भारत की गुफाओं का रहस्य, जहां जाकर आपको कुछ अलग देखने को मिलेगा।
बोरा गुफाएं
बोरा गुफाएं भारत में कुछ लोकप्रिय प्राकृतिक गुफाओं में से हैं और माना जाता है कि चूना पत्थर के संचय द्वारा गठित किया गया है। बोर्रा गुफा आंध्र प्रदेश में विशाखापटनम से लगभग 90 किमी दूर स्थित हैं और अराकू घाटी की यात्रा के दौरान जा सकते हैं।
ये गुफा एक वर्ग वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हुए हैं और स्टैलाग्माइट और स्टैलाटाइट की संरचनाओं से परिपूर्ण हैं, जिन्हें उनके आकार के अनुसार अलग-अलग नाम दिए गए हैं। इसलिए, शिव पार्वती, मातृ बालक, मानव मस्तिष्क, मगरमच्छ और रशिस दाढ़ी जैसी संरचनाएं पा सकते हैं।
गुफा में पाया जाने वाली संरचनाओं में से एक प्रसिद्ध शिवलिंगम और गाय की मूर्ति को कामधेनु के रूप में जाना जाता है।
विलियम किंग जॉर्ज ने 1807 में आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम जिले में अराकू वैली के पास अनंतगिरी की पहाडि़यों में खोजी थी। यहां कार्स्टिक चूना पत्थर से बनी हुई सबसे गहरी गुफा है।
इसकी गहराई 80 मीटर है। ये भारत की सबसे गहरी गुफाओं में से एक है।
भीमबेटका रॉक शेल्टर
भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त के रायसेन जिले में स्थित एक पुरापाषाणिक आवासीय पुरास्थल है। यह आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है।
इन चित्रों को पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के समय का माना जाता है। ये चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के प्राचीनतम चिह्न हैं।
यह स्थल मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से ४५ किमी दक्षिणपूर्व में स्थित है।भीमबेटका को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भोपाल मंडल ने अगस्त १९९० में राष्ट्रीय महत्त्व का स्थल घोषित किया।
इसके बाद जुलाई २००३ में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।यहाँ अन्य पुरावशेष भी मिले हैं जिनमें प्राचीन किले की दीवार, लघुस्तूप, पाषाण निर्मित भवन, शुंग-गुप्त कालीन अभिलेख, शंख अभिलेख और परमार कालीन मंदिर के अवशेष सम्मिलित हैं।
माना जाता है कि यह स्थान महाभारत के चरित्र भीम से संबन्धित है एवं इसी से इसका नाम भीमबैठका (कालांतर में भीमबेटका) पड़ा। ये गुफाएँ मध्य भारत के पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित विन्ध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर हैं।
इसके दक्षिण में सतपुड़ा की पहाड़ियाँ आरम्भ हो जाती हैं।गुफाएं पाषाण काल की बनी हुई हैं। गुफा की दीवारों पर इंसान और जानवरों की पेंटिंग उकेरी गई हैं।
मानव सभ्यता की ये सबसे पुराने चिह्नों में से एक हैं। 2003 में इसे वर्ल्ड हैरिटेज साइट घोषित कर दिया गया था। ये गुफा लगभग 30 हजार साल पुरानी है। यहां पांच सौ से ज्यादा प्राकृतिक गुफाएं बनी हुई हैं।
भीमबेटका में युद्ध की पेंटिंग दीवारों पर बनाई गई है। 1958 में इस पेंटिंग की खोज की गई थी।
श्री अमरनाथ जी की पवित्र गुफ़ा
यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं।
आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं।
गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूँदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूँदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है।
चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है।
आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाए।
मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग अलग हिमखंड हैं।
अंडावल्ली गुफा
अंडावल्ली गुफा प्रचीन काल का सबसे बेहतरीन नमूना है। इसे विश्वकर्मा स्थापथीस कहा जाता है। आंध्र प्रदेश में यह गुफा विजयवाड़ा से सिर्फ 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इन गुफाएं चौथी-पांचवी शताब्दी की प्रतीत होती हैं। यह गुफाएं पत्थरों से निर्मित हैं। ये गुफा बात का प्रमाण है कि कितने बुद्धिस्ट आर्ट फैक्ट और स्तूफ हिन्दू मंदिरों में तब्दील हो गए। यह एक जैन गुफा थी।
यह उदयगिरि और खांडगिरि के आर्कीटेक्चर का नमूना है।
इसमें से प्रमुख गुफा गुप्त काल के आर्कीटेक्चर का नमूना है।इसे विश्वकर्मा स्थापथीस कहा जाता है। आंध्र प्रदेश में यह गुफा विजयवाड़ा से सिर्फ 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इन गुफाएं चौथी-पांचवी शताब्दी की प्रतीत होती हैं। यह गुफाएं पत्थरों से निर्मित हैं। यह एक जैन गुफा थी। यह उदयगिरि और खांडगिरि के आर्कीटेक्चर का नमूना है। इसमें से प्रमुख गुफा गुप्त काल के आर्कीटेक्चर का नमूना है।
वैष्णो देवी
जम्मू कश्मीर में स्थित वैष्णो देवी मंदिर भारत की सबसे प्रचीन गुफाओं में से एक है। ये प्रमुख हिन्दू मंदिरों और शक्ति के 52 पीठों में से एक है।
यह त्रिकूट पहाडि़यों पर स्थित है। यहां हर साल लाखों की संख्या में भक्त आते हैं।
उदयगिरि और खांडगिरि गुफा
ओडीशा में भुवनेश्वर के पास स्थित दो पहाड़ियाँ हैं। इन पहाड़ियों में आंशिक रूप से प्राकृतिक व आंशिक रूप से कृत्रिम गुफाएँ उदयगिरि और खांडगिरि गुफा हैं जो पुरातात्विक, ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व की हैं।
हाथीगुम्फा शिलालेख में इनका वर्णन 'कुमारी पर्वत' के रूप में आता है। ये दोनों गुफाएं लगभग दो सौ मीटर के अंतर पर हैं और एक दूसरे के सामने हैं। ये गुफाएं अजन्ता और एलोरा जितनी प्रसिद्ध नहीं हैं, लेकिन इनका निर्माण बहुत सुंदर ढंग से किया गया है।
इनका निर्माण राजा खारावेला के शासनकाल में विशाल शिलाखंडों से किया गया था और यहां पर जैन साधु निर्वाण प्राप्ति की यात्रा के समय करते थे।
इतिहास, वास्तुकला, कला और धर्म की दृष्टि से इन गुफाओं का विशेष महत्व है। उदयगिरि में 18 गुफाएं हैं और खंडगिरि में 15 गुफाएं हैं।
कुछ गुफाएं प्राकृतिक हैं, लेकिन ऐसी मान्यता है कि कुछ गुफाओं का निर्माण जैन साधुओं ने किया था और ये प्रारंभिक काल में चट्टानों से काट कर बनाए गए जैन मंदिरों की वास्तुकला के नमूनों में से एक है।
उड़ीसा में बनी उदयगिरि और खांडगिरि गुफा प्रकृति और मानव निर्मित गुफा का अद्भुत नमूना है। इस आर्कियोलॉजिकल और हिस्टॉरिकल गुफा का अपना ही धार्मिक महत्व है।
यह गुफा भुवनेश्वर के पास स्थित है। यहां की ज्यादातर गुफाएं जैन मॉंक का घर रहीं हैं। उदयगिरि का अर्थ होता है सूर्योदय गुफा। यहां 18 खांडगिरि गुफाएं भी है। जिनका अर्थ होता है टूटी हुई पहाडि़यां। जैन गुफाएं भारत में प्राचीन काल से हैं।
एलीफेंटा गुफाएं
एलीफेंटा द्वीप भगवान शिव का गौरवशाली निवास स्थान और हिन्दू गुफा संस्कृति का प्रतीक हैं। यह मुंबई के निकट ओमान सागर में एक द्वीप पर सात गुफाओं का संजाल है जो अपने सुसज्जित मंदिरों और हिन्दू पौराणिक कथाओं से चित्रों के साथ एक लुप्त हुई संस्कृति का अद्वितीय साक्ष्य है।
