आज शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक है पूजा का मुहूर्त
दीपावली से दो दिन पूर्व धनतेरस मनाया जाता है। यह हिदुओं के प्रमुख त्योहार दीपावली पर्व का पहला दिन है। इस बार धनतेरस 25 अक्टूबर को है। मान्यता है कि क्षीर सागर के मंथन के दौरान धनतेरस के दिन ही आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। इसके अलावा इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है। इस दिन सोने-चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक भी है। इसके बाद छोटी दीपावली या नरक चौदस, बड़ी या मुख्य दीपावली, गोवद्र्धन पूजा और अंत में भाई दूज यानी भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है।
धनतेरस की तिथि और शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ : 25 अक्टूबर 2019 को शाम 07 बजकर 08 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्त : 26 अक्टूबर 2019 को दोपहर 03 बजकर 36 मिनट
धनतेरस पूजा मुहूर्त : 25 अक्टूबर 2019 को शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक
अवधि : 01 घंटे 05 मिनट
धनतेरस का महत्व
धनतेरस को धन्वंतरि जयंती भी कहा जाता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। शास्त्रों के अनुसार चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया था। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजन करने से घर धन-धान्य से पूर्ण हो जाता है। इसी दिन अपनी शक्ति के अनुसार खरीदारी और लक्ष्मी गणेश की नई प्रतिमा को घर लाना भी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन संध्या काल में घर के द्वार पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का योग टल जाता है।
धनतेरस की पूजा विधि
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और यमराज की पूजा का विधान है। धनतेरस के दिन आरोग्य के देवता और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्य और दीर्घायु प्राप्त होती है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा को धूप और दीपक दिखाएं। साथ ही फूल अर्पित कर सच्चे मन से पूजा करें। धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है। इस दिन संध्या के समय घर के मुख्य दरवाजे के दोनों ओर अनाज के ढेर पर मिट्टी का बड़ा दीपक रखकर उसे जलाएं। दीपक का मुंह दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।
दीपावली से दो दिन पूर्व धनतेरस मनाया जाता है। यह हिदुओं के प्रमुख त्योहार दीपावली पर्व का पहला दिन है। इस बार धनतेरस 25 अक्टूबर को है। मान्यता है कि क्षीर सागर के मंथन के दौरान धनतेरस के दिन ही आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। इसके अलावा इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है। इस दिन सोने-चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक भी है। इसके बाद छोटी दीपावली या नरक चौदस, बड़ी या मुख्य दीपावली, गोवद्र्धन पूजा और अंत में भाई दूज यानी भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है।
धनतेरस की तिथि और शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ : 25 अक्टूबर 2019 को शाम 07 बजकर 08 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्त : 26 अक्टूबर 2019 को दोपहर 03 बजकर 36 मिनट
धनतेरस पूजा मुहूर्त : 25 अक्टूबर 2019 को शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक
अवधि : 01 घंटे 05 मिनट
धनतेरस का महत्व
धनतेरस को धन्वंतरि जयंती भी कहा जाता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। शास्त्रों के अनुसार चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया था। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजन करने से घर धन-धान्य से पूर्ण हो जाता है। इसी दिन अपनी शक्ति के अनुसार खरीदारी और लक्ष्मी गणेश की नई प्रतिमा को घर लाना भी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन संध्या काल में घर के द्वार पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का योग टल जाता है।
धनतेरस की पूजा विधि
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और यमराज की पूजा का विधान है। धनतेरस के दिन आरोग्य के देवता और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्य और दीर्घायु प्राप्त होती है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा को धूप और दीपक दिखाएं। साथ ही फूल अर्पित कर सच्चे मन से पूजा करें। धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है। इस दिन संध्या के समय घर के मुख्य दरवाजे के दोनों ओर अनाज के ढेर पर मिट्टी का बड़ा दीपक रखकर उसे जलाएं। दीपक का मुंह दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।
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