दिया कुमारी जयपुर या सवाईमाधोपुर से लड़ेंगी लोक सभा चुनाव?
जयपुर के राजपरिवार का राजनीतिक सफर भी कुछ अनूठा रहा है, राजपरिवार की तीन पीढ़ियों ने तीन पार्टियों का दामन थामा, गायत्री देवी से लेकर दीया कुमारी तक इसमें शरीक रही, लेकिन एक बार फिर से इस परिवार के राजनीतिक सफर पर ब्रेक लग गए।
जब दिया कुमारी को विधानसभा का टिकट नहीं दिया गया तभी से सियासी हलकों में यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे जयपुर या सवाईमाधोपुर लोकसभा सांसद का चुनाव लड़ेंगी।
राजपरिवार की गायत्री देवी ने जीत का रिकॉर्ड कायम किया था, जिसे अभी तक अगली पीढ़ी नहीं तोड़ पाई है, गायत्री देवी के बाद भवानी सिंह ने भी लोकतंत्र में अपना बनाने के लिए आगे बढ़े, लेकिन एक ताकतवार कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी होने के बावजूद 1989 के चुनाव में हार गए, जबकि उस दौरान कांग्रेस पार्टी का वर्चस्त काफी उफान पर था, भवानी सिंह के सामने सामान्य परिवार से आने वाले गिरधारी लाल भार्गव ने चुनाव लड़ा था, जो चुनाव जीते।
लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा ने जैसे ही संसदीय सीटों पर प्रवास बैठकें शुरू की, पार्टी में टिकटों को लेकर गोलबंदी शुरू हो गई।
दीया कुमारी की टोंक-सवाईमाधोपुर सीट को लेकर बढ़ती सक्रियता ने मौजूदा सांसद सुखबीर सिंह जोनपुरिया की चिंता बढ़ा दी है।
9 फरवरी को टोंक-सवाईमाधोपुर के भाजपा नेताओं को अपने आवास पर खाने के लिए बुलाया, सूत्रों के मुताबिक प्रदेश संगठन के प्रभावशाली नेता दिया कुमारी को इस सीट से सांसद के टिकट देने की हामी भर चुके हैं।
इधर टोंक सांसद सुखबीर सिंह जोनपुरिया अपने समर्थकों के साथ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के आवास पर पहुंचे, हालांकि यह कहा जा रहा है कि वे 14 फरवरी को टोंक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे की तैयारियों को लेकर राजे से मिले हैं।
लोकसभा चुनावों में इस बार पार्टी कम से कम 8 सांसदों के टिकट काट सकती है, जयपुर शहर, कोटा, टोंक-सवाईमाधोपुर, बाड़मेर, करौली-धौलपुर, सीकर, भरतपुर में पार्टी विधानसभा चुनावों में बुरी तरह हारी है।
इसका असर यहां के टिकटों पर भी पड़ेगा, विधानसभा चुनावों में जयपुर शहर संसदीय क्षेत्र में भाजपा 8 में से 5 सीटें हार गईं।
दिया कुमारी जयपुर या सवाईमाधोपुर से लड़ेंगी लोक सभा चुनाव?
दिया कुमारी जयपुर के आखिरी महाराज भवानी सिंह की बेटी हैं, 47 वर्षीय भाजपा की पूर्व विधायक दिया कुमारी ने नरेंद्र सिंह से अगस्त 1997 में अपने परिवार और समाज के खिलाफ जाकर लव मैरिज की थी, दोनों ने शादी के 21 साल बाद अलग होने का फैसला लिया, उनके दो बेटे और एक बेटी है ।
राजस्थान के जयपुर के गांधी नगर स्थित परिवार न्ययालय में दोनों ने तलाक की अर्जी कुछ महीनों पहले दी थी, दोनों ने हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के सेक्शन 13 बी के तहत तलाक की अर्जी दी कि दोनों अपनी मर्जी से अलग होना चाहते हैं ।
दोनों ही कुछ समय से अलग रह रहे थे, पिछले साल दिसंबर में दोनों के तलाक की अर्जी सार्वजनिक होने के बाद उन्होंने एक बयान जारी किया था जिसमें कहा था, ‘हम साथ में इस बात को कह रहे हैं कि ये हमारा निजी मामला है इसलिए हम इस पर आगे कोई बात नहीं करना चाहते हैं और हमने साथ में ये फैसला लिया है कि हम अलग हो रहे हैं ।
नरेंद्र दिया की तरह राजसी नहीं बल्कि एक आम परीवार से हैं, नरेंद्र और दिया ने 9 साल एक दूसरे को डेट करने के बाद शादी की थी, उनकी शादी ने शाही और राजपुत समुदाय को नाखुश किया था क्योंकि दोनों ही एक गोत्र से थे ।
अपनी दादी राजमाता गायत्री देवी की तरह दिया ने भी 2013 में राजनीति में कदम रखा, दिया ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में निजी कारणों से लड़ने से मना कर दिया, कहा जा रहा था कि शायद दिया आने वाले लोकसभा चुनाव में जयपुर या सवाईमाधोपुर से लड़ेंगी ।