यहां भारतीय कला ने विशेष रूप से मुख्य गुफा में विशाल उच्च उभरी हुई नक्काशियों में अपने सबसे सुन्दर अभिव्यक्ति को पाया है।
यह नाम पुर्तगाली नाविकों द्वारा पत्थर से निर्मित विशालकाय हाथी की प्रतिमा के पाये जाने के कारण दिया गया था। पत्थर के इस हाथी को टुकडों में काटकर, मुंबई ले जाया गया था और किसी तरह इसे दुबारा जोड़ दिया गया था।
यह आजकल महाराष्ट्र की महान राजधानी और जनसंख्या-वार भारत के द्वितीय शहर मुंबई के विक्टोरिया गार्डन चिड़ियाघर में पुरानी यादों का संरक्षक है। निश्चित समय के बारे में अभी भी बहुत चर्चाएं होती रहती हैं और विभिन्न विशेषज्ञों के अनुसार 6वीं सदी से लेकर 8वीं सदी तक इसके निर्माण कार्य का उल्लेख किया गया है।
ये भारत में शैल कला के बहुत ही आकर्षक संग्रहों में से एक हैं। यहां गुफाओं के दो समूह हैं। पूर्व की ओर स्तूप पहाड़ी (इसके शीर्ष पर ईंट का छोटा बौद्ध स्तूप होने के कारण यह नाम दिया गया था) है जिसमें दो गुफाएं हैं, एक अधूरी है और कई तालाब शामिल हैं। पश्चिम की ओर पत्थरों को काटकर बनाए गए पांच हिन्दू मंदिरों का विशाल समूह है।
मुख्य गुफा शिव की शोभा बढ़ाने वाली इसकी नक्काशियों के कारण सर्वत्र प्रसिद्ध है जिसे विभिन्न कला रूपों और घटनाक्रमों में सराहा गया है। गुफा में एक वर्गाकार ढांचे का मण्डप है जिसके किनारों की लंबाई लगभग 27 मी. है।इसे सिटी ऑफ केव्स भी कहा जाता है। ये मुंबई में हार्बॉर पर स्थित हैं।
ये आइसलैंड दो गुफाओं का घर है। यहां दो ग्रुपो में पहली पांच हिन्दू गुफाएं है और छोटे ग्रुप में दो बुद्धिस्ट गुफाएं हैं। पहाड़ों को काट कर इन गुफाओं का निर्माण किया गया है।
बोरा गुफाएं
बोरा गुफाएं भारत में कुछ लोकप्रिय प्राकृतिक गुफाओं में से हैं और माना जाता है कि चूना पत्थर के संचय द्वारा गठित किया गया है। बोर्रा गुफा आंध्र प्रदेश में विशाखापटनम से लगभग 90 किमी दूर स्थित हैं और अराकू घाटी की यात्रा के दौरान जा सकते हैं।
ये गुफा एक वर्ग वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हुए हैं और स्टैलाग्माइट और स्टैलाटाइट की संरचनाओं से परिपूर्ण हैं, जिन्हें उनके आकार के अनुसार अलग-अलग नाम दिए गए हैं। इसलिए, शिव पार्वती, मातृ बालक, मानव मस्तिष्क, मगरमच्छ और रशिस दाढ़ी जैसी संरचनाएं पा सकते हैं।
गुफा में पाया जाने वाली संरचनाओं में से एक प्रसिद्ध शिवलिंगम और गाय की मूर्ति को कामधेनु के रूप में जाना जाता है।
विलियम किंग जॉर्ज ने 1807 में आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम जिले में अराकू वैली के पास अनंतगिरी की पहाडि़यों में खोजी थी। यहां कार्स्टिक चूना पत्थर से बनी हुई सबसे गहरी गुफा है।
इसकी गहराई 80 मीटर है। ये भारत की सबसे गहरी गुफाओं में से एक है।
भीमबेटका रॉक शेल्टर
भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त के रायसेन जिले में स्थित एक पुरापाषाणिक आवासीय पुरास्थल है। यह आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है।
इन चित्रों को पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के समय का माना जाता है। ये चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के प्राचीनतम चिह्न हैं।
यह स्थल मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से ४५ किमी दक्षिणपूर्व में स्थित है।भीमबेटका को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भोपाल मंडल ने अगस्त १९९० में राष्ट्रीय महत्त्व का स्थल घोषित किया।
