
जयपुर। सीएम अशोक गहलोत ने कृषि जिंसों पर कृषक कल्याण शुल्क 2 रु. प्रति सैकड़ा से घटाकर 50 पैसे प्रति सैकड़ा कर दिया है। सीएम ने कहा कि ’वार, बाजरा, मक्का, जीरा, ईसबगोल सहित जिन कृषि जिंसों पर मंडी शुल्क पचास पैसा प्रति सैकड़ा है। अब उन पर कृषक कल्याण शुल्क की वर्तमान दर दो रु. प्रति सैकड़ा की जगह 50 पैसा प्रति सैकड़ा ली जाए। तिलहन-दलहन, गेहूं सहित जिन कृषि जिंसों पर मंडी शुल्क की दर एक रुपया तथा 1.60 रु. प्रति सैकड़ा है। अब उन पर भी वर्तमान में प्रभारित दो रु. प्रति सैकड़ा के स्थान पर एक रु. प्रति सैकड़ा शुल्क प्रभारित किया जाए। ऊन को शुल्क से मुक्त रखा जाएगा। गहलोत ने गुरुवार को सीएम निवास पर खाद्य पदार्थ के कारोबार से जुड़े व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों से चर्चा के बाद यह निर्णय किया। सीएम ने कहा कि इस शुल्क के कारण उद्योगों व व्यापारियों को हो रही तकलीफ का अहसास सरकार को है।
अब खाद्य पदार्थ से जुड़े कारोबारियों एवं कृषि प्रसंस्करण उद्योगों को राहत मिलेगी। सीमावर्ती जिलों में पड़ोसी रा’यों के मुकाबले दरों का अंतर कम होगा और प्रतिस्पर्धात्मक रूप से व्यापार करने में आसानी होगी। किसानों को भी उपज उचित दरों पर बेचने के अधिक अवसर मिल सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के इस दौर में प्रदेश के व्यापारी वर्ग ने हमारे ‘कोई भूखा न सोए‘ के संकल्प को साकार करने में पूरी मदद की है। रा’य सरकार ने मंडी व्यापारियों के हित में पूर्व में कई निर्णय किए हैं।
हमारा हमेशा यह प्रयास रहा है कि प्रदेश में कारोबार को बढ़ावा मिले और ईमानदारी से व्यापार करने वाले लोगों को प्रोत्साहन मिले। चिकित्सा रा’य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि आढ़तियों की वाजिब मांगों के प्रति सरकार का नजरिया संवेदनशील है। मुख्यमंत्री कोरोना से निपटने के लिए लगातार सभी वर्गों के हित में निर्णय ले रहे हैं। यह उनके कुशल प्रबंधन का ही परिणाम है कि राजस्थान ऐसी चुनौती का मजबूती से सामना कर पा रहा है। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता एवं अन्य सभी प्रतिनिधियों ने संकट की इस घड़ी में रा’य सरकार द्वारा जरूरतमंद वर्गों के हित में लिए गए निर्णयों पर आभार व्यक्त किया। इस दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त श्री निरंजन आर्य, कृषि विपणन विभाग के निदेशक श्री ताराचंद मीणा भी उपस्थित थे।
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