जीवन क्या है, मौत के बाद क्या वापस जीवन है
हम देखते हैं की अलग अलग सभ्यताएं और संस्कृतियां का मानना हैं की मनुष्य मिट्टी से बना है और मरने के बाद वो फिर से मिट्टी में मिल जाता है।
इस जीवन के ख़त्म होने के बाद और कुछ नहीं है, वही विज्ञान के हिसाब से इंसान सदियों से चले आ रहे परिवर्तन का एक नतीजा है।
आज हम जैसे दिखते हैं वो प्रकृति के द्वारा किये गए बद्लावों का नतीजा है जिससे हम समय के साथ-साथ और बेहतर होते चले गए।
हमारा शरीर भी अलग अलग रसायनो से मिलकर बना हुआ है और वो ही हमे चलाते भी हैं, जब हम मर जाते है तो वही रसायन हमारे शरीर को ख़त्म भी कर देते है, बस यहीं हमारा अंत हो जाता है और उसके बाद हमारी और कोई ज़िन्दगी या अस्तित्व नहीं होता।
मृत शरीर को नहलाकर उसके नाक और कान में रूई डाल दी जाती है इसके पीछे वैज्ञानिक मान्यताएं है। जिसके अनुसार मृतक शरीर के अंदर कोई कीटाणु न जा सके इसलिए नाक और कान को रूई से बंद कर दिया जाता है।
इसके अलावा मृत शरीर के नाक से एक द्रव निकलता है जिसे रोकने के लिए रुई का इस्तेमाल किया जाता है।
मौत के बाद की जिंदगी के बारे में जानने को लोग अकसर उत्सुक रहते हैं, लेकिन इस रहस्य को सुलझाना इतना आसान नहीं।
यह तो हम सभी जानते हैं कि मृत्यु के बाद आत्मा शरीर को त्याग देती है, क्या आप इस सवाल का जवाब दे सकते हैं कि अंतिम समय के दौरान इंसान के शरीर के किन भागों से आत्मा निकलती है?
गरुड़ पुराण में ऐसा बताया गया है कि मनुष्य के शरीर में दस अंग ऐसे होते हैं जो हमेशा खुले हुए रहते हैं।
दो आंख, नाक के दो छिद्र, दो कानों के छिद्र, मुख व मल मूत्र विसर्जन का द्वार और अंत में आता है सिर के बीच का तलवा।
बच्चा जब पैदा होता है तब आप सिर को छूकर इस छिद्र को महसूस कर सकते हैं, ऐसा कहा जाता है कि मां के गर्भ में बच्चे के शरीर में आत्मा इसी छिद्र से प्रवेश करती है।
अपनी जिंदगी में इंसान जैसा कर्म करता है मौत के समय उसकी आत्मा भी कर्मों के हिसाब से शरीर के इन भागों में से निकलती है।
जैसे कि अच्छी आत्माएं सिर के तलवे से निकलती है और वही बुरी आत्माएं गुप्तांगों से निकलती है जिससे उन्हें बेहद कष्ट होता है।
जीवन क्या है, मौत के बाद क्या वापस जीवन है
सात्विक आत्माओं को देवदूतों का समूह अपने संग स्वर्ग लेकर जाते हैं और बुरी आत्माओं को यमदूत बंधनों में बांधकर यमलोक लेकर जाते हैं, शवदाह से पहले आत्मा को दोबारा पृथ्वीलोक में लाया जाता है और उसे उसका अंतिम संस्कार दिखाया जाता है।
इस दौरान आत्मा उस शरीर में दोबारा प्रवेश करने के लिए छटपटाती रहती है, लेकिन बंधनों में जकड़े रहने के चलते वह ऐसा कर पाने में असमर्थ रहता है।
18 पुराणों में से एक गरुड़ पुराण में पाप-पुण्य, स्वर्ग-नर्क के अलावा भी कई सारी बातों के बारे में बताया गया है।
इसमें विज्ञान, धर्म, नीति का वर्णन भी विस्तार से किया गया है, इस पवित्र धार्मिक ग्रंथ का पाठ हर किसी को करना चाहिए।
यदि आपके फ्रिज में खाना है, बदन पर कपड़े हैं, घर के ऊपर छत है और सोने के लिये जगह है,
तो दुनिया के 75% लोगों से ज्यादा धनी हैं
यदि आपके पर्स में पैसे हैं और आप कुछ बदलाव के लिये कही भी जा सकते हैं जहाँ आप जाना चाहते हैं
तो आप दुनिया के 18% धनी लोगों में शामिल हैं
यदि आप आज पूर्णतः स्वस्थ होकर जीवित हैं
तो आप उन लाखों लोगों की तुलना में खुशनसीब हैं जो इस हफ्ते जी भी न पायें
जीवन के मायने दुःखों की शिकायत करने में नहीं हैं
बल्कि हमारे निर्माता को धन्यवाद करने के अन्य हजारों कारणों में है!!!