इसके बाद जुलाई २००३ में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।यहाँ अन्य पुरावशेष भी मिले हैं जिनमें प्राचीन किले की दीवार, लघुस्तूप, पाषाण निर्मित भवन, शुंग-गुप्त कालीन अभिलेख, शंख अभिलेख और परमार कालीन मंदिर के अवशेष सम्मिलित हैं।
माना जाता है कि यह स्थान महाभारत के चरित्र भीम से संबन्धित है एवं इसी से इसका नाम भीमबैठका (कालांतर में भीमबेटका) पड़ा। ये गुफाएँ मध्य भारत के पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित विन्ध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर हैं।
इसके दक्षिण में सतपुड़ा की पहाड़ियाँ आरम्भ हो जाती हैं।गुफाएं पाषाण काल की बनी हुई हैं। गुफा की दीवारों पर इंसान और जानवरों की पेंटिंग उकेरी गई हैं।
मानव सभ्यता की ये सबसे पुराने चिह्नों में से एक हैं। 2003 में इसे वर्ल्ड हैरिटेज साइट घोषित कर दिया गया था। ये गुफा लगभग 30 हजार साल पुरानी है। यहां पांच सौ से ज्यादा प्राकृतिक गुफाएं बनी हुई हैं।
भीमबेटका में युद्ध की पेंटिंग दीवारों पर बनाई गई है। 1958 में इस पेंटिंग की खोज की गई थी।
श्री अमरनाथ जी की पवित्र गुफ़ा
यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं।
आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं।
गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूँदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूँदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है।
चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है।
आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाए।
मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग अलग हिमखंड हैं।
अंडावल्ली गुफा
अंडावल्ली गुफा प्रचीन काल का सबसे बेहतरीन नमूना है। इसे विश्वकर्मा स्थापथीस कहा जाता है। आंध्र प्रदेश में यह गुफा विजयवाड़ा से सिर्फ 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इन गुफाएं चौथी-पांचवी शताब्दी की प्रतीत होती हैं। यह गुफाएं पत्थरों से निर्मित हैं। ये गुफा बात का प्रमाण है कि कितने बुद्धिस्ट आर्ट फैक्ट और स्तूफ हिन्दू मंदिरों में तब्दील हो गए। यह एक जैन गुफा थी।
यह उदयगिरि और खांडगिरि के आर्कीटेक्चर का नमूना है।
इसमें से प्रमुख गुफा गुप्त काल के आर्कीटेक्चर का नमूना है।इसे विश्वकर्मा स्थापथीस कहा जाता है। आंध्र प्रदेश में यह गुफा विजयवाड़ा से सिर्फ 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इन गुफाएं चौथी-पांचवी शताब्दी की प्रतीत होती हैं। यह गुफाएं पत्थरों से निर्मित हैं। यह एक जैन गुफा थी। यह उदयगिरि और खांडगिरि के आर्कीटेक्चर का नमूना है। इसमें से प्रमुख गुफा गुप्त काल के आर्कीटेक्चर का नमूना है।
वैष्णो देवी
जम्मू कश्मीर में स्थित वैष्णो देवी मंदिर भारत की सबसे प्रचीन गुफाओं में से एक है। ये प्रमुख हिन्दू मंदिरों और शक्ति के 52 पीठों में से एक है।
यह त्रिकूट पहाडि़यों पर स्थित है। यहां हर साल लाखों की संख्या में भक्त आते हैं।
उदयगिरि और खांडगिरि गुफा
ओडीशा में भुवनेश्वर के पास स्थित दो पहाड़ियाँ हैं। इन पहाड़ियों में आंशिक रूप से प्राकृतिक व आंशिक रूप से कृत्रिम गुफाएँ उदयगिरि और खांडगिरि गुफा हैं जो पुरातात्विक, ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व की हैं।
