दिलीप कुमार 96 साल के हो गए हैं। 11 दिसंबर 1922 को पेशावर, पाकिस्तान में मोहम्मद यूसुफ खान के नाम से जन्मे दिलीप साहब बेहद खास है। बॉलीवुड में कई दशकों तक अपनी अदाकारी का लोहा मनवाने वाले दिलीप कुमार बॉलीवुड के सदाबहार एक्टर हैं। बॉलीवुड में अपनी दमदार अदाकरी की वजह से अलग पहचान बनाने वाले दिलीप कुमार आज अपना 96 वां जन्मदिन मना रहे हैं। दिलीप कुमार ने इंडस्ट्री में कई हिट फिल्में दी है।
सदाबहार एक्टर दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद यूसुफ़ खान खान था। मेला, अंदाज, यहूदी और देवदास जैसी कई फिल्मों के बाद दिलीप साहब बॉलीवुड में ट्रेजडी किंग के नाम से मशहूर हो गए। मुगल-ए-आजम, राम और शाम, नया दौर, देवदास, क्रांति, नदिया के पार जैसी कई फिल्मों में दिलिप कुमार ने अपने काम का सिक्का जमाया।
बॉलीवुड में अपनी दमदार अदाकारी से राज करने वाले दिलीप साहब ने साल 1994 में आई बॉम्बे टॉकीज की फिल्म 'ज्वार भाटा’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। दरअसल, बॉम्बे टॉकीज की मालकिन देविका रानी ने ही उन्हें ये फिल्म ऑफर की थी और इसके बाद उनका नाम यूसुफ़ से बदलकर दिलीप रख दिया।
दिलीप साहब को फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, लिविंग लीजेंड लाइफटाइम अवॉर्ड और पद्म भूषण जैसे सम्मानों से नवाजा जा चुका है। दिलीप साहब को सम्मानित करते हुए मुंबई का शेरिफ भी घोषित किया गया। बता दें कि बॉलीवुड में सबसे ज्यादा अवॉर्ड जीतने वाले भारतीय एक्टर भी दिलीप कुमार ही हैं। सिर्फ इतना ही नहीं दिलीप साहब पहले ऐसे अभिनेता हैं जिन्हें पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'निशान-ए-इम्तियाज़' से भी साल 1991 में नवाजा जा चुका है।
साल 1998 में बनी फिल्म 'क़िला’ दिलीप साहब की आखिरी फिल्म थी। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड से भी नवाजा गया। फिल्मों में अपनी अदाकारी का जलवा बिखेर चुके दिलीप कुमार राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।
दिलीप कुमार की लव स्टोरी भी उनकी जिंदगी की तरह काफी दिलचस्प रही है। दिलीप और सायरा बानो ने साल 1966 एक दूसरे से शादी की। शादी के समय दिलीप कुमार 44 साल के थे तो वहीं सायरा महज 22 साल की थीं। लेकिन दोनों की शादी की डोर तब टूटी जब साल 1980 में दिलीप कुमार ने आसमां से दूसरी शादी कर ली। लेकिन सायरा बानो का प्यार दिलीप साहब को वापस ले आया और वो एक बार फिर सायरा के हो गए। दिलीप और सायरा बानो की जोड़ी उन आर्दश जोड़ियों में से एक है जिन्होंने इंडस्ट्री में लंबे वक्त तक एक दूसरे का साथ निभाया है।
दिलीप कुमार ने भले ही सायरा बनो से शादी की हो लेकिन उनकी पहली मोहब्बत कोई और ही थी। सूत्रों के अनुसार दिलीप कुमार बॉलीवुड की बेहद ही खूबसूतर अदाकारा मधुबाला के दीवाने थे। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। दोनों का प्यार ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और वो अलग हो गए। रिपोर्ट्स के मुताबिक मधुबाला की दिलीप कुमार से इंगेजमेंट भी हो गई थी लेकिन किसी बात पर दिलीप और उनके पिता का विवाद हो गया और दोनों का ब्रेकअप हो गया। सुनने में आता है की दिलीप ने मधुबाला के सामने उनके पिता को छोड़ने की शर्त रखी थी। ऐसी ही बातें की वजह से दोनों अलग हो गए थे।