यदि आप मैसेज को वाकइ पढ़ सकते हैं और समझ सकते हैं
तो आप उन करोड़ों लोगों में खुशनसीब हैं जो देख नहीं सकते और पढ़ नहीं सकते
नींद और मौत में क्या फर्क है ?
किसी ने क्या खूबसूरत जवाब दिया है-
"नींद आधी मौत है" और "मौत मुकम्मल नींद है"
जिंदगी तो अपने ही तरीके से चलती है औरों के सहारे तो जनाज़े उठा करते हैं।
सुबहे होती है , शाम होती है उम्र यू ही तमाम होती है ।
कोई रो कर दिल बहलाता है और कोई हँस कर दर्द छुपाता है, क्या करामात है कुदरत की,
ज़िंदा इंसान पानी में डूब जाता है, और मुर्दा तैर के दिखाता है, बस के कंडक्टर सी हो गयी है जिंदगी ।
सफ़र भी रोज़ का है और जाना भी कही नहीं।
सफलता के सात भेद, मुझे अपने कमरे के अंदर ही उत्तर मिल गये !
छत ने कहा : ऊँचे उद्देश्य रखो !
पंखे ने कहा : ठन्डे रहो !
घडी ने कहा : हर मिनट कीमती है !
शीशे ने कहा : कुछ करने से पहले अपने अंदर झांक लो !
खिड़की ने कहा : दुनिया को देखो !
दरवाजे ने कहा : अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरा जोर लगाओ !
लकीरें भी बड़ी अजीब होती हैं-
माथे पर खिंच जाएँ तो किस्मत बना देती हैं
जमीन पर खिंच जाएँ तो सरहदें बना देती हैं
खाल पर खिंच जाएँ तो खून ही निकाल देती हैं
और रिश्तों पर खिंच जाएँ तो दीवार बना देती हैं
एक रूपया एक लाख नहीं होता ,
मगर फिर भी एक रूपया एक लाख से निकल जाये तो वो लाख भी लाख नहीं रहता
बड़े सपनों को पाने वाले हर व्यक्ति को सफलता और असफलता के कई पड़ावों से गुजरना पड़ता है-
पहले लोग मजाक उड़ाएंगे, फिर लोग साथ छोड़ेंगे, फिर विरोध करेंगे
इस जीवन के ख़त्म होने के बाद और कुछ नहीं है, वही विज्ञान के हिसाब से इंसान सदियों से चले आ रहे परिवर्तन का एक नतीजा है।
आज हम जैसे दिखते हैं वो प्रकृति के द्वारा किये गए बद्लावों का नतीजा है जिससे हम समय के साथ-साथ और बेहतर होते चले गए।
हमारा शरीर भी अलग अलग रसायनो से मिलकर बना हुआ है और वो ही हमे चलाते भी हैं, जब हम मर जाते है तो वही रसायन हमारे शरीर को ख़त्म भी कर देते है, बस यहीं हमारा अंत हो जाता है और उसके बाद हमारी और कोई ज़िन्दगी या अस्तित्व नहीं होता।
मृत शरीर को नहलाकर उसके नाक और कान में रूई डाल दी जाती है इसके पीछे वैज्ञानिक मान्यताएं है। जिसके अनुसार मृतक शरीर के अंदर कोई कीटाणु न जा सके इसलिए नाक और कान को रूई से बंद कर दिया जाता है।
इसके अलावा मृत शरीर के नाक से एक द्रव निकलता है जिसे रोकने के लिए रुई का इस्तेमाल किया जाता है।
मौत के बाद की जिंदगी के बारे में जानने को लोग अकसर उत्सुक रहते हैं, लेकिन इस रहस्य को सुलझाना इतना आसान नहीं।
यह तो हम सभी जानते हैं कि मृत्यु के बाद आत्मा शरीर को त्याग देती है, क्या आप इस सवाल का जवाब दे सकते हैं कि अंतिम समय के दौरान इंसान के शरीर के किन भागों से आत्मा निकलती है?
