10 दिनों के भीतर कर्जमाफी का वादा, आसान नहीं रकम जुटाना - कांग्रेस ने सत्ता में आने के 10 दिनों में ही कर्जमाफी करने की घोषणा की है। लेकिन इसके लिए जो पैसा चाहिए उसका मौजूदा बजट में कहीं प्रावधान नहीं है। सिर्फ कोऑपरेटिव बैंक ने ही किसानों को शार्ट टर्म और मिड टर्म लोन के रूप में करीब 15 हजार करोड़ रुपए बांट रखे हैं। नई सरकार को यदि किसानों के लिए कर्जमाफी करनी है तो उसके लिए बजट में राशि का प्रावधान भी करना होगा। लेकिन बजट के लिए सरकार को काफी एक्सरसाइज करनी होती है। दूसरी तरफ मार्च में लोकसभा चुनावों की आचार संहिता लग सकती है।
इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर और स्टेट सेक्टर के बैंकों का भी लगभग 80 हजार करोड़ रुपए का कर्ज किसानों पर बकाया है। पिछली सरकार ने जब किसानों के लिए 10 हजार करोड़ रुपए कर्जमाफी का ऐलान किया था तो उसके लिए बजट में 2 हजार करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया था। ऐसे में इससे पहले सरकार को या तो अपना फुल बजट लाना होगा या फिर लोकसभा चुनावों के बाद तक का इंतजार करना होगा। यदि सरकार वोट ऑन अकाउंट लाती है तो उसमें सिर्फ सामान्य संचालन के खर्च को ही विधानसभा से मंजूरी मिल सकती है लेकिन किसी घोषणा व योजना के खर्च को वोट ऑन अकाउंट में पारित नहीं किया जाता।
10 दिनों के भीतर कर्जमाफी का वादा, आसान नहीं रकम जुटाना - इसके अलावा शेष राशि का बंदोबस्त करने की जिम्मेदारी अपेक्स कोऑपरेटिव बैंक को दी गई थी। अपेक्स बैंक ने भारी मशक्कत के बाद इसके लिए एनसीडीसी से 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया जिसकी गारंटर सरकार बनी। मौजूदा बजट में सरकार की उधार लेने की लिमिट 28 हजार करोड़ रुपए तय है। इसमें से सरकार अब तक 24557 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। ऐसे में नई सरकार के पास बाजार से उधार लेने की भी बहुत ज्यादा गुंजाइश नहीं है।
10 दिनों के भीतर कर्जमाफी का वादा, आसान नहीं रकम जुटाना - भाजपा सरकार ने जब 10 हजार करोड़ रुपए की कर्जमाफी की घोषणा की थी तब इसके लिए वित्तीय संसाधन जुटाने में उसे काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। वित्त विभाग ने वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए कर्जमाफी के लिए पैसा देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद सहकारी अपेक्स बैंक को एनसीडीसी से डवलपमेंट फंड के नाम पर 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेना पड़ा था। वित्त विभाग ने इस कर्ज की गारंटी दी थी।
इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर और स्टेट सेक्टर के बैंकों का भी लगभग 80 हजार करोड़ रुपए का कर्ज किसानों पर बकाया है। पिछली सरकार ने जब किसानों के लिए 10 हजार करोड़ रुपए कर्जमाफी का ऐलान किया था तो उसके लिए बजट में 2 हजार करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया था। ऐसे में इससे पहले सरकार को या तो अपना फुल बजट लाना होगा या फिर लोकसभा चुनावों के बाद तक का इंतजार करना होगा। यदि सरकार वोट ऑन अकाउंट लाती है तो उसमें सिर्फ सामान्य संचालन के खर्च को ही विधानसभा से मंजूरी मिल सकती है लेकिन किसी घोषणा व योजना के खर्च को वोट ऑन अकाउंट में पारित नहीं किया जाता।
10 दिनों के भीतर कर्जमाफी का वादा, आसान नहीं रकम जुटाना - इसके अलावा शेष राशि का बंदोबस्त करने की जिम्मेदारी अपेक्स कोऑपरेटिव बैंक को दी गई थी। अपेक्स बैंक ने भारी मशक्कत के बाद इसके लिए एनसीडीसी से 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया जिसकी गारंटर सरकार बनी। मौजूदा बजट में सरकार की उधार लेने की लिमिट 28 हजार करोड़ रुपए तय है। इसमें से सरकार अब तक 24557 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। ऐसे में नई सरकार के पास बाजार से उधार लेने की भी बहुत ज्यादा गुंजाइश नहीं है।
10 दिनों के भीतर कर्जमाफी का वादा, आसान नहीं रकम जुटाना - भाजपा सरकार ने जब 10 हजार करोड़ रुपए की कर्जमाफी की घोषणा की थी तब इसके लिए वित्तीय संसाधन जुटाने में उसे काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। वित्त विभाग ने वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए कर्जमाफी के लिए पैसा देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद सहकारी अपेक्स बैंक को एनसीडीसी से डवलपमेंट फंड के नाम पर 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेना पड़ा था। वित्त विभाग ने इस कर्ज की गारंटी दी थी।
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