वे और उनकी पत्नी सायरा बानो उन्हें बेटे की तरह ट्रीट करते हैं। इसके पीछे एक इमोशनल वजह छुपी हुई है। खुद सायरा ने एक इंटरव्यू के दौरान इस बात का खुलासा किया था। सायरा ने 2017 में एक इंटरव्यू के दौरान शाहरुख से पहली मुलाकात के बारे में बताया था। उनकी मानें तो जब शाहरुख ने पहली फिल्म दिल आशना है साइन की थी, तब उनकी उनसे पहली मुलाकात हुई थी।
बकौल सायरा- हम फिल्म के मुहूर्त के लिए जा रहे थे। दिलीप साहब ने सेरेमोनियल क्लैप दिया था। मैं हमेशा कहती हूं कि अगर हमारा बेटा होता तो बिलकुल शाहरुख की तरह दिखाई देता। दोनों शाहरुख और दिलीप साहब के बाल एक जैसे हैं। यही वजह है कि जब भी मैं शाहरुख से मिलती हूं तो उनके बालों में उंगली फिराती हूं। जब हाल ही में वे साहब को देखने आए तो उन्होंने पूछा- आज आप मेरे बालों में हाथ नहीं लगा रही हैं। उनकी यह बात सुन मुझे बहुत ख़ुशी हुई थी। दिलीप कुमार पिता क्यों नहीं बन सके, इसका जवाब उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी 'द सबस्टांस एंड द शैडो' में दिया है। जिसमें लिखा- सच्चाई यह है कि 1972 में सायरा पहली बार प्रेग्नेंट हुईं। यह बेटा था (हमें बाद में पता चला)। 8 महीने की प्रेग्नेंसी में सायरा को बीपी की शिकायत हुई। इस दौरान पूर्ण रूप से विकसित हो चुके भ्रूण को बचाने के लिए सर्जरी करना संभव नहीं था और दम घुटने से बच्चे की मौत हो गईं। इसके बाद सायरा कभी प्रेग्नेंट नहीं हो सकीं।
2013 में एक इंटरव्यू के दौरान शाहरुख खान ने बताया था कि वे बचपन से ही दिलीप साहब को जानते हैं। बकौल शाहरुख- दरअसल, मेरे पिता उन्हें जानते थे। दोनों दिल्ली की एक ही गली में रहते थे। बचपन में मैं दिलीप साहब से कई बार मिला। हम अक्सर उनके घर जाते थे। सायराजी को याद नहीं, लेकिन लंदन से उनकी दवाइयां मेरी आंटी ही भेजती थीं। सालों बाद जब मैं केतन मेहता के साथ काम कर रहा था तो उनके ऑफिस में मुझे दिलीप कुमार की फोटो दिखी। मैंने कहा- अरे ये तो मैं ही हूं। फोटो में वे काफी हदतक मेरे जैसे ही दिख रहे थे या यूं कहूं कि मैं उनकी तरह दिख रहा था। लेकिन दिलीप साहब के साथ मेरा रिश्ता इससे कहीं बढ़कर है। दिलीप साहब और सायरा जी ने हमेशा मुझे अपने बेटे की तरह ट्रीट किया है।
95 साल की उम्र को भी पार कर चुके दिलीप साहब की याददाश्त अब काफी कमजोर हो गई है, ऐसे में उनकी पत्नी सायरा ही उनका सहारा बनी हुई हैं। वो सायरा ही हैं जो अल्जाइमर और बाकी बीमारियों से लड़ने में दिलीप साहब की मदद कर रही हैं… दिलीप साहब ये बात कह चुके हैं कि अब सायरा ही उनकी आवाज़ और धड़कन हैं।
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