जमाफी रोकने के लिए उन्होंने चुनाव आयोग को पत्र भी लिखा है और उचित कदम उठाने का आग्रह किया है। शुक्रवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'खेती की खराब हालत पर गौर करना जरूरी है। लेकिन इस बात पर भी गौर किया जाना चाहिए कि इसका फायदा जरूरतमंदों को नहीं, बल्कि उन किसानों को मिलता है जिनकी पहुंच होती है। उनका कहना है कि इससे क्रेडिट कल्चर खराब होता है । राजन ने कहा कि अगर सभी राजनीतिक दल ऐसा न करने पर सहमत हों तो यह देश के हित में होगा।
यह पहली बार नहीं है जब किसानों की कर्ज माफी को लेकर विरोध हुआ है.इससे पहले जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में प्रचार के दौरान प्रदेश के किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था तब भी विरोध हुआ था. तब देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की तत्कालिन चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने भी किसान कर्ज माफ किए जाने पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने अनुशासन बिगड़ने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि कर्ज लेने वाले कर्ज चुकाने के बजाय अगले चुनाव का इंतजार करेंगे. किसान कर्ज माफी का विरोध करने वालों में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर रहे एस.एस. मूंदड़ा भी शामिल थे.
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के मनोनीत मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि वह किसानों के कर्जमाफी के वादे को 10 दिनों में पूरा करेंगे। किसानों की कर्ज माफी का फैसला नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में हो सकता है।इसके लिए शासन स्तर पर कवायद शुरू हो गई है।
मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने कृषि एवं सहकारिता विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर इसकी तैयारी के बारे में पूछा है। बैंकों से कर्जमाफी का ब्योरा मांगा गया है। सहकारिता अधिकारियों ने बताया कि हमारे पास 40.96 लाख किसानों पर 56 हजार करोड़ का कर्ज होने का अनुमान है।
किसानों पर जो कर्ज है, वह सहकारी बैंक, राष्ट्रीयकृत बैंक, ग्रामीण विकास बैंक और निजी बैंकों का है। मध्य प्रदेश के 21 लाख किसानों पर करीब 20 हजार करोड़ का कर्जा है, लेकिन इसे अदा नहीं किया है। उसमें डूबत कर्ज को माफ करने के साथ नियमित कर्ज पर लगभग 25 हजार रुपए प्रोत्साहन दिया जाएगा।
सोनकच्छ से विधायक और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि हमारे सीएम कमलनाथ जी मैनेजमेंट के फंडे जानते हैं और अर्थशास्त्री भी हैं। मप्र का खजाना खाली है और शिवराज सिंह इसे बीमारू राज्य बनाकर गए हैं। फिर भी कमलनाथ 10 दिन में किसानों का कर्जा माफ कर देंगे।
छत्तीसगढ़
राज्य शासन ने बैंकों को निर्देश दिया है कि 17 दिसंबर तक हर हाल में आंकड़े उपलब्ध करा दिए जाएं। मुख्यमंत्री के नाम का एलान होते ही शपथग्रहण होना है। इसके तुरंत बाद कैबिनेट की बैठक होगी। कांग्रेस ने सरकार के गठन के दस दिन के भीतर किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया है। यह तभी हो पाएगा जब पहली कैबिनेट में किसानों के कर्ज की फाइल रखी जा सकेगी।
इसे देखते हुए राज्य के सहकारिता विभाग ने बुधवार को ही संचालक संस्थागत वित्त, राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी के प्रबंध संचालक और छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक को परिपत्र जारी कर किसानों के कर्ज की जानकारी उपलब्ध कराने को कहा था। बैंकों से 30 नवंबर तक की स्थिति में किसानों के कर्ज का ब्यौरा मांगा गया है।