जयपुर के राजपरिवार का राजनीतिक सफर भी कुछ अनूठा रहा है, राजपरिवार की तीन पीढ़ियों ने तीन पार्टियों का दामन थामा, गायत्री देवी से लेकर दीया कुमारी तक इसमें शरीक रही, लेकिन एक बार फिर से इस परिवार के राजनीतिक सफर पर ब्रेक लग गए।
जब दिया कुमारी को विधानसभा का टिकट नहीं दिया गया तभी से सियासी हलकों में यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे जयपुर या सवाईमाधोपुर लोकसभा सांसद का चुनाव लड़ेंगी।
राजपरिवार की गायत्री देवी ने जीत का रिकॉर्ड कायम किया था, जिसे अभी तक अगली पीढ़ी नहीं तोड़ पाई है, गायत्री देवी के बाद भवानी सिंह ने भी लोकतंत्र में अपना बनाने के लिए आगे बढ़े, लेकिन एक ताकतवार कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी होने के बावजूद 1989 के चुनाव में हार गए, जबकि उस दौरान कांग्रेस पार्टी का वर्चस्त काफी उफान पर था, भवानी सिंह के सामने सामान्य परिवार से आने वाले गिरधारी लाल भार्गव ने चुनाव लड़ा था, जो चुनाव जीते।
लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा ने जैसे ही संसदीय सीटों पर प्रवास बैठकें शुरू की, पार्टी में टिकटों को लेकर गोलबंदी शुरू हो गई।
दीया कुमारी की टोंक-सवाईमाधोपुर सीट को लेकर बढ़ती सक्रियता ने मौजूदा सांसद सुखबीर सिंह जोनपुरिया की चिंता बढ़ा दी है।
9 फरवरी को टोंक-सवाईमाधोपुर के भाजपा नेताओं को अपने आवास पर खाने के लिए बुलाया, सूत्रों के मुताबिक प्रदेश संगठन के प्रभावशाली नेता दिया कुमारी को इस सीट से सांसद के टिकट देने की हामी भर चुके हैं।
इधर टोंक सांसद सुखबीर सिंह जोनपुरिया अपने समर्थकों के साथ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के आवास पर पहुंचे, हालांकि यह कहा जा रहा है कि वे 14 फरवरी को टोंक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे की तैयारियों को लेकर राजे से मिले हैं।
लोकसभा चुनावों में इस बार पार्टी कम से कम 8 सांसदों के टिकट काट सकती है, जयपुर शहर, कोटा, टोंक-सवाईमाधोपुर, बाड़मेर, करौली-धौलपुर, सीकर, भरतपुर में पार्टी विधानसभा चुनावों में बुरी तरह हारी है।
इसका असर यहां के टिकटों पर भी पड़ेगा, विधानसभा चुनावों में जयपुर शहर संसदीय क्षेत्र में भाजपा 8 में से 5 सीटें हार गईं।
दिया कुमारी जयपुर के आखिरी महाराज भवानी सिंह की बेटी हैं, 47 वर्षीय भाजपा की पूर्व विधायक दिया कुमारी ने नरेंद्र सिंह से अगस्त 1997 में अपने परिवार और समाज के खिलाफ जाकर लव मैरिज की थी, दोनों ने शादी के 21 साल बाद अलग होने का फैसला लिया, उनके दो बेटे और एक बेटी है ।
राजस्थान के जयपुर के गांधी नगर स्थित परिवार न्ययालय में दोनों ने तलाक की अर्जी कुछ महीनों पहले दी थी, दोनों ने हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के सेक्शन 13 बी के तहत तलाक की अर्जी दी कि दोनों अपनी मर्जी से अलग होना चाहते हैं ।
दोनों ही कुछ समय से अलग रह रहे थे, पिछले साल दिसंबर में दोनों के तलाक की अर्जी सार्वजनिक होने के बाद उन्होंने एक बयान जारी किया था जिसमें कहा था, ‘हम साथ में इस बात को कह रहे हैं कि ये हमारा निजी मामला है इसलिए हम इस पर आगे कोई बात नहीं करना चाहते हैं और हमने साथ में ये फैसला लिया है कि हम अलग हो रहे हैं ।
नरेंद्र दिया की तरह राजसी नहीं बल्कि एक आम परीवार से हैं, नरेंद्र और दिया ने 9 साल एक दूसरे को डेट करने के बाद शादी की थी, उनकी शादी ने शाही और राजपुत समुदाय को नाखुश किया था क्योंकि दोनों ही एक गोत्र से थे ।
अपनी दादी राजमाता गायत्री देवी की तरह दिया ने भी 2013 में राजनीति में कदम रखा, दिया ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में निजी कारणों से लड़ने से मना कर दिया, कहा जा रहा था कि शायद दिया आने वाले लोकसभा चुनाव में जयपुर या सवाईमाधोपुर से लड़ेंगी ।
दैनिक चमकता राजस्थान
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