मानव शव से खाद बनाने की मंजूरी
अमेरिका में मानव शव से खाद बनाने को मंजूरी दे दी गई है, वॉशिंगटन इसे लागू करने वाला पहला राज्य होगा। वॉशिंगटन के गवर्नर ने इस बिल पर दस्तखत कर दिए, बिल का मकसद अंतिम संस्कार और दफनाने से होने वाले कार्बन उत्सर्जन में कटौती करना है।
नया नियम अगले साल मई में लागू होगा, इसके तहत लोगों के पास यह विकल्प होगा कि वे खुद के शव को खाद बनाने के लिए दे सकें, इस प्रक्रिया को रिकम्पोजिशन कहा जाएगा।
सिएटल की एक कंपनी रीकम्पोज ने सबसे पहले मानव खाद बनाने का ऑफर दिया था, नियम बनाने के लिए लड़ाई लड़ने वालीं और रीकम्पोज की संस्थापक कैटरीना स्पेड का कहना है- रीकम्पोजिशन शव को दफनाने या अंतिम संस्कार का विकल्प प्रदान करता है।
यह प्राकृतिक होने के साथ सुरक्षित और टिकाऊ है। इससे न केवल कार्बन उत्सर्जन रुकेगा बल्कि जमीन की भी बचत होगी। प्रकृति के पास सीधे लौटने और जीवन-मृत्यु के चक्र में वापस जाने का विचार बहुत सुंदर है।
कैटरीना के मुताबिक- रीकम्पोजिशन का विचार 10 साल पहले उस वक्त आया था जब मैं 30 साल की हो रही थी और खुद की मौत के बारे में ज्यादा सोचने लगी थी।
आगे यह भी बताया कि उन्होंने पर्यावरण के लिए बेहतर साबित होने वाले एक अन्य विकल्प पर सोचना शुरू किया।
इसके लिए उनका सामना 20 बिलियन डॉलर (करीब 1.3 लाख करोड़ रुपए) के अमेरिकी अंतिम संस्कार कारोबार से था, जो पारंपरिक प्रक्रिया का पैरोकार था।
मानव खाद के लिए कैटरीना ने वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी में बाकायदा ट्रायल भी किए, इसके लिए शव को स्टील के कंटेनर में सूखी घास, लकड़ियों और स्ट्रॉ के साथ 30 दिन तक बंद कर दिया गया।
इस दौरान बैक्टीरिया ने शव को पूरी तरह डिकम्पोज कर दिया। प्रक्रिया से मिला उत्पाद सूखा और पोषक तत्वों से युक्त था, जिसका इस्तेमाल बगीचे में किया जा सकता था।
कैटरीना के मुताबिक, ‘‘प्रक्रिया में हड्डियां और दांत तक पूरी तरह से गल गए। हमने ज्यादा तापमान बनाए रखा ताकि बैक्टीरिया (माइक्रोब्स) शवों को पूरी तरह से डिकम्पोज (गला) कर दें।’’ रीकम्पोज प्रक्रिया में पहले जानवरों के शव को गलाकर खाद बनाई जाती थी।
वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी ने पाया कि प्रक्रिया इंसानों के शव में भी कारगर है
दैनिक चमकता राजस्थान
Dainik Chamakta Rajasthan e-paper and Daily Newspaper, Publishing from Jaipur Rajasthan
सम्बन्धित खबरें पढने के लिए यहाँ देखे
0 comments:
Post a comment