शासन ने लौटती डाक से हिसाब भेजने को कहा था लेकिन शुक्रवार तक किसी भी बैंक से जानकारी नहीं भेजी जा सकी थी। सहकारिता विभाग की सचिव रीता शांडिल्य ने नईदुनिया को बताया कि तैयारी चल रही है। अभी आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 17 दिसंबर तक सभी बैंकों से जानकारी मिल जाएगी। इसके बाद कर्जमाफी का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि 20 दिसंबर से पहले कर्जमाफी का एलान हो जाएगा।
इन राज्यों में किसानों को मिल चुकी है राहत
कांग्रेस के किसानों की कर्जमाफी के वादो का क्या होगा? - उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने बीते साल राज्य के 86 लाख किसानों का करीब 30,729 करोड़ का कर्ज माफ किया था. राज्य के 7 लाख किसानों का जो लोन एनपीए बन गया है, वो भी माफ कर दिया गया था. वहीं महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार ने 35 लाख किसानों का 1.5 लाख रुपये तक का लोन माफ किया था. 9 लाख किसानों को लोन के वन टाइम सेटेलमेंट का फायदा दिया गया. जबकि पंजाब में कांग्रेस सरकार ने 5 एकड़ तक की खेती की जमीन वाले किसानों को 2 लाख रुपये तक की कर्जमाफी की. कर्नाटक के सहकारी बैंक से लिए गए हर किसान का 50,000 रुपये तक का कर्ज माफ किया गया.
कांग्रेस की सरकार बनने से पहले ही किसानों की कर्जमाफी की तैयारी चल तो रही है लेकिन तीन दिन बाद भी शासन के पास कर्ज के आंकड़े नहीं हैं। राज्य शासन ने बैंकों को निर्देश दिया है कि 17 दिसंबर तक हर हाल में आंकड़े उपलब्ध करा दिए जाएं।
कांग्रेस के किसानों की कर्जमाफी के वादो का क्या होगा? - वही किसानों की कर्ज माफी को लेकर आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन बड़ा बयान दिया है. उन्होंने किसानों की कर्जमाफी का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि ऐसे फैसलों से राजस्व पर असर पड़ता है. राजन ने कहा, '' किसान कर्ज माफी का सबसे बड़ा फायदा सांठगाठ वालों को मिलता है. अकसर इसका लाभ गरीबों को मिलने की बजाए उन्हें मिलता है, जिनकी स्थिति बेहतर है.'' उन्होंने आगे कहा कि जब भी कर्ज माफ किए जाते हैं, तो देश के राजस्व को भी नुकसान होता है. राजन ने कहा कि कर्जमाफी चुनावी वादों का हिस्सा नहीं होना चाहिए। ऐसे कदमों से खेती में निवेश तो रुकता ही है साथ में राज्यों की हालत भी खराब होती है। कर्जमाफी रोकने के लिए उन्होंने चुनाव आयोग को पत्र भी लिखा है और उचित कदम उठाने का आग्रह किया है। शुक्रवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'खेती की खराब हालत पर गौर करना जरूरी है। लेकिन इस बात पर भी गौर किया जाना चाहिए कि इसका फायदा जरूरतमंदों को नहीं, बल्कि उन किसानों को मिलता है जिनकी पहुंच होती है। उनका कहना है कि इससे क्रेडिट कल्चर खराब होता है । राजन ने कहा कि अगर सभी राजनीतिक दल ऐसा न करने पर सहमत हों तो यह देश के हित में होगा।
यह पहली बार नहीं है जब किसानों की कर्ज माफी को लेकर विरोध हुआ है.इससे पहले जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में प्रचार के दौरान प्रदेश के किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था तब भी विरोध हुआ था. तब देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की तत्कालिन चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने भी किसान कर्ज माफ किए जाने पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने अनुशासन बिगड़ने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि कर्ज लेने वाले कर्ज चुकाने के बजाय अगले चुनाव का इंतजार करेंगे. किसान कर्ज माफी का विरोध करने वालों में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर रहे एस.एस. मूंदड़ा भी शामिल थे.
