
बिल वॉटरसन द्वारा रचित एक कॉमिक स्ट्रिप है केल्विन एंड हॉब्स, जो कि काफी प्रसिद्ध है। इस कॉमिक्स का नायक एक छ: वर्षीय बच्चा केल्विन है। केल्विन के पास एक खिलौना शेर है।
यह खिलौना महज खिलौना नहीं है, यह केल्विन का पक्का दोस्त, साथी, भाई, हमराज सबकुछ है। इस खिलौने का नाम भी है- हॉब्स। केल्विन और हॉब्स की जोड़ी बाल पाठकों को बहुत लुभाती और गुदगुदाती है। पर साथ ही यह पश्चिम की परिवार व्यवस्था और भारत से नितांत भिन्ना सामाजिकता के बारे में भी बहुत कुछ कहती है।
खिलौने में ही जान डालकर उसे साथी बताना पड़ता है क्योंकि भाई-बहन, कजिंस की टोली, मोहल्ले टोले के वे कच्छा-यार दोस्त जो आपके घर में कीचड़ के पाँव लेकर दन्ना से घुस जाएँ, एक दूसरे के घर के सदस्यों से अधिकारपूर्वक बर्ताव करें वे वहाँ नहीं थे। वे गलबहियाँ यार जो नाली के किनारे बैठकर साथ निपटते थे वे तो अब भारतीय परिदृश्य से भी गायब हैं। एक दूसरे की पीठ धुलाने और चोटी गूँथने वाली चचाज़ाद बहनें हमारे यहाँ भी अब नहीं हैं।
भारतीय बच्चों को पहले अपने टेडी बियर के साथ नहीं सोना पड़ता था। ग्रेंडपेरंट्स हर रूप में बच्चों के साथ हुआ करते थे। एक ऐसा रिश्ता जिसमें माँ-माप को एजेंट या माध्यम होने की जरूरत नहीं थी। अब प्रथम तो संयुक्त परिवार हैं नहीं। बड़े संयुक्त परिवार तो छोडि़ए सिर्फ माँ-बाप वाले संयुक्त परिवार भी कम हैं।
जहाँ है भी तो बच्चे के माँ-बाप बच्चे के दादा-दादी को बता कर चलते हैं कि उनके बच्चे से बर्ताव किन नियमों के अंतर्गत किया जाए। इससे ऐसे ग्रैंडपैरेंट्स और बच्चों के बीच सहज रिश्ता जुडऩे में कठिनाई आती है।
0 comments:
Post a comment