गरुड़ पुराण में ऐसा बताया गया है कि मनुष्य के शरीर में दस अंग ऐसे होते हैं जो हमेशा खुले हुए रहते हैं।
दो आंख, नाक के दो छिद्र, दो कानों के छिद्र, मुख व मल मूत्र विसर्जन का द्वार और अंत में आता है सिर के बीच का तलवा।
बच्चा जब पैदा होता है तब आप सिर को छूकर इस छिद्र को महसूस कर सकते हैं, ऐसा कहा जाता है कि मां के गर्भ में बच्चे के शरीर में आत्मा इसी छिद्र से प्रवेश करती है।
अपनी जिंदगी में इंसान जैसा कर्म करता है मौत के समय उसकी आत्मा भी कर्मों के हिसाब से शरीर के इन भागों में से निकलती है।
जैसे कि अच्छी आत्माएं सिर के तलवे से निकलती है और वही बुरी आत्माएं गुप्तांगों से निकलती है जिससे उन्हें बेहद कष्ट होता है।
जीवन क्या है, मौत के बाद क्या वापस जीवन है
सात्विक आत्माओं को देवदूतों का समूह अपने संग स्वर्ग लेकर जाते हैं और बुरी आत्माओं को यमदूत बंधनों में बांधकर यमलोक लेकर जाते हैं, शवदाह से पहले आत्मा को दोबारा पृथ्वीलोक में लाया जाता है और उसे उसका अंतिम संस्कार दिखाया जाता है।
इस दौरान आत्मा उस शरीर में दोबारा प्रवेश करने के लिए छटपटाती रहती है, लेकिन बंधनों में जकड़े रहने के चलते वह ऐसा कर पाने में असमर्थ रहता है।
18 पुराणों में से एक गरुड़ पुराण में पाप-पुण्य, स्वर्ग-नर्क के अलावा भी कई सारी बातों के बारे में बताया गया है।
इसमें विज्ञान, धर्म, नीति का वर्णन भी विस्तार से किया गया है, इस पवित्र धार्मिक ग्रंथ का पाठ हर किसी को करना चाहिए।
यदि आपके फ्रिज में खाना है, बदन पर कपड़े हैं, घर के ऊपर छत है और सोने के लिये जगह है,
तो दुनिया के 75% लोगों से ज्यादा धनी हैं
यदि आपके पर्स में पैसे हैं और आप कुछ बदलाव के लिये कही भी जा सकते हैं जहाँ आप जाना चाहते हैं
तो आप दुनिया के 18% धनी लोगों में शामिल हैं
यदि आप आज पूर्णतः स्वस्थ होकर जीवित हैं
तो आप उन लाखों लोगों की तुलना में खुशनसीब हैं जो इस हफ्ते जी भी न पायें
जीवन के मायने दुःखों की शिकायत करने में नहीं हैं
बल्कि हमारे निर्माता को धन्यवाद करने के अन्य हजारों कारणों में है!!!
यदि आप मैसेज को वाकइ पढ़ सकते हैं और समझ सकते हैं
तो आप उन करोड़ों लोगों में खुशनसीब हैं जो देख नहीं सकते और पढ़ नहीं सकते
नींद और मौत में क्या फर्क है ?
किसी ने क्या खूबसूरत जवाब दिया है-
"नींद आधी मौत है" और "मौत मुकम्मल नींद है"
जिंदगी तो अपने ही तरीके से चलती है औरों के सहारे तो जनाज़े उठा करते हैं।
सुबहे होती है , शाम होती है उम्र यू ही तमाम होती है ।
कोई रो कर दिल बहलाता है और कोई हँस कर दर्द छुपाता है, क्या करामात है कुदरत की,
ज़िंदा इंसान पानी में डूब जाता है, और मुर्दा तैर के दिखाता है, बस के कंडक्टर सी हो गयी है जिंदगी ।
सफ़र भी रोज़ का है और जाना भी कही नहीं।
सफलता के सात भेद, मुझे अपने कमरे के अंदर ही उत्तर मिल गये !
छत ने कहा : ऊँचे उद्देश्य रखो !
पंखे ने कहा : ठन्डे रहो !
घडी ने कहा : हर मिनट कीमती है !
शीशे ने कहा : कुछ करने से पहले अपने अंदर झांक लो !
खिड़की ने कहा : दुनिया को देखो !
दरवाजे ने कहा : अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरा जोर लगाओ !
लकीरें भी बड़ी अजीब होती हैं-
माथे पर खिंच जाएँ तो किस्मत बना देती हैं
जमीन पर खिंच जाएँ तो सरहदें बना देती हैं
खाल पर खिंच जाएँ तो खून ही निकाल देती हैं
और रिश्तों पर खिंच जाएँ तो दीवार बना देती हैं
एक रूपया एक लाख नहीं होता ,
मगर फिर भी एक रूपया एक लाख से निकल जाये तो वो लाख भी लाख नहीं रहता
बड़े सपनों को पाने वाले हर व्यक्ति को सफलता और असफलता के कई पड़ावों से गुजरना पड़ता है-
पहले लोग मजाक उड़ाएंगे, फिर लोग साथ छोड़ेंगे, फिर विरोध करेंगे
दैनिक चमकता राजस्थान
Dainik Chamakta Rajasthan e-paper and Daily Newspaper, Publishing from Jaipur Rajasthan
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