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के मनोनीत मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि वह किसानों के कर्जमाफी के वादे को 10 दिनों में पूरा करेंगे। किसानों की कर्ज माफी का फैसला नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में हो सकता है।इसके लिए शासन स्तर पर कवायद शुरू हो गई है।
मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने कृषि एवं सहकारिता विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर इसकी तैयारी के बारे में पूछा है। बैंकों से कर्जमाफी का ब्योरा मांगा गया है। सहकारिता अधिकारियों ने बताया कि हमारे पास 40.96 लाख किसानों पर 56 हजार करोड़ का कर्ज होने का अनुमान है।
किसानों पर जो कर्ज है, वह सहकारी बैंक, राष्ट्रीयकृत बैंक, ग्रामीण विकास बैंक और निजी बैंकों का है। मध्य प्रदेश के 21 लाख किसानों पर करीब 20 हजार करोड़ का कर्जा है, लेकिन इसे अदा नहीं किया है। उसमें डूबत कर्ज को माफ करने के साथ नियमित कर्ज पर लगभग 25 हजार रुपए प्रोत्साहन दिया जाएगा।
सोनकच्छ से विधायक और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि हमारे सीएम कमलनाथ जी मैनेजमेंट के फंडे जानते हैं और अर्थशास्त्री भी हैं। मप्र का खजाना खाली है और शिवराज सिंह इसे बीमारू राज्य बनाकर गए हैं। फिर भी कमलनाथ 10 दिन में किसानों का कर्जा माफ कर देंगे।
छत्तीसगढ़
राज्य शासन ने बैंकों को निर्देश दिया है कि 17 दिसंबर तक हर हाल में आंकड़े उपलब्ध करा दिए जाएं। मुख्यमंत्री के नाम का एलान होते ही शपथग्रहण होना है। इसके तुरंत बाद कैबिनेट की बैठक होगी। कांग्रेस ने सरकार के गठन के दस दिन के भीतर किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया है। यह तभी हो पाएगा जब पहली कैबिनेट में किसानों के कर्ज की फाइल रखी जा सकेगी।
इसे देखते हुए राज्य के सहकारिता विभाग ने बुधवार को ही संचालक संस्थागत वित्त, राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी के प्रबंध संचालक और छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक को परिपत्र जारी कर किसानों के कर्ज की जानकारी उपलब्ध कराने को कहा था। बैंकों से 30 नवंबर तक की स्थिति में किसानों के कर्ज का ब्यौरा मांगा गया है।
शासन ने लौटती डाक से हिसाब भेजने को कहा था लेकिन शुक्रवार तक किसी भी बैंक से जानकारी नहीं भेजी जा सकी थी। सहकारिता विभाग की सचिव रीता शांडिल्य ने नईदुनिया को बताया कि तैयारी चल रही है। अभी आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 17 दिसंबर तक सभी बैंकों से जानकारी मिल जाएगी। इसके बाद कर्जमाफी का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि 20 दिसंबर से पहले कर्जमाफी का एलान हो जाएगा।
इन राज्यों में किसानों को मिल चुकी है राहत
कांग्रेस के किसानों की कर्जमाफी के वादो का क्या होगा? - उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने बीते साल राज्य के 86 लाख किसानों का करीब 30,729 करोड़ का कर्ज माफ किया था. राज्य के 7 लाख किसानों का जो लोन एनपीए बन गया है, वो भी माफ कर दिया गया था. वहीं महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार ने 35 लाख किसानों का 1.5 लाख रुपये तक का लोन माफ किया था. 9 लाख किसानों को लोन के वन टाइम सेटेलमेंट का फायदा दिया गया. जबकि पंजाब में कांग्रेस सरकार ने 5 एकड़ तक की खेती की जमीन वाले किसानों को 2 लाख रुपये तक की कर्जमाफी की. कर्नाटक के सहकारी बैंक से लिए गए हर किसान का 50,000 रुपये तक का कर्ज माफ किया गया.
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