क्या है महाशिवरात्रि !
महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, इसे हर साल फाल्गुन माह में 13वीं रात या 14वें दिन मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि में श्रद्धालु पूरी रात जागकर भगवान शिव की आराधना में भजन गाते हैं, कुछ लोग पूरे दिन और रात उपवास भी करते हैं, शिव लिंग को पानी और बेलपत्र चढ़ाने के बाद ही वे अपना उपवास तोड़ते हैं।
भगवान शिव आदियोगी हैं, योग के जन्मदाता और आदिगुरु, योगियों और सन्यासियों के लिए महाशिवरात्रि वह रात्रि है जब लंबी साधना के बाद शिव को योग की उच्चतम उपलब्धियां हासिल हुई थीं।
जब उनके भीतर की तमाम हलचलें थम गई थीं और वे स्वयं कैलाश पर्वत की तरह स्थिर और निर्विकार हो गए थे, पौराणिक कथा के अनुसार यह वह रात्रि है जब समुद्र-मंथन से प्राप्त हलाहल विष के दुष्प्रभाव से दुनिया को बचाने के लिए नीलकंठ शिव ने उसे अपने कंठ में रखकर विष का प्रभाव उतारने के लिए देवताओं के गीत-नृत्य के बीच रात भर जागरण किया था।
गृहस्थों के लिए महाशिवरात्रि शिव और पार्वती के विवाह और मिलन की रात्रि है, पुरुष और प्रकृति, पदार्थ और ऊर्जा का ऐसा मिलन जिससे सृष्टि की संभावनाएं बनती हैं।
क्या है महाशिवरात्रि !
शिव और पार्वती का दांपत्य तमाम देवताओं में सबसे सफल दांपत्य माना जाता है और उनका परिवार सबसे आदर्श परिवार, शिव साधक और गृहस्थ होने के अलावा एक महान नर्तक और कुशल वीणा वादक भी थे।
महाशिवरात्रि के दिन कुंवारी कन्याएं उपवास रख कर शिव जैसे सर्वगुणसंपन्न पति की कामना करती हैं, महाशिवरात्रि की तीनों प्रचलित अवधारणाओं को मिला दें तो इस दिन का सबक यह है कि योग और गार्हस्थ्य के बीच कहीं कोई विरोधाभास नहीं है।
योगी अथवा संन्यासी बनने के लिए परिवार और समाज की जिम्मेदारियों से पलायन करने की भी आवश्यकता नहीं है, अपने पारिवारिक, सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन और लोक कल्याण का हर संभव प्रयत्न करते हुए भी योग और अध्यात्म का शिखर हासिल किया जा सकता है।
शिव को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय-
'ॐ नमः शिवाय:' पंचतत्वमक मंत्र है इसे शिव पंचक्षरी मंत्र कहते हैं, इस पंचक्षरी मंत्र के जाप से ही मनुष्य संपूर्ण सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है, इस मंत्र का जाप करें।
दिनभर शिव मंत्र 'ॐ नमः शिवाय:' का जाप करें तथा पूरा दिन निराहार रहें, रोगी, अशक्त और वृद्ध दिन में फलाहार लेकर रात्रि पूजा कर सकते हैं।
शिवपुराण में रात्रि के चारों प्रहर में शिव पूजा का विधान है, माना जाता है कि इस दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए ।
श्री महाशिवरात्रि व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, स्नान, वस्त्र, धूप, पुष्प और फलों के अर्पण करें, इसलिए इस दिन उपवास करना अति उत्तम कर्म है।
रात को शिव चालीसा का पाठ करें. प्रत्येक पहर की पूजा का सामान अलग से होना चाहिए।
भगवान शिव को दूध, दही, शहद, सफेद पुष्प, सफेद कमल पुष्पों के साथ ही भांग, धतूरा और बिल्व पत्र अति प्रिय हैं ।
इन मंत्रों का जाप करें-
‘ओम नम: शिवाय ‘, ‘ओम सद्योजाताय नम:’, ‘ओम वामदेवाय नम:’, ‘ओम अघोराय नम:’, ‘ओम ईशानाय नम:’, ‘ओम तत्पुरुषाय नम:’ ।
दैनिक चमकता राजस्थान
महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, इसे हर साल फाल्गुन माह में 13वीं रात या 14वें दिन मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि में श्रद्धालु पूरी रात जागकर भगवान शिव की आराधना में भजन गाते हैं, कुछ लोग पूरे दिन और रात उपवास भी करते हैं, शिव लिंग को पानी और बेलपत्र चढ़ाने के बाद ही वे अपना उपवास तोड़ते हैं।
भगवान शिव आदियोगी हैं, योग के जन्मदाता और आदिगुरु, योगियों और सन्यासियों के लिए महाशिवरात्रि वह रात्रि है जब लंबी साधना के बाद शिव को योग की उच्चतम उपलब्धियां हासिल हुई थीं।
जब उनके भीतर की तमाम हलचलें थम गई थीं और वे स्वयं कैलाश पर्वत की तरह स्थिर और निर्विकार हो गए थे, पौराणिक कथा के अनुसार यह वह रात्रि है जब समुद्र-मंथन से प्राप्त हलाहल विष के दुष्प्रभाव से दुनिया को बचाने के लिए नीलकंठ शिव ने उसे अपने कंठ में रखकर विष का प्रभाव उतारने के लिए देवताओं के गीत-नृत्य के बीच रात भर जागरण किया था।
गृहस्थों के लिए महाशिवरात्रि शिव और पार्वती के विवाह और मिलन की रात्रि है, पुरुष और प्रकृति, पदार्थ और ऊर्जा का ऐसा मिलन जिससे सृष्टि की संभावनाएं बनती हैं।
क्या है महाशिवरात्रि !
शिव और पार्वती का दांपत्य तमाम देवताओं में सबसे सफल दांपत्य माना जाता है और उनका परिवार सबसे आदर्श परिवार, शिव साधक और गृहस्थ होने के अलावा एक महान नर्तक और कुशल वीणा वादक भी थे।
महाशिवरात्रि के दिन कुंवारी कन्याएं उपवास रख कर शिव जैसे सर्वगुणसंपन्न पति की कामना करती हैं, महाशिवरात्रि की तीनों प्रचलित अवधारणाओं को मिला दें तो इस दिन का सबक यह है कि योग और गार्हस्थ्य के बीच कहीं कोई विरोधाभास नहीं है।
योगी अथवा संन्यासी बनने के लिए परिवार और समाज की जिम्मेदारियों से पलायन करने की भी आवश्यकता नहीं है, अपने पारिवारिक, सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन और लोक कल्याण का हर संभव प्रयत्न करते हुए भी योग और अध्यात्म का शिखर हासिल किया जा सकता है।
शिव को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय-
'ॐ नमः शिवाय:' पंचतत्वमक मंत्र है इसे शिव पंचक्षरी मंत्र कहते हैं, इस पंचक्षरी मंत्र के जाप से ही मनुष्य संपूर्ण सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है, इस मंत्र का जाप करें।
दिनभर शिव मंत्र 'ॐ नमः शिवाय:' का जाप करें तथा पूरा दिन निराहार रहें, रोगी, अशक्त और वृद्ध दिन में फलाहार लेकर रात्रि पूजा कर सकते हैं।
शिवपुराण में रात्रि के चारों प्रहर में शिव पूजा का विधान है, माना जाता है कि इस दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए ।
श्री महाशिवरात्रि व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, स्नान, वस्त्र, धूप, पुष्प और फलों के अर्पण करें, इसलिए इस दिन उपवास करना अति उत्तम कर्म है।
रात को शिव चालीसा का पाठ करें. प्रत्येक पहर की पूजा का सामान अलग से होना चाहिए।
भगवान शिव को दूध, दही, शहद, सफेद पुष्प, सफेद कमल पुष्पों के साथ ही भांग, धतूरा और बिल्व पत्र अति प्रिय हैं ।
इन मंत्रों का जाप करें-
‘ओम नम: शिवाय ‘, ‘ओम सद्योजाताय नम:’, ‘ओम वामदेवाय नम:’, ‘ओम अघोराय नम:’, ‘ओम ईशानाय नम:’, ‘ओम तत्पुरुषाय नम:’ ।
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