भ्रमित कर रही बोस की मृत्यु से जुड़ी भ्रामक जानकारियां
दुबई ।
सुभाष चन्द्र बोस के प्रपौत्र और लेखक का कहना है कि नेताजी की मृत्यु से जुड़ी भ्रामक जानकारियां लोगों को भ्रमित कर रही हैं।
एमिरेट्स फेस्टिवल ऑफ लिटरेचर से इतर एक बातचीत में ‘‘लेड टू रेस्ट : द कंट्रोवर्सी ओवर सुभाष चन्द्र बोसेज डेथ’ के लेखक और पत्रकार आशीष रे का कहना है कि वह नेताजी के साथ क्या हुआ इस संबंध में निजी हित साधने वाले लोगों द्वारा फैलाई जा रही भ्रामक जानकारियों से आजिज आ चुके हैं।
यह पूछने पर कि उन्होंने यह पुस्तक क्यों लिखी, रे ने कहा, वह इस भ्रम को दूर करना चाहते थे कि बोस की मौत विमान दुर्घटना में हुई थी।
उन्होंने कहा, यह दुखद लेकिन सच है, कहा जाता है कि 18 अगस्त 1945 में एक विमान दुर्घटना में बोस की मृत्यु हो गई थी, हालांकि उनके परिवार के कुछ लोग और उनके समर्थक इस पर विास नहीं करते हैं।
दुबई ।
सुभाष चन्द्र बोस के प्रपौत्र और लेखक का कहना है कि नेताजी की मृत्यु से जुड़ी भ्रामक जानकारियां लोगों को भ्रमित कर रही हैं।
एमिरेट्स फेस्टिवल ऑफ लिटरेचर से इतर एक बातचीत में ‘‘लेड टू रेस्ट : द कंट्रोवर्सी ओवर सुभाष चन्द्र बोसेज डेथ’ के लेखक और पत्रकार आशीष रे का कहना है कि वह नेताजी के साथ क्या हुआ इस संबंध में निजी हित साधने वाले लोगों द्वारा फैलाई जा रही भ्रामक जानकारियों से आजिज आ चुके हैं।
यह पूछने पर कि उन्होंने यह पुस्तक क्यों लिखी, रे ने कहा, वह इस भ्रम को दूर करना चाहते थे कि बोस की मौत विमान दुर्घटना में हुई थी।
उन्होंने कहा, यह दुखद लेकिन सच है, कहा जाता है कि 18 अगस्त 1945 में एक विमान दुर्घटना में बोस की मृत्यु हो गई थी, हालांकि उनके परिवार के कुछ लोग और उनके समर्थक इस पर विास नहीं करते हैं।
भ्रमित कर रही बोस की मृत्यु से जुड़ी भ्रामक जानकारियां
रे का कहना है कि बोस के बड़े भाई शरत बोस की असामयिक मृत्यु के कारण यह गुत्थी कभी नहीं सुलझ सकी, उन्होंने कहा, अगर वह कुछ और दिन जीवित रहते तो मामला सुलझ जाता।
वह अंतिम मध्यस्थ थे, पिछले सात दशकों में भ्रामक जानकारियां फैलाई गई हैं जो लोगों को भ्रमित कर रही हैं।
उन्होंने कहा, मुझे भारत सरकार के समक्ष उनकी इकलौती संतान प्रोफेसर अनिता बोस की अर्जी का समर्थन करना पड़ा कि उनकी अस्थियां जापान से वापस लायी जाएं, ताकि 73 साल से वहां रखी अस्थियों का अंतिम संस्कार हो सके।
दैनिक चमकता राजस्थान
रे का कहना है कि बोस के बड़े भाई शरत बोस की असामयिक मृत्यु के कारण यह गुत्थी कभी नहीं सुलझ सकी, उन्होंने कहा, अगर वह कुछ और दिन जीवित रहते तो मामला सुलझ जाता।
वह अंतिम मध्यस्थ थे, पिछले सात दशकों में भ्रामक जानकारियां फैलाई गई हैं जो लोगों को भ्रमित कर रही हैं।
उन्होंने कहा, मुझे भारत सरकार के समक्ष उनकी इकलौती संतान प्रोफेसर अनिता बोस की अर्जी का समर्थन करना पड़ा कि उनकी अस्थियां जापान से वापस लायी जाएं, ताकि 73 साल से वहां रखी अस्थियों का अंतिम संस्कार हो सके।
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