मारवाड़ी गूंदे की सब्जी से बुढ़ापा रहेगा दूर
जोधपुर मारवाड़ के मशहूर गूंदे की सब्जी बुढ़ापे को दूर रखने में मददगार साबित हो सकती है। पंचकूटे की सब्जी के पांच तत्वों में शामिल गूंदे (कॉर्डिया मिक्सा) में एंटी ऑक्सीडेंट्स मिले हैं, जो शरीर में मौजूद हानिकारक तत्वों को खत्म कर कोशिकाओं की रक्षा करते हैं।
यह खुलासा केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) द्वारा किए गए शोध में सामने आया है।
गूंदे में फिनोलिक यौगिक मिले हैं, जो एंटी ऑक्सीटेंट से भरपूर है। ये यौगिक शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स को आक्रमण कर उनसे कोशिकाओं को बचाते हैं।
गूंदे में फिनोलिक यौगिक मिले हैं, जो एंटी ऑक्सीटेंट से भरपूर है। ये यौगिक शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स को आक्रमण कर उनसे कोशिकाओं को बचाते हैं।
पेस्टीसाइड्स युक्त सब्जी, फल, भूख से अधिक भोजन करने और उपापचयी क्रिया मंद होने से शरीर में फ्री रेडिकल्स पैदा होते हैं, जो शरीर में बगैर किसी नियंत्रण के इधर-उधर घूमकर स्वस्थ कोशिकाओं को क्षति पहुंचाते हैं।
मारवाड़ी गूंदे की सब्जी से बुढ़ापा रहेगा दूर
उम्र बढऩे के साथ शरीर में नई कोशिकाओं के निर्माण की क्षमता कम हो जाती है और शरीर बूढ़ा होता जाता है। गौरतलब है कि पंचकूटे की सब्जी में गूंदे के अलावा केर, सांगरी, कुमट और सूखी लाल मिर्च शामिल है, जो रेगिस्तान की सब्जी कही जाती है।
ये पांचों सब्जी शुष्क व अद्र्ध शुष्क क्षेत्रों में होती है। गूंदे की सब्जी के अलावा इसका अचार भी मारवाड़ में खूब पसंद किया जाता है।
बारिश व सर्दी में बगैर पानी होंगे गूंदे
गूंदे की फसल अपे्रल में बाजार में आ जाती है। डॉ. मेघवाल बताते हैं कि गूंदे की नई वैरायटी को तीन साल उगाने के बाद इसमें केवल तीन महीने पानी देकर फसल प्राप्त की जाती है।
बारिश व सर्दी में बगैर पानी होंगे गूंदे
गूंदे की फसल अपे्रल में बाजार में आ जाती है। डॉ. मेघवाल बताते हैं कि गूंदे की नई वैरायटी को तीन साल उगाने के बाद इसमें केवल तीन महीने पानी देकर फसल प्राप्त की जाती है।
बारिश व सर्दी में पानी देने की आवश्यकता नहीं रहती। फरवरी के प्रथम सप्ताह से प्रति दस दिन के अंतराल पर पानी और प्रति पौधा बीस किलो कम्पोस्ट से फसल बेहतर होती है।
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