17 अगस्त, 2013 को इलाहाबाद के आनंद भवन में एक कांग्रेसी कार्यकर्ता ने एक पोस्टर लगाया था, जिस पोस्टर पर प्रियंका गांधी की तस्वीर के साथ लिखा था ।
मैया रहती है बीमार, भैया पर बढ़ गया है भार, प्रियंका फूलपुर से बनो उम्मीदवार, पार्टी का करो प्रचार, कांग्रेस की सरकार बनाओ तीसरी बार ।
इस पोस्टर को लगाने वाले कार्यकर्ता हसीब अहमद को पार्टी ने तुरंत निलंबित कर दिया था, लेकिन 23 जनवरी, 2019 को हसीब अहमद बेहद ख़ुश हैं, उनकी ख़ुशी की वजह है कि अब पार्टी ने प्रियंका गांधी को महासचिव बनाते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया है ।
पू्र्वी उत्तर प्रदेश को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ माना जाता है, ऐसे में प्रियंका आगामी लोकसभा चुनाव में योगी को सीधी चुनौती देती नजर आएंगी, वह फरवरी के पहले सप्ताह में कार्यभार संभालेंगी ।
पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भी प्रियंका पार्टी की रणनीति तय करने और उम्मीदवारों के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं, हालांकि यह पहली बार है जब पार्टी में उन्हें औपचारिक पद दिया गया है ।
अब कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में अकेले चुनाव लड़ने की संभावनाओं के बीच मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है, पार्टी ने प्रियंका गांधी को महासचिव बनाते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया है, इसके साथ साथ पार्टी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को उत्तर प्रदेश (पश्चिम) का प्रभारी बनाया है ।
पार्टी के इस फ़ैसले के बाद राहुल गांधी ने कहा है, "मैं प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भरोसा करता हूं, हम बैकफुट पर नहीं खेलेंगे, मैं प्रियंका और ज्योतिरादित्य को केवल दो महीने के लिए नहीं भेज सकता, मैं इन्हें उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की विचारधारा को बढ़ाने के लिए भेज रहा हूं " ।
कार्यकर्ताओं में उत्साह
प्रियंका गांधी ने वैसे तो राजनीति से काफी समय से दूरी बनाकर रखी है, लेकिन तीन राज्यों के मुख्यमंत्री के चयन को लेकर जब कांग्रेस मुश्किल में थी, तब प्रियंका गांधी 'कौन होगा मुख्यमंत्री' के इस विचार मंथन में शामिल हुई थीं, अब कयास लगाए जा रहे हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आ सकती हैं।
कांग्रेस के अंदर भी समय-समय पर ये मांग उठती रही है अब ये मांग पूरी हो गई है, इससे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह है", हालांकि कांग्रेस की सबसे बड़ी मुश्किल यही है कि पार्टी के पीछे कार्यकर्ताओं का नितांत अभाव है, निकट भविष्य में गांधी भाई-बहन एक और एक ग्यारह की भूमिका में दिख सकते हैं।
कांग्रेस के परंपरागत वोटरों में दलित, मुसलमान और ब्राह्मण माने जाते थे, लेकिन मौजूदा समय में तीनों तबका अलग-अलग पार्टी के साथ जुड़ा है, दलित बहुजन समाज पार्टी के खेमे में दिखाई देते रहे हैं, मुसलमान समाजवादी पार्टी के, जबकि ब्राह्मणों ने भारतीय जनता पार्टी को अपना लिया है ।
प्रियंका गांधी के आने से स्थिति में बदलाव होगा., "मतदाताओं का जो तबका दूर हो गया था वो भी अब ओर उम्मीद से देखेगा, इसकी वजह प्रियंका गांधी का अपना अंदाज़ और व्यक्तित्व है, जिसमें लोग इंदिरा गांधी की छवि देखते हैं" ।
हालांकि केवल प्रियंका गांधी के आने से कांग्रेस की स्थिति में बहुत बदलाव होगा, ये बात दावे से नहीं कही जा सकती, क्योंकि पार्टी का परंपरागत मतदाता भी छिटक चुका है और ज़्यादातर हिस्सों में पार्टी का संगठन भी उतना मज़बूत नहीं है ।
2014 में नरेंद्र मोदी की लहर के सामने कांग्रेस उत्तर प्रदेश में केवल रायबरेली और अमेठी में अपनी सीटें बचा पाईं थीं, 2019 में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन ने इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार न खड़े करने का ऐलान किया है ।
इंदिरा गांधी जैसी छवि
"दरअसल आज भी आम लोगों को नेहरू-गांधी परिवार से एक लगाव तो है और प्रियंका गांधी कुछ कुछ इंदिरा जी जैसी लगती भी हैं, तो इसका असर तो होगा प्रियंका गांधी की नियुक्ति इस बात का संकेत है कि कांग्रेस का भविष्य उज्जवल है ।
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