जैसा की सर्वविदित है कि भारत सहित विश्व के अनेक देशों में 1 मई को श्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
यह श्रमिकों की कड़ी मेहनत और प्रयासों को मान देने के लिए एक समर्पित दिवस है । श्रम दिवस का इतिहास तथा उत्पत्ति विभिन्न देशों में भिन्न-भिन्न है। किंतु इस दिवस को मनाने का मूल उद्देश्य एक ही है, देश के बुनियादी ढांचे के विकास में योगदान देने वाले श्रमिक वर्ग के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ विभिन्न आंदोलन हुए एक लंबे संघर्ष के पास यह दिन अस्तित्व में आय ।
जब विभिन्न देशों में मजदूरों की स्थितियां बहुत खराब हुआ करती थी उनके वेतन बहुत कम थे । उन्हें बहुत प्रताडि़त किया जाता था और जिससे उनके स्वास्थ्य और जीवन शैली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था ।इस प्रकार की बढ़ती समस्याओं को देखकर श्रमिक संघ ने इस प्रणाली के विरुद्ध आवाज उठाई । और मजदूर यूनियनों का गठन किया जो अपने अधिकारों के लिए काफी समय तक लड़े ।एक लंबे समय के पश्चात श्रमिक वर्ग के लोगों के लिए 8 घंटे का समय निर्धारित किया गया । उनके स्वास्थ्य तथा जीवन शैली को सुधारने के लिए विभिन्न नीतियां बनाई गई ।
यद्यपि इस दिवस का प्रारंभ हुए लगभग सवा साल बीत चुके हैं। भारत में भी इसके लिए पहल सन 1923 में की गई थी । इससे आज मजदूरों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है । श्रमिक हमारे देश की रीढ़ हैं । देश के विकास का बुनियादी ढांचा इन्हीं के कंधों के सहारे होता है उनके उत्साह में वृद्धि करने के लिए अति महत्वपूर्ण है ।
मजदूरों को समर्पित चंद पंक्तियां
मेहनत से जो ना घबराए सुबह से शाम पसीना बहाए हर बाधा वह करता दूर दुनिया कहती उसे मजदूर ।
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