बैंकों को चार फीसदी की अनिवार्य राशि रखने की जरूरत नहीं
नई दिल्ली
रिजर्व बैंक ने कमर्शियल बैंकों को कर्ज वितरण पर आरक्षित नकद अनुपात (सीआरआर) से छूट देने के हाल के निर्णय पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह सुविधा खुदरा क्षेत्र की तीन श्रेणियों आवास, वाहन और एमएसएमई (छोटे-मझोले उद्योग) को दिए जाने वाले लोन विस्तार पर ही लागू होगी।
रिजर्व बैंक ने खुदरा क्षेत्र को दिए जाने वाले लोन का उठाव बढ़ाने के लिए 6 फरवरी को मौद्रिक की समीक्षा में कहा था कि वाहन, आवास और एमएसएमई लोन में कर्ज की मूल राशि के ऊपर नया कर्ज दिया जाता है तो इस पर बढ़ी राशि को सीआरआर से छूट देने की घोषणा की थी। इसका अर्थ यह हुआ कि कर्ज की राशि में इस तरह से हुई वृद्धि के एवज में बैंकों को सीआरआर के तौर पर चार फीसदी की अनिवार्य राशि अलग रखने की जरूरत नहीं होगी। बैंकों को अपनी कुल जमा राशि में चार फीसदी राशि सीआरआर के तौर पर रिजर्व बैंक में रखनी होती है। इस राशि पर उन्हें कोई ब्याज नहीं मिलता है। रिजर्व बैंक ने साफ किया कि सीआरआर से यह छूट या तो कर्ज की शुरुआत से पांच साल तक या कर्ज की परिपक्वता अवधि तक मिलेगी।
एमएसएमईं को भी कम ब्याज पर कर्ज दे सकेंगे सहकारी बैंक
केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को वित्तीय मदद मुहैया कराने की तीन बड़ी योजनाओं में गैर अनुसूचित शहरी और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को भी शामिल किया है। इसमें क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट, क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी स्कीम और ब्याज छूट जैसी योजनाएं शामिल हैं। केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि इस क्षेत्र को कर्ज देने में एनबीएफसी की भागीदारी अभी 13 फीसदी है। अगर गैर अनुसूचित शहरी और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को भी इसमें शामिल किया जाता है, तो योजना की पहुंच और बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा, खासतौर से दूरदराज के इलाकों में छोटे उद्योगों को काफी लाभ मिलेगा।
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