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‘ग्रीन सिग्नल’ |
जयपुर। उत्तर प्रदेश के आगरा में शूट हुई ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ मिशन पर बनी फीचर फिल्म बन कर तैयार है। यह फिल्म अनिशा फिल्म्स इंटरनेशनल तथा आरआर दीक्षित एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी है। फिल्म में ओंकारदास मानिकपुरी (पीपली लाइव फेम) जिया छाबरा, रूपाली पवार, अंशु वाष्र्णेय, गौरीशंकर सिंह, जुबली रायजादा, मुख्य भूमिका में हैं। फि़ल्म का मुख्य किरदार बंशी एक ऐसा शख्स है जो कचरा बीनकर अपने परिवार के लिए रोजी रोटी की जुगाड़ में प्रतिदिन घर से निकलता तो है लेकिन शाम को जब घर पहुचता है तो दिन भर की कमाई को शराब पीकर खत्म कर देता है। हमेशा शराब के नशे में धुत्त, दो मासूम बच्चों का बाप, कमली का पति जिसने अपने परिवार को कभी कोई खुशी नही दी और दी भी तो सिर्फ गालियां ही गालियां।बेइंतहा खूबसूरत, लेकिन हमेशा उदास रहने वाली पैसे वाले आनंद की पत्नी आरती, जिसके पास सब कुछ होते हुए भी कुछ नही। जिसको आस है आखिर कभी तो उसके भी आंगन में किलकारियां गूंजेंगी , उसको कभी तो कोई तो माँ बोलने वाला होगा, लेकिन कब ? यही सोचकर दुखी एवं परेशान रहने वाली महिला है वे। आनंद नामक किरदार पैसे वाला, रहम दिल, सीधा सच्चा इंसान। आरती का पति जो हमेशा अपने काम मे व्यस्त रहता है लेकिन पत्नी का उदास चेहरा देखते ही कहीं न कहीं उसे सताने लगता है बेऔलाद होने का दर्द । अपनी पत्नी आरती के जीवन के खालीपन को भरकर जीवन की सारी खुशियां देना तो चाहता है लेकिन क्या करे मजबूर है। काजल एक ऐसी बच्ची जिसके जीवन में सारी खुशियां मिलने के बाद भी एक ही प्रश्न गूंजता रहा कि आखिर वह कौन है, किसकी औलाद है वह, जन्म दिया किसी ने तो फेक क्यों दिया, यही वह लडक़ी है जिसे पाला किसी और ने, शिक्षा दी किसी और ने। कचरे के ढेर पर मिली वह बच्ची जिसे समाज के डर से शायद कोई फेंक गया था। जिसे नाम दिया माता पिता बन बंशी और कमली ने। समाज ने जाना आनंद और आरती की बेटी के रूप में। वहीं कमली एक ऐसी महिला है जो निरंतर गरीबी की मार झेल रही है, एक ऐसी दुखियारी है जो फिल्म के मुख्य कलाकार बंशी की पत्नी है । प्रतिदिन भीख मांग मांगकर अपने बच्चों का पेट पालने वाली इस महिला के दामन में दु:खों के अतिरिक्त कुछ भी नहीं। अनपढ़ कमली के पास फूल बेचकर रोटी के लिए कमाई करने के अतिरिक्त कोई भी साधन नही क्योंकि पति बंशी जो भी कमाता है उसको शराब पीने में खत्म कर देता है। फिल्म के निर्देशक है शरद सिंह ठाकुर, डी.ओ.पी. नारायण दीक्षित, स्टोरी डॉ. कविता रायजादा ने लिखी है वहीं, स्क्रीन प्ले अरविंद कुमार, कॉस्ट्यूम्स मयूरी सोलंकी और निर्माता शरद सिंह ठाकुर, नारायण दीक्षित, मनोज कुमार मिश्रा है।
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