पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह - एक्सिडेंटल PM ही नहीं, एक्सिडेंटल फाइनेंस मिनिस्टर भी - देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को कहा कि वह सिर्फ भारत के एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर ही नहीं थे, बल्कि देश के एक्सीडेंटल वित्त मंत्री भी थे. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी किताब चेंजिंग इंडिया के विमोचन के दौरान अपनी जिंदगी से जड़े कई दिलचस्प किस्से बताए. मंगलवार को दिल्ली में अपनी पुस्तक 'चेंजिंग इंडिया' के लॉन्च के बाद देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि 'मुझे देश के एक्सीडेंटल प्रधानमंत्री के रूप में जाना जाता है, लेकिन मुझे लगता है कि मैं एक एक्सीडेंटल वित्त मंत्री भी था. उन्होंने बताया कि उनकी जिंदगी में फोन कॉल कितनी अहम भूमिका निभाता रहा है. उन्होंने बताया कि कैसे तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने एक फोन ने उन्हें अचानक वित्त मंत्री बना दिया.
पूर्व प्रधानमंत्री ने बताया, 'उस समय मैं यूजीसी में काम किया करता था. उस दिन भी हमेशा की तरह दफ्तर में था. अचानक तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव जी का फोन आया और उन्होंने मुझसे कहा कि तैयार होकर शपथ ग्रहण के लिए आओ. मैं जब प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचा तो बताया गया कि मैं वित्त मंत्री बन गया हूं. लोग कहते हैं कि मैं एक्सिडेंटल पीएम हूं, लेकिन मैं एक्सिडेंटल फाइनेंस मिनिस्टर भी रहा हूं| पहले यह पद आइजी पटेल को ऑफर किया गया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। मनमोहन सिंह ने कहा कि मुझे पीवी नरसिम्हा राव ने जब 1991 में वित्त मंत्री के रूप में नियुक्त किया, तब मैं 'एक्सीडेंटल' वित्त मंत्री बन गया। पीसी एलेक्जेंडर ने जब मुझे बताया कि पीएम राव मुझे वित्त मंत्री बनाना चाहते हैं, तो विश्वास ही नहीं हुआ था। जब मैं प्रधानमंत्री नियुक्त हुआ तब भी लोगों ने कहा कि मैं दुर्घटनावश प्रधानमंत्री बन गया, जबकि ऐसा नहीं था।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह - एक्सिडेंटल PM ही नहीं, एक्सिडेंटल फाइनेंस मिनिस्टर भी - उन्होंने कहा, "लोग कहते हैं कि मैं एक मौन प्रधानमंत्री था, लेकिन यह किताब उन्हें इसका जवाब देगी. मैं प्रधानमंत्री के रूप में अपनी उपलब्धियों का बखान नहीं करना चाहता, लेकिन जो चीजें हुई हैं, वे पांच खंडों की इस पुस्तक में मौजूद हैं." मनमोहन का बयान ऐसे समय में आया है, जब इसके पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री के अबतक के कार्यकाल के दौरान एक भी संवाददाता सम्मेलन आयोजित न करने के लिए मोदी का मजाक उड़ाया है. मनमोहन ने देश के भविष्य के बारे में कहा कि तमाम गड़बड़ियों के बावजूद भारत एक प्रमुख वैश्विक ताकत बनने वाला है.
पीएम नरेंद्र मोदी पर मीडिया से बात न करने के आरोप लगाते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें प्रेस से बात करने में कभी डर नहीं लगा. मैं ऐसा प्रधानमंत्री नहीं था जो प्रेस से बात करने में डरता हो. मैं लगातार प्रेस से मिलता रहता था और हर विदेश यात्रा के बाद प्रेस कांफ्रेंस करता था. उन्होंने यह बात इसलिए कही कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने अबतक के कार्यकाल में कभी संवाददाता सम्मेलन आयोजित नहीं किया है. उल्लेखनीय है कि मनमोहन सिंह विदेश भी जाते थे तो विमान में पत्रकारों से बातचीत करते हुए जाते और आते थे. अखबारों में खबर के साथ छपता था-'प्रधानमंत्री के विशेष विमान से'. मई, 2014 के बाद से यह परंपरा बिल्कुल बंद है. उन्होंने कहा, "उन तमाम संवाददाता सम्मेलनों को इस पुस्तक में वर्णित किया गया है.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह - एक्सिडेंटल PM ही नहीं, एक्सिडेंटल फाइनेंस मिनिस्टर भी - पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आगे कहा कि जब वह 1991 में भारत के वित्त मंत्री थे, तो वह अपनी मदद से संकट को "महान अवसर" में बदलने में सफल रहे. उन्होंने कहा कि जीवन एक बड़ा एडवेंचर और जोखिम भरी रही है, जिसे मैं पसंद करता हूं. मुझे कोई पछतावा नहीं है. मुझे इस देश ने जो दिया है, उसे मैं कभी वापस नहीं कर पाऊंगा. जीवन के कुछ समय काफी स्मूथ रहे हैं और कुछ उतार-चढ़ाव वाले भी.