हाथीगुम्फा शिलालेख में इनका वर्णन 'कुमारी पर्वत' के रूप में आता है। ये दोनों गुफाएं लगभग दो सौ मीटर के अंतर पर हैं और एक दूसरे के सामने हैं। ये गुफाएं अजन्ता और एलोरा जितनी प्रसिद्ध नहीं हैं, लेकिन इनका निर्माण बहुत सुंदर ढंग से किया गया है।
इनका निर्माण राजा खारावेला के शासनकाल में विशाल शिलाखंडों से किया गया था और यहां पर जैन साधु निर्वाण प्राप्ति की यात्रा के समय करते थे।
इतिहास, वास्तुकला, कला और धर्म की दृष्टि से इन गुफाओं का विशेष महत्व है। उदयगिरि में 18 गुफाएं हैं और खंडगिरि में 15 गुफाएं हैं।
कुछ गुफाएं प्राकृतिक हैं, लेकिन ऐसी मान्यता है कि कुछ गुफाओं का निर्माण जैन साधुओं ने किया था और ये प्रारंभिक काल में चट्टानों से काट कर बनाए गए जैन मंदिरों की वास्तुकला के नमूनों में से एक है।
उड़ीसा में बनी उदयगिरि और खांडगिरि गुफा प्रकृति और मानव निर्मित गुफा का अद्भुत नमूना है। इस आर्कियोलॉजिकल और हिस्टॉरिकल गुफा का अपना ही धार्मिक महत्व है।
यह गुफा भुवनेश्वर के पास स्थित है। यहां की ज्यादातर गुफाएं जैन मॉंक का घर रहीं हैं। उदयगिरि का अर्थ होता है सूर्योदय गुफा। यहां 18 खांडगिरि गुफाएं भी है। जिनका अर्थ होता है टूटी हुई पहाडि़यां। जैन गुफाएं भारत में प्राचीन काल से हैं।
एलीफेंटा गुफाएं
एलीफेंटा द्वीप भगवान शिव का गौरवशाली निवास स्थान और हिन्दू गुफा संस्कृति का प्रतीक हैं। यह मुंबई के निकट ओमान सागर में एक द्वीप पर सात गुफाओं का संजाल है जो अपने सुसज्जित मंदिरों और हिन्दू पौराणिक कथाओं से चित्रों के साथ एक लुप्त हुई संस्कृति का अद्वितीय साक्ष्य है।
यहां भारतीय कला ने विशेष रूप से मुख्य गुफा में विशाल उच्च उभरी हुई नक्काशियों में अपने सबसे सुन्दर अभिव्यक्ति को पाया है।
यह नाम पुर्तगाली नाविकों द्वारा पत्थर से निर्मित विशालकाय हाथी की प्रतिमा के पाये जाने के कारण दिया गया था। पत्थर के इस हाथी को टुकडों में काटकर, मुंबई ले जाया गया था और किसी तरह इसे दुबारा जोड़ दिया गया था।
यह आजकल महाराष्ट्र की महान राजधानी और जनसंख्या-वार भारत के द्वितीय शहर मुंबई के विक्टोरिया गार्डन चिड़ियाघर में पुरानी यादों का संरक्षक है। निश्चित समय के बारे में अभी भी बहुत चर्चाएं होती रहती हैं और विभिन्न विशेषज्ञों के अनुसार 6वीं सदी से लेकर 8वीं सदी तक इसके निर्माण कार्य का उल्लेख किया गया है।
ये भारत में शैल कला के बहुत ही आकर्षक संग्रहों में से एक हैं। यहां गुफाओं के दो समूह हैं। पूर्व की ओर स्तूप पहाड़ी (इसके शीर्ष पर ईंट का छोटा बौद्ध स्तूप होने के कारण यह नाम दिया गया था) है जिसमें दो गुफाएं हैं, एक अधूरी है और कई तालाब शामिल हैं। पश्चिम की ओर पत्थरों को काटकर बनाए गए पांच हिन्दू मंदिरों का विशाल समूह है।
मुख्य गुफा शिव की शोभा बढ़ाने वाली इसकी नक्काशियों के कारण सर्वत्र प्रसिद्ध है जिसे विभिन्न कला रूपों और घटनाक्रमों में सराहा गया है। गुफा में एक वर्गाकार ढांचे का मण्डप है जिसके किनारों की लंबाई लगभग 27 मी. है।इसे सिटी ऑफ केव्स भी कहा जाता है। ये मुंबई में हार्बॉर पर स्थित हैं।
ये आइसलैंड दो गुफाओं का घर है। यहां दो ग्रुपो में पहली पांच हिन्दू गुफाएं है और छोटे ग्रुप में दो बुद्धिस्ट गुफाएं हैं। पहाड़ों को काट कर इन गुफाओं का निर्माण किया गया है।
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