विमोचन समारोह में संवाददाताओं से अलग से बातचीत में मनमोहन सिंह ने कहा कि रिजर्व बैंक की स्वायत्तता तथा स्वतंत्रता का सम्मान होना चाहिए.
पूर्व प्रधानमंत्री ने बताया, 'उस समय मैं यूजीसी में काम किया करता था. उस दिन भी हमेशा की तरह दफ्तर में था. अचानक तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव जी का फोन आया और उन्होंने मुझसे कहा कि तैयार होकर शपथ ग्रहण के लिए आओ. मैं जब प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचा तो बताया गया कि मैं वित्त मंत्री बन गया हूं. लोग कहते हैं कि मैं एक्सिडेंटल पीएम हूं, लेकिन मैं एक्सिडेंटल फाइनेंस मिनिस्टर भी रहा हूं| पहले यह पद आइजी पटेल को ऑफर किया गया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। मनमोहन सिंह ने कहा कि मुझे पीवी नरसिम्हा राव ने जब 1991 में वित्त मंत्री के रूप में नियुक्त किया, तब मैं 'एक्सीडेंटल' वित्त मंत्री बन गया। पीसी एलेक्जेंडर ने जब मुझे बताया कि पीएम राव मुझे वित्त मंत्री बनाना चाहते हैं, तो विश्वास ही नहीं हुआ था। जब मैं प्रधानमंत्री नियुक्त हुआ तब भी लोगों ने कहा कि मैं दुर्घटनावश प्रधानमंत्री बन गया, जबकि ऐसा नहीं था।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह - एक्सिडेंटल PM ही नहीं, एक्सिडेंटल फाइनेंस मिनिस्टर भी - उन्होंने कहा, "लोग कहते हैं कि मैं एक मौन प्रधानमंत्री था, लेकिन यह किताब उन्हें इसका जवाब देगी. मैं प्रधानमंत्री के रूप में अपनी उपलब्धियों का बखान नहीं करना चाहता, लेकिन जो चीजें हुई हैं, वे पांच खंडों की इस पुस्तक में मौजूद हैं." मनमोहन का बयान ऐसे समय में आया है, जब इसके पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री के अबतक के कार्यकाल के दौरान एक भी संवाददाता सम्मेलन आयोजित न करने के लिए मोदी का मजाक उड़ाया है. मनमोहन ने देश के भविष्य के बारे में कहा कि तमाम गड़बड़ियों के बावजूद भारत एक प्रमुख वैश्विक ताकत बनने वाला है.
पीएम नरेंद्र मोदी पर मीडिया से बात न करने के आरोप लगाते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें प्रेस से बात करने में कभी डर नहीं लगा. मैं ऐसा प्रधानमंत्री नहीं था जो प्रेस से बात करने में डरता हो. मैं लगातार प्रेस से मिलता रहता था और हर विदेश यात्रा के बाद प्रेस कांफ्रेंस करता था. उन्होंने यह बात इसलिए कही कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने अबतक के कार्यकाल में कभी संवाददाता सम्मेलन आयोजित नहीं किया है. उल्लेखनीय है कि मनमोहन सिंह विदेश भी जाते थे तो विमान में पत्रकारों से बातचीत करते हुए जाते और आते थे. अखबारों में खबर के साथ छपता था-'प्रधानमंत्री के विशेष विमान से'. मई, 2014 के बाद से यह परंपरा बिल्कुल बंद है. उन्होंने कहा, "उन तमाम संवाददाता सम्मेलनों को इस पुस्तक में वर्णित किया गया है.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह - एक्सिडेंटल PM ही नहीं, एक्सिडेंटल फाइनेंस मिनिस्टर भी - पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आगे कहा कि जब वह 1991 में भारत के वित्त मंत्री थे, तो वह अपनी मदद से संकट को "महान अवसर" में बदलने में सफल रहे. उन्होंने कहा कि जीवन एक बड़ा एडवेंचर और जोखिम भरी रही है, जिसे मैं पसंद करता हूं. मुझे कोई पछतावा नहीं है. मुझे इस देश ने जो दिया है, उसे मैं कभी वापस नहीं कर पाऊंगा. जीवन के कुछ समय काफी स्मूथ रहे हैं और कुछ उतार-चढ़ाव वाले भी.
विमोचन समारोह में संवाददाताओं से अलग से बातचीत में मनमोहन सिंह ने कहा कि रिजर्व बैंक की स्वायत्तता तथा स्वतंत्रता का सम्मान होना चाहिए.
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